पेट भर के वो भूख पर चीखा............................

उसके तेवर में बदज़बानी है.
लगता है बात खानदानी है..

उस के हाथों में राजरेखा सी,
उस की आँखों में राजधानी है..

पेट भर के वो भूख पर चीखा
देख पानी भी पानी-पानी है..

एक दिन रिश्ता हो ही जाएगा,
मैं भी राजा हूँ, वो भी रानी है..

पर हैं गिरवी मगर परिंदों ने,
आसमां नापने की ठानी है..
--योगेन्द्र मौदगिल






15 comments:

रविकर said...

मौदगल जी
बहुत सुन्दर ||
गिरवी पर तब भी हौसला है आसमान नापने का |
बधाई ||

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

आपने निशब्द कर दिया..

Dr Varsha Singh said...

एक दिन रिश्ता हो ही जाएगा,
मैं भी राजा हूँ, वो भी रानी है..

सभी अशआर लाजवाब हैं.....बहुत खूब.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

पेट भर के वो भूख पर चीखा
देख पानी भी पानी-पानी है..

रोमांचित कर देने वाली ग़ज़ल...

Kajal Kumar said...

वाह

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) said...

पर हैं गिरवी मगर परिंदों ने,
आसमां नापने की ठानी है..
खूबसूरत गज़ल...

प्रवीण पाण्डेय said...

आसमाँ नाप के दम लेंगे हम।

Ravi Rajbhar said...

पर हैं गिरवी मगर परिंदों ने,
आसमां नापने की ठानी है..
Bahut kux kah diya sir apne.

Badhai.
Hamre yaha bhi padhare.....hame bahut klhusi hogi.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सटीक रचना, शुभकामनाएं.

रामराम.

विशाल सिंह (Vishaal Singh) said...

पर हैं गिरवी मगर परिंदों ने,
आसमां नापने की ठानी है..
मौदगिल साहब! इन दो लाइनों के ज़रिये बहुत बड़ी बात कह गए हैं आप....

डॉ. मनोज मिश्र said...

उसके तेवर में बदज़बानी है.
लगता है बात खानदानी है..
...बहुत खूब.

दीपक बाबा said...

देख पानी भी पानी-पानी है..



बदिया .

जयकृष्ण राय तुषार said...

भाई योगेन्द्र जी बहुत सुन्दर गजल बधाई |

जयकृष्ण राय तुषार said...

भाई योगेन्द्र जी बहुत सुन्दर गजल बधाई |

नीरज गोस्वामी said...

भाई जी..जय हो

नीरज