होठों पर जयघोष, आंख में रखते हैं अभिसार मियां.
भोली मुस्कानों का जम कर करते हैं व्यापार मियां.
चंदन, भगवा, टोपी, दाढ़ी, मंदिर, मस्ज़िद, गुरद्वारे,
भगवान को सुलटाने खातिर भी हैं कितने हथियार मियां.
सच पूछो तो बात प्यार की करना भी बे-मानी है,
ख़ार ज़ेहन में, ख़ार आंख में, तन-मन खारोंख़ार मियां.
जिसके पास जो होगा बंधु वही तो पट्ठा बेचेगा,
इसीलिये तन बेचने वाले होते इज्जतदार मियां.
दौलत ही कम्बख्त सभी की, सब-कुछ हो गयी दुनिया में,
धर्म है पैसा, कर्म है डालर, तन रूबल-दीनार मियां.
ना जीने ना मरने देती ये दुनिया लेकिन फिर भी,
अच्छा चालचलन ही आदम-हव्वा का श्रंगार मियां.
मन में चैन कहां है उस के, तन में भी सुख नहीं रहा,
वो तो केवल लगा रहा है दौलत का अम्बार मियां.
--योगेन्द्र मौदगिल
27 comments:
बहुत लाजवाब.
रामराम
वही तो पठ्ठा बेचेगा....क्या बात कही आपने वाह फिर से जड़ दिया आपने तो कस के लाल करदिया गाल आपने वर्तमान का ... बहोत खूब... ढेरो बधाई साहब...
अर्श
hamesh ki tarah shaandaar, lajawaab rachna. badhaai.
वाह क्या बात है,योगेन्द्र भाई भगवान को सलटाने का हथियार भी खोज़ लाये।
lajawab gazal badhai
बेहतरीन......गजल का हरेक शेर एक से बढकर एक
पंडित वाली बातें आज कर गए मियाँ।
सच्चाई से खालीपन को भर गए मियाँ
बहुत ख़ूब!
चंदन, भगवा, टोपी, दाढ़ी, मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे,
भगवान को सुलटाने ख़ातिर भी हैं कितने हथियार मियां।
महावीर शर्मा
जिसके पास जो होगा बंधु वही तो पट्ठा बेचेगा,
इसीलिये तन बेचने वाले होते इज्जतदार मियां.
क्या बात है योगेन्दर जी , बहुत ही सटीक गजल लिखी आप ने...
आप का बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही बेहतरीन गज़ल लिखी है आपने।
जिसके पास जो होगा बंधु वही तो पट्ठा बेचेगा,
इसीलिये तन बेचने वाले होते इज्जतदार मियां.
एक और शेर है।
ना जीने ना मरने देती ये दुनिया लेकिन फिर भी,
अच्छा चालचलन ही आदम-हव्वा का श्रंगार मियां.
सच दिल खुश कर दिया।
इन सभी कविताओं को युगान्तरी शीर्षक से संकलित कर श्रोताओं और पाठकों को धन्य करें !
बेहतरीन गजल..
badhiya gazal. gar kabhi waqt mile to mere blog par bhi aayen.
दौलत ही कमबख्त सभी की सब कुछ हो गी दुनिया में
धर्म है पैसा, कर्म है डालर, तन रूबल दीनार मियाँ ।
बहुत बढिया ।
वैसे तो ये सारी बातें सब के मन में जाहिर हैं
तुमने कड़वा सच बोला है, कर डाला उपकार मियाँ
बहूत खूब
क्या बात लिखी है
भगवन को भी सुलटाने का इन्तेजाम है आजकल के लोगों के पास
सदा की ही तरह बेहद करारा !!!
अद्भुत शेर सारे-के-सारे और गज़ब काफ़ियों का संकलन...
दूसरा शेर खास कर आग लगने वाला है
बहुत सुंदर सर
हमेशा की तरह एक और छक्का और गेंद सीधा बाउंड्री लाईन के बाहर...
बेहतरीन गज़ल...बढिया शेर
आदमी का असली करेक्टर उभार कर रख दिया है आपने, बधाई।
'चन्दन,भगवा, टोपी…'
सटीक और सार्थक। बधाई।
repeat all the comments given above
आपकी गज़लो को टिप्पणी देना बड़ा कठिन काम होता है......! अद्भुत..!
दौलत ही कम्बख्त सभी की, सब-कुछ हो गयी दुनिया में,
धर्म है पैसा, कर्म है डालर, तन रूबल-दीनार मियां.
मौदगिल साहब जी बहुत बहुत मजा आ गया पढकर बहुत ही अच्छे शेर हैं सभी और इन शेरों से मिलकर बनी गजल क्या कहने
(देरी से आने के लिए माफी चाहूंगा)
waaah!
Umda gazal..
vyangy samoye hue...sher sahi vaar kartey hue hain...to seekh dete hue sher bhi bhaaye.
... दिल को छूने वाली अभिव्यक्ति है, प्रसंशनीय!!!
वाह !! बहुत सुंदर..
Post a Comment