शासक अपने-अपने ढंग से इतिहास को मोड़ गये.
हव्वा का हंटर से रिश्ता शुरूआत से जोड़ गये.
आवारा सपनों की खातिर आग लगा कर गली-गली,
घर के आंगन की आंखों में जलता जंगल छोड़ गये.
कैसे थे वो लोग न जाने बस्ती-बस्ती रहते थे,
बूढ़ी लाठी तोड़ गये जो बचपन को झिंझोड़ गये.
रौब, गालियां, बलात्कार, उत्पीड़न, आंसू, अंगारे,
औरत के हिस्से में वो कैसे नज़राने छोड़ गये.
रात हवा ने दस्तक दी तो बूढ़ा दरवाज़ा बोला,
जाने वाले चले गये पर आंगन सूना छोड़ गये.
--योगेन्द्र मौदगिल
24 comments:
रात हवा ने दस्तक दी तो बूढ़ दरवाज़ा बोला
जाने वाले चले गये पर आंगन सूना छोड़ गये
बहुत सुंदर! हिंदी-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
बेहतरीन!!
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.
जय हिन्दी!
आपका हिन्दी में लिखने का प्रयास आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकरणीय उदाहरण है. आपके इस प्रयास के लिए आप साधुवाद के हकदार हैं.
आपको हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
प्रभावित करती एक और रचना !
भावनात्मक प्रस्तुती....सुन्दर
regards
भावनात्मक प्रस्तुती....सुन्दर
regards
रात हवा ने दस्तक दी तो बूढा दरवाजा बोला
जाने वाले चले गए आँगन सूना छोड़ गए
बहुत ही बढिया, मोदगिल जी !
बहुत बेहतरीन भाई. आजकल कित गायब हो लिये?
रामराम.
रात हवा ने दस्तक दी तो बूढ़ दरवाज़ा बोला
जाने वाले चले गये पर आंगन सूना छोड़ गय
बहुत खूब आखिरी तीनो शे र लाजवाब हैं बधाई
जब इंसान की फ़ितरत देखी,बरबस मुँह से निकल पड़ा,
जो दिल से दिल मिलते थे, अब वो सारे होड़ गये.
बढ़िया भाव..बढ़िया रचना...
Maktaa pasand aaya.
लाजवाब , बहुत खुब। शानदार रचना।
भाई जी....जय हो...और क्या कहूँ...???
नीरज
कमाल guru dev ......... आपके अपने andaaz की tez dhaar ......... pranaam hamaara
बहुत बहुत ही सुन्दर रचना............गहरे उतार ले गयी बन्धू
अत्यंत मार्मिक रचना।
{ Treasurer-S, T }
बहुत ही सुन्दर.....हमेशा की तरह.
पढ़कर आनंद आ गया बढ़िया रचना . धन्यवाद
पढ़कर आनंद आ गया बढ़िया रचना . धन्यवाद
bahut khoob. badhaai.
PAhli do panktiyon ne khas taur par kaphi prabhavit kiya.Yun hi likhte rahiye.
नमस्कार यौगेन्द्र जी,
समाज पे कटाक्ष करती हुई ग़ज़ल बहुत खूब कही है आपने.
ऐसी गज़लें बहुत कम देखने को मिलती हैं.
जाने वाले चले गये पर आंगन सूना छोड़ गये
बहुत खूब!
लाजवाब शेर सारे के सारे गुरूवर !
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