जब भी कोई लीक ढूंढना.
प्यार के प्रतीक ढूंढना.
जि़न्दगी है लंबा सफ़र,
साथ ठीक-ठीक ढूंढना.
कोई जल्दबाज़ी नहीं,
दुश्मनी सटीक ढूंढना.
कल्पना में हिंद-कुश रहे,
अब ना रोमां-ग्रीक ढूंढना.
पत्थरों से दोस्ती हो तो,
मेरे सा हक़ीक ढूंढना.
प्रेम-धागा खो गया कहीं,
ध्यान से बारीक़ ढूंढना.
--योगेन्द्र मौदगिल
5 comments:
योगेन्द्र जी
बहुत अच्छा लिखा है-
पत्थरों से दोस्ती हो तो,
मेरे सा हक़ीक ढूंढना.
प्रेम-धागा खो गया कहीं,
ध्यान से बारीक़ ढूंढना.
वाह
सुन्दर ! लिखते रहें
प्रेम-धागा खो गया कहीं,
ध्यान से बारीक़ ढूंढना.
--बहुत बढिया.
बड़ी बातें कहकर आपने मुझे डरा ही दिया!
- बहुत अच्छे!
जब भी कोई लीक ढूंढना.
प्यार के प्रतीक ढूंढना.
bhut hee sunder
बेवफाई की डगर मे,
मुझसा हबीब ढूंढना.
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