चार पंक्तियाँ

टिप्पणियां गवाह हैं

कुछ पुराने मित्रों का पुनरागमन हुआ है

कुछ नए मित्र भी जुड़े हैं.



सभी को प्रणाम निवेदित करते हुए चार पंक्तियाँ सौंपता हूँ कि





नेताऒं को दूध पिलाना ठीक नहीं

नाग पंचमी रोज मनाना ठीक नहीं



किसी ने खादी किसी ने भगवा धार लिया

जनता को इतना बहकाना ठीक नहीं



कुछ तो सालों शर्म करो नौकरशाहों

खुल्लमखुल्ला देश चबाना ठीक नहीं



गली, मोहल्ला, लोग तमाशा देखेंगें

भाई-भाई का टकराना ठीक नहीं

--योगेन्द्र मौदगिल



17 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

क्या बात है..कड़वा पर सच....

यही तो कमाल है आप के शब्दों का...जिसके सारा देश कायल है...बेहतरीन ताऊ जी..प्रणाम

दिनेशराय द्विवेदी said...

नेताओं का बहनोई होने की बधाई!

संगीता पुरी said...

सटीक कहा आपने !!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

कुछ तो सालों शर्म करो नौकरशाहों
खुल्लमखुला देश चबाना ठीक नहीं !
ये मेरे दिल के अन्दर की बात आपने चुरा ली है !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सटीक लेखन....नागपंचमी ना ही मनाये जाये तो बेहतर है....

राजीव तनेजा said...

कम शब्द...बढ़िया धार...
कब सिखाओगे ...
बता दो मेरे यार

Abhishek Ojha said...

बहुत सही !

BrijmohanShrivastava said...

बहुत बहुत और बहुत ही बढ़िया मगर ये लोग आपकी बात मानेगे नहीं बहुत मोटी चमड़ी के है

डॉ टी एस दराल said...

कल को हम भी नेता बन सकते है
नेताओं को इतना खड्काना ठीक नहीं। :)

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

नाग हैं सामने दिखते हैं,
कुछ तो ऐसे हैं जो भाई कहकर
पीछे से छुरा घोंपते हैं....

अमिताभ मीत said...

खतरनाक मूड में हैं भाई !!

Pritishi said...

Netaon ko dhoodh pilana theek nahi
Nagpanchami ...

Yeh Sher sabse adhik pasand aaya!

Pranaam
RC

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी, धन्यवाद

जितेन्द़ भगत said...

यथार्थ।

Pawan Kumar said...

अलफ़ाज़ कुछ ज्यादा ही सख्त हैं.....रचनाधर्मिता में ये गाली गलौज ,तीसरे शेर में ......कुछ जँची नहीं (साफगोई के लिए माफ़ी चाहूँगा)

कविता रावत said...

कुछ तो सालों शर्म करो नौकरशाहों
खुल्लमखुला देश चबाना ठीक नहीं !

Bahut sateek samyik rachna....
Sharm kahan rahi ab kuch netaon aur naukarsahon ko.... desh ko deemak ki tarah chat karne par tule hai...
Haardik shubhkamnayne

Smart Indian said...

संक्षिप्त, सुन्दर और सामयिक!