एक छंद फ़क़त आपके लिए........

एक छंद फ़क़त आपके लिए........

बड़े-बड़े बंगले हैं, बंगलों में जंगलें हैं,
जंगलों में बंधे हुए, श्वेत श्वान देख लो..
वक्ष को उघाड़ें और देह को उभारें ऐसे,
फ़िल्मी-मसाले जैसे परिधान देख लो..
हेरोइन, कोनीन, दारू, चरस का फैशन है,
गली-गली अपराधों की दूकान देख लो..
गुटखे व बियर को चाट-चाट 'मौदगिल",
बच्चे सब हो गए है नौजवान देख लो...
---योगेन्द्र मौदगिल

15 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

वाह,उम्दा रचना ,आभार.

प्रवीण पाण्डेय said...

सन्नाट।

SANDEEP PANWAR said...

आज तो वाह के अलावा कोई और शब्द नहीं है।

डॉ टी एस दराल said...

बड़े-बड़े बंगले हैं, बंगलों में जंगलें हैं,
दिल से फिर भी कंगले के कंगले हैं ।

वर्तमान परिवेश पर बढ़िया कटाक्ष किया है योगेन्द्र जी ।

Anju (Anu) Chaudhary said...

आज के वक़्त का आईना ..सटीक शब्द...सटीक वर्णन

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

yahi to durbhagya hai...

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत ख़ूब!!!

Shah Nawaz said...

ज़बरदस्त कटाक्ष किया मौदगिल जी...

अन्तर सोहिल said...

आज पहली बार कोई रचना गाकर खुद को सुनाई है।
काश! आपके मुख से भी इसे सुन पाता।

प्रणाम

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

लाज़वाब करता छंद...
बढ़िया कटाक्ष...
सादर...

विभूति" said...

खुबसूरत....

Pawan Kumar said...

हमेशा की तरह अच्छा कटाक्ष.....!!!!!

Parul kanani said...

waah!

Asha Joglekar said...

वक्त जो ना दिखाये । बडी सटीक रचना .

निर्झर'नीर said...

गुटखे व बियर को चाट-चाट 'मौदगिल",
बच्चे सब हो गए है नौजवान देख लो...
-great