सरदारनी का दूध शर्मसार ना करो..........

दो मुक्तक और फ़क़त आज के लिए.........

दे भ्रष्टता को दंड ऐसी लोकशाही दे..
अन्ना को सारे देश की तू वाहवाही दे..
इन हीजडों का वोट से संहार करेंगे,
ये आज के दिनमान को दिल्ली गवाही दे...

लोकतंत्र पे अरे तुम वार ना करो..
अमृत जो चखा है उसे बेकार ना करो..
सत्ता तो चार दिन की मौज, इस के लिए तुम,
सरदारनी का दूध शर्मसार ना करो..
---योगेन्द्र मौदगिल

10 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

aapne do muktakon me sachchai bayan kat di..

प्रवीण पाण्डेय said...

देश सुदृढ़ हो।

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत खूब...अच्छी ललकार है...

vandan gupta said...

वाह योगेन्द्र जी आपने बिल्कुल सही कहा है।

संगीता पुरी said...

वाह ...

ताऊ रामपुरिया said...

अति कटु किंतु आवश्यक, बहुत शुभकमनाएं.

रामराम.

Unknown said...

जय हिन्द !

डॉ. मनोज मिश्र said...

@@सरदारनी का दूध शर्मसार ना करो..
काश इसी से आँख खुल जाय ,आभार.

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर...

एक 'ग़ाफ़िल' से मुलाक़ात याँ पे हो के न हो

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

बहुत सुन्दर और सार्थक आइये सब मिल आवाज बुलंद करें
भ्रमर ५