कातिल हुए पुजारी देख.....

कातिल हुए पुजारी देख.
लिये धर्म की आरी देख.

हाय, हया को आखिरकार,
लील गयी बेकारी देख,

बाप मरा सो मरा, हुई,
घर में मारामारी देख.

स्वयं द्वार पर आ बैठी,
नौटंकी सरकारी देख.

आंखों में अलगाव की आग,
बातों में बमबारी देख.

सपने कुण्ठित बापू के,
बेटों की बदकारी देख.
--योगेन्द्र मौदगिल

26 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सही लिखा, शुभकामनाएं.

रामराम.

रविकांत पाण्डेय said...

पढ़ना शुरू किया तो लगातार चार बार पढ़ा। पूरी गज़ल जुबान पर चढ़ गई। बधाई। बहुत सुंदर है।

दिगम्बर नासवा said...

AAPKE HAR SHER MEIN JEEVAN KA SATY CHIPA HAI ..... LAJAWAAB SHER LIKHE HAIN ..... BAHOOT HI SUNDAR... BADHAAI....

राज भाटिय़ा said...

बाप मरा सो मरा,
हुई घर में मारामारी देख.
वाह जनाब आज का सच लिख दिया आप ने.
धन्यवाद

Anil Pusadkar said...

बेटों की बदकारी वाली बात जमी योगेंद्र भाई।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...
This comment has been removed by the author.
Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

अखों में अलगाव की आग
बातों में बमबारी देख।।

वाह्! क्या कमाल लिखा है!!
जमाने का सच!!

Chandan Kumar Jha said...

बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने । आभार ।

Yogesh Verma Swapn said...

wah, wahi prashn bar bar aata hai kis sher ki tareef karun kiski nahin , sabhi ek seek badhkar, lajawaab,

badhai sweekaren.

Udan Tashtari said...

बाप मरा सो मरा,
हुई घर में मारामारी देख.


-सच लिख मारा भाई!! बहुत खूब!!

अमिताभ मीत said...

हाय, हया को आखिरकार
लील गई बेकारी देख

आँखों में अलगाव की आग
बातों में बमबारी देख

कमाल है.

संजय तिवारी said...

आपकी लेखन शैली का कायल हूँ. बधाई.

दिनेश शर्मा said...

बहुत बढिया । साधुवाद।

श्रद्धा जैन said...

हाय, हया को आखिरकार
लील गई बेकारी देख

आँखों में अलगाव की आग
बातों में बमबारी देख

sare hi sher sach kah rahe hain baar baar padha aur gazal dil tak utar gayi man jhoom utha
lay aur khyaal aur baat kahne ka andaaz sab man mein bus gaya

bahut bahut badhayi

"अर्श" said...

सपने कुंठित बापू के
बेटों की बदकारी देख..

रचना में सच्चाई कैसे लिखी जाए बेबाकी से कोई आपसे सीखे हुज़ूर ,,, कमाल की बातें की है आपने .. कास के लगाया गाल पे सबके .. बधाई इसके लिए..

अर्श

Vineeta Yashsavi said...

Puri Gazal hi bahut achhi hai per mujhe shuru ki 2 lines bahut zyada achhi lagi...

मोहन वशिष्‍ठ said...

वाह जी मौदगिल साहब बेहतरीन गजल पेश की है मजा आ गया पढकर

ओम आर्य said...

NATMASTAK HU..........

नीरज गोस्वामी said...

भाई जी क्या कहूँ...गज़ब कर दिया आपने...एक एक शेर कमाल का लिखा है...भाई जी वाह...
नीरज

Vinay said...

आशा है आपको नये विजेटों का लाभ मिल रहा होगा। रचना वाक़ई बहुत प्रभावित करती है।

Abhishek Ojha said...

वाह !

Khushdeep Sehgal said...

योगेन्द्र भाई, पहले तो मेरी अज्ञानता के लिए क्षमा कीजिएगा, अपनी पोस्ट में आपका नाम मौदगिल की जगह मुदगल लिख गया था...दूसरी बात ये कि मुझे राजीव तनेजा जी की किस्मत से बड़ा रश्क हो रहा है...ट्रेन छूट गई और आपका आधे घंटे का साथ उन्हें और मिल गया...काश...ऊपर वाले ने हम पर भी ऐसी मेहरबानी की होती...चलिए शायद फिर कभी ये हसरत पूरी हो जाए...

राजीव तनेजा said...

बाप मरा सो मरा,
हुई घर में मारामारी देख

आपकी हर रचना मुझे निशब्द कर देती है...

रंजना said...

इतने शब्द तो हैं नहीं अपने पास कि आपकी रचना के योग्य उपयुक्त शब्दों का प्रयोग कर सकें...सो बस इतना ही कहेंगे....लाजवाब !!!

Asha Joglekar said...

sapne unthit Bapoo ke
beton kee badkaree dekh.

Isaki suruwat to Bapoo ne marane se
pehale hee dekh lee thee . par han tab aise log kum aur achche jyada the ab to.......................
Baharhal aapki gajal sadabahar hai.

विनोद कुमार पांडेय said...

चार लाइन मैं भी बढ़ा देता हूँ

भारत की यह सूरत देख,
व्यवस्था सरकारी देख,
घूम रहा है भूखा मानव,
जल की मारामारी देख..

बहुत बढ़िया ..भाव लिए कविता दिल को छू लेती है...बधाई..