'नहीं चाहिये मुझको पोती'....

उन्नत कृषि विग्यान हो गया.
भोंदू, वृद्ध किसान हो गया.

लोकतंत्र के नरकतंत्र में,
हर हाकिम, शैतान हो गया.

भूख उगा करती खेतों में,
रहन, फ़सल-खलिहान हो गया.

ऊंची हर दूकान हो गयी,
फीका हर पकवान हो गया.

आपस में लड़-लड़ कर घायल,
अपना हिन्दुस्तान हो गया.

राम-राज है, जब से डाकू,
थाने में दीवान हो गया.

काले धन के धर्म-कर्म में,
घूस खिलाना दान हो गया.

'नहीं चाहिये मुझको पोती'
दादी का फ़रमान हो गया.

बापू का बंदर पढ़-लिख कर,
लम्पट-बेईमान हो गया.
--योगेन्द्र मौदगिल

17 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत बढ़िया, सारे मस्त हैं,बधाई.

Udan Tashtari said...

आपस में लड़ लड़ कर घायल,
अपना हिन्दुस्तान हो गया!!---




बहुत सही..उम्दा रचना!!

अमिताभ मीत said...

ये सचबयानी हो कि तल्खी ..... है दमदार. तीखा, धारदार.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

आंख बंद कर बैठो बापू
बेटों का फरमान हो गया..
हर भावना खत्म होती जा रही है..
आपने कविता के माध्यम से सही मुद्दे छुये हैं...

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सटीक रचना.

रामराम.

Unknown said...

kya baat hein Sir ! bahut Lazbaab !

Shukriya share karne ke liye !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सहजता से कही सटीक बात...सच्ची अभिव्यक्ति...

दीपक 'मशाल' said...

hmmmm sahi hai, par aapse behtar ki ummeed kar sakte hain

Satish Saxena said...

यागेन्द्र भाई !
आपको उद्धृत करते हुए एक पोस्ट लिखी थी और आपको इन्फोर्म भी किया था शायद व्यस्तता के कारण आप देख नहीं पाए होंगे!
http://satish-saxena.blogspot.com/2010/04/blog-post_04.html

vandana gupta said...

अत्यंत मार्मिकता से आज के हालात का वर्णन कर दिया है…………………हर पंक्ति एक ज्वलंत प्रश्न कर रही है।

नीरज गोस्वामी said...

एक बार फिर धमाके दार रचना...आपका जवाब नहीं मौदगिल जी...
नीरज

Asha Joglekar said...

बापू का बंदर पढ लिख कर
लंपट बेईमान हो गया ।
क्या बात है मौदगिल जी , हमेशा की तरह
सटीक और कडक ।

वन्दना अवस्थी दुबे said...

उन्नत कृषि विज्ञान हो गया
भोंदू वृद्ध किसान हो गया.
आरम्भ ही इतना प्रभावशाली! बहुत सुन्दर कविता.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

बापू का बंदर पढ़-लिख कर
लंपट-बेईमान हो गया।
----करारा व्यंग्य!
..बधाई।

रानीविशाल said...

Ek dum satik aur sarthak rachana...Dhanywaad!!

sandhyagupta said...

Is nayi karari rachna ke liye badhai.

अरुणेश मिश्र said...

योगेन्द्र भाई . मजेदार रचना ।