दो चुनावी छंद...

भगवान महावीर जयन्ती के उपलक्ष्य में देश भर में आयोजित कवि-सम्मेलनीय श्रंखला के चलते कईं दिनों के पश्चात इस चुनावी माहौल में दो मंचीय छंदों के साथ उपस्थित हूं

जंगल में घोषित हुआ जब से चुनाव प्यारे
बाज लगे चिड़ियों के हाथ-पांव थामने
शेरों का टिकट कट गीदड़ों को मिल गया
शेरों को डुबोया भाई कुल-गोत्र नाम ने
भेड़ियों ने मेमनों का ऐसा सत्कार किया
भूल गये मेमने कि भेड़िये हैं सामने
ऐसा दुर्दिन दिखलाना ही लिखा था भाई
भारत के भाग्य और भारती के राम ने

द्वार-द्वार घूमते हैं चूमते हैं वोटरों के
हाथ-पांव सिर-पेट और नाक-कान जी
इलैक्शन से पहले द्वार-द्वार वोटरों को यह
बांटते हैं अपने पिता सा सम्मान जी
नेता बहुरूपिये प्रयासरत इन दिनों
जनता में बन जाये अच्छी पहचान जी
पांच-सात दिन बोयें वायदों के बीज फिर
पांच साल काटते रहेंगें हिन्दुस्तान जी
--योगेन्द्र मौदगिल


39 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

मजेदार चुनावी छंद .

कौतुक said...

बहुत सुन्दर.

पंकज सुबीर said...

धर के और मिला के दिया है हाथ योगेंद्र जी आपने । इसे ही तो कहा जाता है मारो कहीं लगे वहीं । अच्‍छा है ।

अजय कुमार झा said...

bahut badhiyaa yogendra bhai, khoob bhigaa bhigaa ke mara hai, maja aa gaya.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत नायाब छंद.

रामराम.

Yogesh Verma Swapn said...

bahut khoob mudgil ji , sunder chhand haindon aaj ke haalaat par sunder kataksh.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

वाह वाह कितना सटीक

Dr. Amar Jyoti said...

चुटीला व्यंग। बधाई।

Anil Pusadkar said...

सटीक। सही निशाने पर लगे है शब्द बाण्॥

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

अच्छी पार्टियाँ बुरे उम्मीदवार खड़े करके और कमज़ोर हो रही हैं.

Abhishek Ojha said...

जबरदस्त !

कंचन सिंह चौहान said...

nice Satire...!

Vineeta Yashsavi said...

द्वार-द्वार घूमते हैं चूमते हैं वोटरों के
हाथ-पांव सिर-पेट और नाक-कान जी
इलैक्शन से पहले द्वार-द्वार वोटरों को यह
बांटते हैं अपने पिता सा सम्मान जी

Neta ji logo ki achhi dhulai ki hai apne...

सुशील छौक्कर said...

शानदार, जानदार।

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बेहतरीन!!

मोहन वशिष्‍ठ said...

मौदगिल साहब जी आप की कई दिनों की अनुपस्थिति लगा दी है बाकी शानदार वापसी की है आपने अब लग रहा है कि आपका टूर सैंक्‍शन करना ही पडेगा कभी इधर भी देख लो एक नजर कि कैसा चुनाव हो रहा हे आपको ये कहना तो अच्‍छा लगता नहीं कि वाह जी वाह अच्‍छा लिखा हे क्‍योंकि आई एम दा बेस्‍ट वाली पालिसी आप पर लागू हो चुकी है काफी पहले से

मोहन वशिष्‍ठ said...

अरे अरे माफ करना आपको नमस्‍कार तो लिखा ही नहीं सर्वप्रथम आपको नमस्‍कार और सब राजी खैर सा अल्‍लाह माफ करना नमस्‍कार नहीं करने की गलती हो गई माफी चाहूंगा

दिगम्बर नासवा said...

