सविता भाभी सबसे ज्ञानी लगती है.......

दारुबाज़ी उन्हें सुहानी लगती है.
लालपरी ही रात की रानीलगती है..

जान गए हम मनमोहन की लीला को,
उन्हें सोनिया ही महारानी लगती है..

जिन को बीवी लगती बोरिंग लघुकथा,
उन्हें पड़ोसन मस्त कहानी लगती है..

इंटरनेट के देवर ये महसूस रहे,
सविता भाभी सबसे ज्ञानी लगती है..

दांव-पेंच दुनिया के सारे सीख लिए,
चाँद पे बैठी बुढ़िया कानी लगती है..

आँख पे चश्मा, मूंह पर पट्टी है जालिम,
आज़ादी भी ऐंच-कतानी लगती है..

सूरज-चंदा-तारे प्यारे लगते हैं,
आदम को धरती बेगानी लगती है..

जब से  रिश्ता खुराफात से जोड़ लिया,
रीत प्यार की उन्हें पुरानी लगती है..
-- योगेन्द्र मौदगिल 

 २४ जुलाई २०११ को दिल्ली राज्य ब्राह्मण  सभा ने 
प्रतिभा पूजन समारोह किया था..प्रस्तुत दोनों चित्र वहीँ के हैं...

19 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

@
आँख पे चश्मा, मूंह पर पट्टी है जालिम,
आज़ादी भी ऐंच-कतानी लगती है..
वाह,बहुत खूब.

रश्मि प्रभा... said...

badhiyaa hai...

Satish Saxena said...

और नैट से ज्ञान मिलेगा? पता नहीं
सविता भाभी, बड़ी पापुलर लगती है !

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर...बधाई

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

Fantastic !!

Pawan Kumar said...

मौदगिल जी
सूरज-चंदा-तारे प्यारे लगते हैं,
आदम को धरती बेगानी लगती है..

बहुत प्यारा शेर कह दिया आपने...... वाह !!!

ताऊ रामपुरिया said...

आज तो कती ताऊ के खूंटे तैं भी घणा बडा खूंटा सा गाड राख्या सैं भाई.:)

रामराम.

shyam gupta said...

sundar...

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुन्दर बहुत बहुत ....बधाई

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बढ़िया पेशकश ... सविता भाभी से मुलाक़ात नहीं हुई

Unknown said...

ha ha ha ha

savita bhabhi zindabad !

प्रवीण पाण्डेय said...

गज़ब लिखा है।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

राम राम भाई जी,
प्रतिभा सम्मान की घणी घणी बधाई
सविता भाभी नै भी राम राम

डॉ टी एस दराल said...

हा हा हा ! सावन में फागुन का मज़ा आ गया भाई जी ।

SKT said...

क्या खूब कहा है मौदगिल साहब! मजा आ गया ग़ज़ल पढ़ कर.

Pritishi said...
This comment has been removed by the author.
Udan Tashtari said...

बहुत सन्नाट...वाह!

vijay kumar sappatti said...

बाप रे .. क्या लगाया है योगेन्द्र जी .. दिल को धडका गया .. सविता भाभी वाला किस्सा.
गज़ल क्या है , सारे ब्लोगेर्स कि छुपी हुई कहानी है ..लेकिन आपका अंदाज़ बहुत खूब है ... वाह बधाई स्वीकार करो ..

आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

waah moudgil ji.. waah...