गज़ल

जब भी कोई लीक ढूंढना.
प्यार के प्रतीक ढूंढना.

जि़न्दगी है लंबा सफ़र,
साथ ठीक-ठीक ढूंढना.

कोई जल्दबाज़ी नहीं,
दुश्मनी सटीक ढूंढना.

कल्पना में हिंद-कुश रहे,
अब ना रोमां-ग्रीक ढूंढना.

पत्थरों से दोस्ती हो तो,
मेरे सा हक़ीक ढूंढना.

प्रेम-धागा खो गया कहीं,
ध्यान से बारीक़ ढूंढना.
--योगेन्द्र मौदगिल

5 comments:

शोभा said...

योगेन्द्र जी
बहुत अच्छा लिखा है-
पत्थरों से दोस्ती हो तो,
मेरे सा हक़ीक ढूंढना.

प्रेम-धागा खो गया कहीं,
ध्यान से बारीक़ ढूंढना.
वाह

राकेश खंडेलवाल said...

सुन्दर ! लिखते रहें

Udan Tashtari said...

प्रेम-धागा खो गया कहीं,
ध्यान से बारीक़ ढूंढना.

--बहुत बढिया.

Vinay said...

बड़ी बातें कहकर आपने मुझे डरा ही दिया!
- बहुत अच्छे!

seema gupta said...

जब भी कोई लीक ढूंढना.
प्यार के प्रतीक ढूंढना.
bhut hee sunder
बेवफाई की डगर मे,
मुझसा हबीब ढूंढना.