आप सबने पिछली पोस्ट में देखा और खूब देखा
अनिल भाई जी ने तिलक किया टोपी पहनायी बढ़िया मगर साहब जिस अपनेपन और सादगी से मंद-मंद मुस्कुराते हुए पहली भेंट के रूप में भरे मंच पर ठहाकों के बीच लगभग आठ इंच लंबा और पौने तीन इंची व्यास का बचपन की गलतियों जैसा टेढ़ा कटहल प्रदान किया तो मैं झूम गया
आदरेय विद्याचरण शुक्ल तक मुस्कुराये
होली की मस्ती अभी भी है
शायद तब तक रहेगी जब तक इस सीज़न के कविसम्मेलन
कल याने २० को झालावाड़ २१ को सोनीपत २५ को पट्टीकल्याणा २७ को निगाही सोनभद्र ३ को समालखा
भिवानी कविसम्मेलन के चित्रादि अगली पोस्ट में
अनिल जी रायपुर में महिलायें शायद पत्रकारिता से दूर रहती हैं ?
बहरहाल
एक क्षणिका पेश करता हूं कि
मलेरिया
उन्मूलन विभाग के
कर्मचारी
सुदूर गांव में आये
मलेरिया की दवा
मुफ्त दे गये
बदले में
एड्स मुफ्त ले गये
--योगेन्द्र मौदगिल
16 comments:
आपके सम्मेलनों की रपट की प्रतीक्षा में.
ओ हो!पाड़ दिया चाळा।
जय हो।
गाँव की परम्परा है जी ये तो,किसी को खाली हाथ लौटने नहीं देते!
लेकिन अभी इतना बुरा हाल नहीं के एड्स जैसी चीज गाँव में यूँ ही बंटती फिरती हो...
कुंवर जी,
यह भी अनोखा है...
च च च बिचारा !
इसी लिये हम बेगानो से लेन देन नही करते जी.
बहुत बढ़िया जी..............
आनन्द आ गया
ये छत्तीस गढ़ वाले कमाल के लोग हैं भाई !
प्यार करते हैं तो इतना करते हैं
कि पप्पियाँ ले ले कर गाल लाल कर देते हैं
______आपकी सुखद यात्राओं के लिए शुभ कामनाएं
शुभकामनाएँ..
इब क्या जवाब दूं योगेनदर भाई।आप हमारे गांव आये तो हमणे आप को क्या दिया और हम आपके गांव आये तो आप हमको क्या देकर लौटा रहे हैं?
वैसे आपके सवाल का जवाब बहुत टेढा है जी।
पहले से ही सभी से माफ़ी मांग लेता हूं क्योंकि होली के मौके पर की बात पर ये सवाल है तो जवाब भी होलियाना मूड मे ही दे रहा हूं।जिसे इसमे अभद्रता,असभ्यता,अश्लीलता दिखे तो कृपा कर बुरा मत मानो होली है समझ कर माफ़ कर देना।
हां तो भाईजी आपने पूछा की रायपुर मे महिलायें पत्रकारिता से शायद दूर रहती हैं?दूर-वूर नही रहती भाईजी वो होली के दिन प्रेस क्लब से दूर रहती हैं।अब सोचो वो वाला कटहल किसी महिला को दे देते या दूसरे नेताओं को दिये गये बैंगन,लौकी तो चल जाते मगर फ़ूल गोभी देता तो क्या हो जाता?बाकी सब ठीक है महिलायें भी बहुत हैं मगर होली मे आओगे तो देखोगे कैसे?
एक बार फ़िर क्षमा सहित होली के सवाल का होली से जवाब है।
इब क्या जवाब दूं योगेनदर भाई।आप हमारे गांव आये तो हमणे आप को क्या दिया और हम आपके गांव आये तो आप हमको क्या देकर लौटा रहे हैं?
