राजनेताओं और अरबपति बाबाओं से
विवेक की अपेक्षा रखने वाले
मूढ़ श्रोताओं-पाठकों के नाम
धन के मद में चूर हैं मंत्री-संत्री-संत.
इसीलिए आतंक का नहीं दीखता अंत..
जनता बेचारी मरी सत्ता बे-अफ़सोस.
सिद्ध हो गया देख लो समरथ को नहि दोस..
फैशन शो चलता रहा, मंत्री जी मद - मस्त.
नंगी टांगो का नशा बुद्धि करता ध्वस्त..
नेता गति बखानते, जनता हाहाकार..
मुंबई हाय इत्ती बड़ी, और धमाके चार. ?
सत्ता कहती क्या हुआ..हुए अगर विस्फोट.
ये तो दुनिया का चलन, इस में क्या है खोट..
16 comments:
हर-हर बम-बम
बम-बम धम-धम |
थम-थम, गम-गम,
हम-हम, नम-नम|
शठ-शम शठ-शम
व्यर्थम - व्यर्थम |
दम-ख़म, बम-बम,
तम-कम, हर-दम |
समदन सम-सम,
समरथ सब हम | समदन = युद्ध
अनरथ कर कम
चट-पट भर दम |
भकभक जल यम
मरदन मरहम ||
राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |
हर-हर बम-बम
बम-बम धम-धम |
थम-थम, गम-गम,
हम-हम, नम-नम|
शठ-शम शठ-शम
व्यर्थम - व्यर्थम |
दम-ख़म, बम-बम,
तम-कम, हर-दम |
समदन सम-सम,
समरथ सब हम | समदन = युद्ध
अनरथ कर कम
चट-पट भर दम |
भकभक जल यम
मरदन मरहम ||
राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |
शानदार...
मंत्री-संत्री-संत
हो गए सारे लंठ,
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर
खूब खखारा कंठ,
मौदगिल जी ये कविता
है बड़ी ही चंठ....
hmmm...
सही कहा कविराज
परिस्थि्ति विचारणीय है।
@सत्ता कहती क्या हुआ..हुए अगर विस्फोट.
ये तो दुनिया का चलन, इस में क्या है खोट..
खरी बात,आभार.
हवा उड़ते चीथड़े, दिखते नहीं विशेष,
सरकारी मेहमानों को, हो न जाये क्लेश।
धन के मद में चूर हैं मंत्री-संत्री-संत.
इसीलिए आतंक का नहीं दीखता अंत..
सही कहा मौदगिल जी । जनता की पर्वाह किसे है ।
सत्ता कहती क्या हुआ..हुए अगर विस्फोट.
ये तो दुनिया का चलन, इस में क्या है खोट..
सटीक लिखा है ...
जनता बेचारी मरी सत्ता बे-अफ़सोस
सिद्ध हो गया देख लो समरथ को नहि दोस
यथार्थपरक रचना...
फैशन शो चलता रहा, मंत्री जी मद - मस्त.
नंगी टांगो का नशा बुद्धि करता ध्वस्त..
Show must go on...भाड़ में जाए देश....
खरी सच बयानी
अब जनता तो अवतार की प्रतीक्षा करती है..
वाह वाह भाई जी . क्या खूब दोहे लिखे हैं . सुन्दर .
bahut khub bhai ji....kaash kisi mantri ke sath aisa ho tho pata chale...
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