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शेमशेम (नौएडा के आरुषी हत्याकांड पर)

जिस-जिस ने मन पर लिखे अपने काम प्रबन्ध.
उनके क्या रिश्ते भला, उनके क्या सम्बन्ध.
उनके क्या सम्बन्ध, देह बस काम दीवानी.
क्षणिक मजे की खातिर खून भी हो गया पानी.
कहे 'मौदगिल' लुढ़क गया रिश्तों का पारा.
पिता ही निकला आखिर बेटी का हत्यारा.
--योगेन्द्र मौदगिल

शेम शेम

सरबजीत दुर्भाग्य का, ऐसा कड़ा शिकार.
कोई भी मंत्री नहीं उसका रिश्तेदार.
उसका रिशतेदार, अगर ऐसा हो जाता.
कब का होकर मुक्त, लौट वो घर को आता.
सुनो 'मौदगिल' पाटिल जी का राग शिखंडी.
संसद हमलावर को भी दे दी हरी झंडी.
--योगेन्द्र मौदगिल