जय राम जी की......
आज बैठे-ठाले अचानक ब्लॉग की याद आ गई...
बीच में अकस्मात ही ब्लागिंग से मोह भंग हो गया था..... फेसबुक भा गई थी दरअसल.....लेकिन अब लगता है कि वो इस की भी अम्माँ है.... और अपन फिर लौट आए....
हालाँकि लगता है दिन गलत चुन लिया....
आज बैठे-ठाले अचानक ब्लॉग की याद आ गई...
बीच में अकस्मात ही ब्लागिंग से मोह भंग हो गया था..... फेसबुक भा गई थी दरअसल.....लेकिन अब लगता है कि वो इस की भी अम्माँ है.... और अपन फिर लौट आए....
हालाँकि लगता है दिन गलत चुन लिया....
आज चंडीगढ़ निकल रहा हूँ...कवि सम्मेलन है..
परसों भटिंडा....
२८ को श्रीगंगानगर नवम्बर में
अभी 29 तक व्यस्तता रहेगी...उस के बाद अभ्यास जारी रख सकूंगा.....
तो इस वायदे के साथ कि
ब्लाग पर अब मिलना-मिलाना होता रहेगा.....
फिलहाल विदा लेता हूँ......
15 comments:
२४ को साँपला में मिलना ही है
हम तो कब से प्रतीक्षा में थे।
ब्लाग अविरल धारा है, फ़ेसबुक तो बुलबुला भर है :)
सकुशल वापसी पर स्वागत है । हम तो फेसबुक का फेस देखते ही नहीं ।
स्वागत । जल्द ही ब्लॉगर्स को भी अनुग्रहित करें ।
क्या कविवर !!!
दिलों को पढने वाले चेहरे की किताब पर जाकर ठहर गये। ये तो गलत बात है जी
फेसबुक तो लौंडे-लपाडो लायक है। ब्लॉग पर ही विराजे रहिये और 24दिसम्बर को ब्लॉगर मीट में आपका ब्लॉग से जो मोह छूट गया है उसमें भी डीजल डाल दिया जायेगा :)
प्रणाम
भाई जी ब्लॉग देसी है और फेस बुक विदेशी.....इसलिए देसी अपनाओ और सुख पाओ...जल्दी कवि सम्मलेन निपटा के आओ...इंतज़ार करते मिलेंगे आपको यहीं पे...बाई गाड
नीरज
आपके लिए यही बस
बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन
हम वायदे पर भरोसा करने वाली कैटेगरी के हैं, इंतजार कर रहे हैं।
फेसबुक के चक्कर में ब्लॉग छोड़ना उचित नहीं
फेसबुक तो है- नेकी कर कुएं मे डाल... दो दिन बाद न मिले तो क्या मलाल
आपके नई रचना के इन्तज़ार में ।
कहाँ हैं महाराज?
ब्लागिंग से मोहभंग तो मेरा भी हुआ था, पर मैं भी आ गया....आप का पुनः स्वागत है....
क्या हुआ वादे का।
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