दो मुक्तक.....
आज १७ अगस्त २०११ के हालात के नाम
मूर्खता का तूने तो चट्टा लगा दिया.
राष्ट्रवादी दूध में खट्टा लगा दिया.
ना तो कहीं से सिंह व मोहन भी नहीं तू,
तूने तो सारे देश को बट्टा लगा दिया..
भ्रष्टाचारियों का नरक-द्वार है तिहाड़.
अन्ना को दी पनाह, नमस्कार है तिहाड़..
अनशन के लिए जिनको तेरी गोद मिल गयी,
उन के लिए तो काशी-हरिद्वार है तिहाड़..
--योगेन्द्र मौदगिल
11 comments:
@@मूर्खता का तूने तो चट्टा लगा दिया.
राष्ट्रवादी दूध में खट्टा लगा दिया.
ना तो कहीं से सिंह व मोहन भी नहीं तू,
तूने तो सारे देश को बट्टा लगा दिया..
वाह-बहुत खूब.
aaj ke haalaton par ekdam sahi..
राई या पहाड़,
अन्ना को तिहाड़?
बहुत बढ़िया ...
बहुत खूब !!
bas maza aa gaya /\
करारा व्यंग....
सब सच बता दिया।
अनशन के लिए जिनको तेरी गोद मिल गयी,
उन के लिए तो काशी-हरिद्वार है तिहाड़॥
वाह , क्या बात कही है ।
शुभकामनायें भाई जी ।
जय हिन्द
ना तो कहीं से सिंह व मोहन भी नहीं तू,
तूने तो सारे देश को बट्टा लगा दिया..
सुंदर व्यंग से मन को प्रसन्न कर दिया.
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