पंडित जी क्या कहूं आप से
मर गई मछली निरे ताप से
वो जो हाथ फेर कर होता
कब होता है निरे जाप से
जिसको सीधे समझ ना आई
उसने समझी निरे शाप से
निर्णय लेना भी निर्णय है
पूछ देखिये स्वयं आप से
लोटा चुटिया धोती माला
दूर भेजती यार खाप से
कंठी वाला तोता बोला
कभी ना फिरना यार बाप से
रिश्ता तो रिश्ता है दादा
ना तो हम से नहीं नाप से
--योगेन्द्र मौदगिल
29 comments:
Waah ! ekdam sateek sundar aur karara...hamesha kee tarah...
शानदार। अच्छी लगी रचना।
bahut achhe .khas taur se pahla sher...pandit ji ke taap vaala.
बहुत बढ़िया, मौदगिल साहब!
चाँद, बादल और शाम
बहुत बढ़िया रचना .बधाई जी
maja aa gya.narayan narayan
वाह वाह प्रणाम है आपको गुरु जी.........
आपको गुरु मान लिया अब तो, इतनी पैनी रचनाएं सहज रूप से लिखना........
बस आपके ही बूते की बात है मोदगिल साहब.......प्रणाम
मौदगिल जी, यो तो आपनै घणा घौर पाप कर दिया. इब जे मछली मर ही गई है तो एक सोने की मछली बनवा के दान करनी पडेगी. इसका दोस तो जदी खतम होवेगा.
चिन्ता कोनी वत्स जी सोने की मछली लेकै ई असली रिड़काई थी
और दिगंबर जी गुरूडम तो बहुत ऊंची चीज़ हैं मैं कभी छलावे में नहीं रहता. मुझे भी विद्यार्थी ही समझें. जयादा से ज्यादा मानीटर मान लें.
और नारद जी, सिटिजन जी, विनय जी, अनुराग जी, हरि जी और रंजना जी आपके स्नेह को नमन करता हूं.
बहुत सुन्दर. सोने कि बनाने कि जरुरत कोणी नहीं. हल्दी पाउडर का बनाकर हिरण्य रूपेण दे सकते हैं. .
अच्छी रचना।
बहुत बढिया रचना है।
मौदगिल साहब आपकी पैनी नज़र के बारे में मैं क्या कहूँ बस यही के एक बार फिर करार लगाया सबको जोरसे ....
बहोत खूब दिया आपने ढेरो बधाई साहब....
अर्श
Yogendra ji ,
achchhee rachna hai.gahre bhavon ke sath.
HemantKumar
योगेन्दर जी लजाबाव रचना लिखि आप ने धन्यवाद
badhiya lagi....
क्या कहने योगेन्द्र भाई क्या कहने।
देर से आया.....
हर बार की तरह एक और धारदार रचना
नमन साब को
hamesha ki tarah mast
बहुत बढ़िया
बहुत सुंदरतम रचना. शुभकामनाएं.
रामराम.
हमेशा की तरह एक शानदार गजल।
यार मर गई मछ्ली तो आपको पका के खा जाना चाहिए था. फालतू में कविता लिखने क्यों बैठ गए?
पकाने-खाने के बाद बची मुंडी, पूंछ और कांटा इष्टदेव जी को भेज देना.वे भी बड़े चभोक खवैया हैं.
मछली गीतिका -मैंने सोचा यह मेरे विभाग की बुलाहट है क्या और सहज बोध से यहाँ आ पर यह तो कामदेव का पताका चिन्ह निकला !
सटीक एवं सारगर्भित रचना के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई
निर्णय लेना भी निर्णय है
पूछ देखिये स्वयं आपसे
क्या शेर निकला है भाई जी...ग़ज़ब कर दिया आपने...ग़ज़ब क्या भारी ग़ज़ब...
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है ...हमेशा की तरह...
नीरज
Nice. Matlaa is great!
Nice. Matlaa is great!
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