बातों से यार, फलसफा गुम है.
मेरा खुद से ही वास्ता गुम है.
मेरी आंखों में खोज ले उस को,
फिर न कहना यहां खुदा गुम है.
मौन पीपल है, चुप है मौलशिरी,
इस कदर सांझ से हवा गुम है.
दरमियानी सी सांवली छोरी,
कितनी खुश है कि आईना गुम है.
लोग विग्यापनों को बांच रहे,
मानो खबरों से वाकया गुम है.
दक्षिणा, चंदा-दान आश्रम का,
यही मुखरित है बस कथा गुम है.
लड़कियों ने बदल लिये चश्मे
बाप कहता है कि हया गुम है
मुआ जोबन है 'मौदगिल' बैरी,
गुम हैं गलियां तो रास्ता गुम है.
--योगेन्द्र मौदगिल
25 comments:
ras bhar diya
आज की सच्चाई को कहती अच्छी रचना ..
वाह मौदगिल ली, बधाई हो बधाई।
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जादुई चिकित्सा !
इश्क के जितने थे कीड़े बिलबिला कर आ गये...।
खुद से कभी वास्ता हकीकत में नहीं गुम होना चाहिए
बहुत ही सुन्दर रचना महोदय...बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई
सभी से गुम,
हमी गुमसुम।
सुन्दर प्रस्तुति ||
वाह कविराज वाह ....!
दरमियानी सी सांवली छोरी,
कितनी खुश है कि आईना गुम है.
भाई जी...जय हो.
नीरज
"लड़कियों ने बदल लिये चश्मे
बाप कहता है कि हया गुम है "
hats off to you zi
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किसी और की हो नहीं पाएगी वो ||
सच बयाँ कर दिया।
मेरी आंखों में खोज ले उस को,
फिर न कहना यहां खुदा गुम है
दो बार पढने के बाद भी मौन ही है, टिप्पणी में
प्रणाम
चटपटी ग़ज़ल ।
अपनी राम राम स्वीकारें ।
खूबसूरत गज़ल ....खूबसूरत क़ाफिया-रदीफ़....
मेरी आंखों में खोज ले उस को,
फिर न कहना यहां खुदा गुम है.
वाह,बहुत सुंदर.
बहुत आनन्ददायी...
बातों से यार, फलसफा गुम है.
मेरा खुद से ही वास्ता गुम है
achcha hai
बहुत सुन्दर रचना...महोदय आपकी यह उत्कृष्ट रचना दिनांक 19-07-2011 को मंगलवारीय चर्चा में चर्चा मंच पर भी होगी कृपया आप चार्चा मंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर पधार कर अपने सुझावों से अवगत कराएं
bahut badiyaa prastuti.majedaar bhi.badhaai aapko.
please visit my blog .thanks.
चटपटी प्रस्तुति
बहुत खूब कहा है ।
वाह! हकीकत का आईना है यह रचना....
सादर..
बहुत शानदार...
achchi ghazal .....vaah vaah.
hakikat bayan karti rachna..sarthak prayas
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