दो मुक्तक और फ़क़त आज के लिए.........
दे भ्रष्टता को दंड ऐसी लोकशाही दे..
अन्ना को सारे देश की तू वाहवाही दे..
इन हीजडों का वोट से संहार करेंगे,
ये आज के दिनमान को दिल्ली गवाही दे...
लोकतंत्र पे अरे तुम वार ना करो..
अमृत जो चखा है उसे बेकार ना करो..
सत्ता तो चार दिन की मौज, इस के लिए तुम,
सरदारनी का दूध शर्मसार ना करो..
---योगेन्द्र मौदगिल
10 comments:
aapne do muktakon me sachchai bayan kat di..
देश सुदृढ़ हो।
बहुत खूब...अच्छी ललकार है...
वाह योगेन्द्र जी आपने बिल्कुल सही कहा है।
वाह ...
अति कटु किंतु आवश्यक, बहुत शुभकमनाएं.
रामराम.
जय हिन्द !
@@सरदारनी का दूध शर्मसार ना करो..
काश इसी से आँख खुल जाय ,आभार.
बहुत सुन्दर...
एक 'ग़ाफ़िल' से मुलाक़ात याँ पे हो के न हो
बहुत सुन्दर और सार्थक आइये सब मिल आवाज बुलंद करें
भ्रमर ५
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