वैसे आपके सवाल का जवाब बहुत टेढा है जी।
पहले से ही सभी से माफ़ी मांग लेता हूं क्योंकि होली के मौके पर की बात पर ये सवाल है तो जवाब भी होलियाना मूड मे ही दे रहा हूं।जिसे इसमे अभद्रता,असभ्यता,अश्लीलता दिखे तो कृपा कर बुरा मत मानो होली है समझ कर माफ़ कर देना।
हां तो भाईजी आपने पूछा की रायपुर मे महिलायें पत्रकारिता से शायद दूर रहती हैं?दूर-वूर नही रहती भाईजी वो होली के दिन प्रेस क्लब से दूर रहती हैं।अब सोचो वो वाला कटहल किसी महिला को दे देते या दूसरे नेताओं को दिये गये बैंगन,लौकी तो चल जाते मगर फ़ूल गोभी देता तो क्या हो जाता?बाकी सब ठीक है महिलायें भी बहुत हैं मगर होली मे आओगे तो देखोगे कैसे?
एक बार फ़िर क्षमा सहित होली के सवाल का होली से जवाब है।
इब क्या जवाब दूं योगेनदर भाई।आप हमारे गांव आये तो हमणे आप को क्या दिया और हम आपके गांव आये तो आप हमको क्या देकर लौटा रहे हैं?
वैसे आपके सवाल का जवाब बहुत टेढा है जी।
पहले से ही सभी से माफ़ी मांग लेता हूं क्योंकि होली के मौके पर की बात पर ये सवाल है तो जवाब भी होलियाना मूड मे ही दे रहा हूं।जिसे इसमे अभद्रता,असभ्यता,अश्लीलता दिखे तो कृपा कर बुरा मत मानो होली है समझ कर माफ़ कर देना।
हां तो भाईजी आपने पूछा की रायपुर मे महिलायें पत्रकारिता से शायद दूर रहती हैं?दूर-वूर नही रहती भाईजी वो होली के दिन प्रेस क्लब से दूर रहती हैं।अब सोचो वो वाला कटहल किसी महिला को दे देते या दूसरे नेताओं को दिये गये बैंगन,लौकी तो चल जाते मगर फ़ूल गोभी देता तो क्या हो जाता?बाकी सब ठीक है महिलायें भी बहुत हैं मगर होली मे आओगे तो देखोगे कैसे?
एक बार फ़िर क्षमा सहित होली के सवाल का होली से जवाब है।
इब क्या जवाब दूं योगेनदर भाई।आप हमारे गांव आये तो हमणे आप को क्या दिया और हम आपके गांव आये तो आप हमको क्या देकर लौटा रहे हैं?
वैसे आपके सवाल का जवाब बहुत टेढा है जी।
पहले से ही सभी से माफ़ी मांग लेता हूं क्योंकि होली के मौके पर की बात पर ये सवाल है तो जवाब भी होलियाना मूड मे ही दे रहा हूं।जिसे इसमे अभद्रता,असभ्यता,अश्लीलता दिखे तो कृपा कर बुरा मत मानो होली है समझ कर माफ़ कर देना।
हां तो भाईजी आपने पूछा की रायपुर मे महिलायें पत्रकारिता से शायद दूर रहती हैं?दूर-वूर नही रहती भाईजी वो होली के दिन प्रेस क्लब से दूर रहती हैं।अब सोचो वो वाला कटहल किसी महिला को दे देते या दूसरे नेताओं को दिये गये बैंगन,लौकी तो चल जाते मगर फ़ूल गोभी देता तो क्या हो जाता?बाकी सब ठीक है महिलायें भी बहुत हैं मगर होली मे आओगे तो देखोगे कैसे?
एक बार फ़िर क्षमा सहित होली के सवाल का होली से जवाब है।
भाई जी कटहल की फोटो ही दिखा देते...फिर चाहे पका के खा लेते या कुछ और उपयोग में ले लेते...क्षणिका खूब जोर की लगी...भिवानी कवि सम्मलेन की रीपोर्ट का इंतज़ार है....जल्दी आन दयो...
नीरज
इस व्यस्तता के लिए बधाई।
ललित जी की बात सही है --चाला पाड़ दिया आज तो।
बहुत बढ़िया जी..............
आनन्द आ गया......
मुफ़्त का बदला मुफ़्त से :)
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