मोदगिल साहब............सुन्दर व्यंग है............आज की राजनीति ने बहुत खूबसूरत व्यंगकारों और व्यंगों की उत्पत्ति की है...........आप आप तो उन सब के सिरों का ताज हो

दिनेशराय द्विवेदी said...

योगेन्द्र भाई, ये केवल मंचीय नहीं हैं।

Science Bloggers Association said...

जानवरों के बहाने चुनाव का सही खाका खींचा है। बधाई।
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जादू की छड़ी चाहिए?
नाज्का रेखाएँ कौन सी बला हैं?

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

bahut khoob, teekha vyangya

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

मौदगिल जी, बिल्कुल अचूक निशाना साधा है......(आपकी ईमेल अभी तक नहीं आई)

jamos jhalla said...

waaydon ki 5saal tak fasal kaatne waalon ko aapne khoob kaataa.saadhuvaad
jhallevichar.blogspot.com

Manish Kumar said...

sahi vivechna ki hai apne is chhand ke madhyam se netaon ki

गौतम राजऋषि said...

आपकी अनुपास्थिती से लग तो गया था मुझे कि आप व्यस्त होंगे कवि-सम्मेलन में

और इस धमाकेदार छंद के साथ वापसी बड़ी जोरदार रही है...

Riya Sharma said...

योगेन्द्र जी

बहुत समृद्ध प्रोफाइल पेज व विनम्र वक्तित्य

आपकी रचनाओं के लिए तो शब्द विहीन हो इतना ही
आप लिखते रहे ,हम सभी का मार्ग प्रशस्त करतें रहें

मेरे ब्लॉग पर आपके पद चिन्हों व हौसलाअफजाई का बहुत शुक्रिया

सादर !!!

नीरज गोस्वामी said...

पांच सात दिन बोयें वायदों के बीज फिर
पांच साल काटते रहेंगे हिंदुस्तान जी

बेजोड़ भाई जी बेजोड़...क्या बात है..छंद हैं या आज के नेताओं के मुंह पर करार तमाचा है...जय हो..
नीरज

hem pandey said...

'पांच-सात दिन बोयें वायदों के बीज फिर,
पांच साल काटते रहेंगे हिन्दुस्तान जी'
-चुटीले अंदाज में यथार्थ बयान किया है.साधुवाद.

"अर्श" said...

AAKHIR KAAR JOR SE MAAR HI DIYA FIR SE AAPNE......AAP TO BYANG SAMRAAT HAI.........

Alpana Verma said...

बहुत ही जबरदस्त छंद कहे हैं.
सही वर्णन किया है.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

चुनावी दशा को छंदो में बहुत खूबसूरती से बांधाहै आपने, बधाई।

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खुशियों का विज्ञान-3
ऊँट का क्‍लोन

Urmi said...

पहले तो मै आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हू कि आपको मेरी शायरी पसन्द आयी !
बहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने ! इसी तरह से लिखते रहिए !

जयंत - समर शेष said...

सुन्दर अति सुन्दर...
शेर और भेडिये वाली बात बहुत सुन्दर थी..

~जयंत

रविकांत पाण्डेय said...

वाह! वाह! ऐसा लगा रहा है जैसे बिल्कुल कवि-सम्मेलन में बैठकर सुन रहा हूं। जीवंत एवं प्रासंगिक रचना हेतु बधाई।

Harshvardhan said...

bahut sundar...

Shamikh Faraz said...

kya chunavi chhand likha hai aapne. bahut sundar. yogendra ji aapki kavitaon ki jitni taareef ki jaye waqai kam hai. aik aagrah hai aapse agar waqt mile to mere blog par bhi aayen. dhanyavaad.

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

पांच-सात दिन बोयें वायदों के बीज फिर
पांच साल काटते रहेंगें हिन्दुस्तान जी

कितना बढिया धन्धा है न!

Science Bloggers Association said...

बढिया है।
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सम्मोहन के यंत्र
5000 सालों में दुनिया का अंत

Asha Joglekar said...

aana na inaki baton men Zoot ke ye boyen beej
katate rahenge aap babol sochke aam ji

Badhiya.