रामलीला मैदान में डटे शूरवीरों को समर्पित .........................

रामलीला मैदान में डटे शूरवीरों को समर्पित
आज का मुक्तक.....एक छंद के साथ

भ्रष्टों की एकता का नया वार देख लो..
सत्ता का नशा बोलता है यार देख लो..
इन सब दलों को देख के पछता रहे हैं हम,
ये कैसे-कैसे चुन लिए गद्दार देख लो..


जाति और धरम से ऊंचा है हमारा देश,
भारती की जय-जैकार मन में बसाई हो..
भ्रष्टाचार भाग जाए, स्विस-धन लौट आए,
देश में हो राम-राज दूर महंगाई हो..
छल व् प्रपंच-झूठ, राजनीति में न रहे,
जन लोकपाल बिल की ही अगुवाई हो..
संभव ये हो सकेगा जब सारे ठान लेंगे,
बच्चा-बच्चा अन्ना जी का पूरा अनुयायी हो..
--योगेन्द्र मौदगिल

13 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सार्थक आह्वान

Unknown said...

jai hind !

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर्।

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीय योगेन्द्र मौदगिल जी समसामयिक सुन्दर संदेश , सुन्दर और सार्थक आह्वान करती ये आप की रचना ...सराहनीय बनी ..हम सब को इसी तरह समय का ख्याल करते ...रचते रहना है
आभार आप का अन्ना और सभी ईमानदार को सलाम
जय हिंद जय भारत
भ्रमर ५

अन्तर सोहिल said...

हर क्रांति में कवियों का योगदान अतुलनीय होता है। आपके शब्द हरदिल में हौंसला बढाते हैं और जज्बा पैदा करते हैं।

प्रणाम स्वीकार करें

ताऊ रामपुरिया said...

गद्दारों को बहुत सटीक जूतियाया है आपने, बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

Unknown said...

lo ji dobara aa gaya ..

ek baar fir prashansa ke shabd...

jai hind !

डॉ. मनोज मिश्र said...

आपका यह आह्वान सार्थक होगा,आभार.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

आदरणीय मौदगिल साहब, यह इच्छा तो सभी की है, किन्तु एक पूर्ण बदलाव हेतु चुनाव में सब को बदलना पड़ेगा..

प्रवीण पाण्डेय said...

ओजपूर्ण अभिव्यक्ति।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

जोशीला गीत...
सार्थक आवाहन...
सादर...

Pawan Kumar said...

प्रिय मौदगिल जी समसामयिक रचना.........संदेश वाहक रचना

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

sunder awaahan....