तुम श्लील कहो अश्लील कहो.....
एड्स विश्व की
सर्वाधिक विकृत बीमारी है
किन्तु फिर भी
सारा विश्व इसका आभारी है
क्योंकि जिस दिन डाक्टर
इस का इलाज जान लेंगे
तो ये कमबख्त दुनिया वाले
इसे भी :स्टेटस-सिम्बल' मान लेंगे.....
अपनी कारगुजारियां और तजुर्बे
मित्रों के गिरोह में बतियाएंगे
गोष्ठियों में इस तरह अनुभव सुनाएँगे
एक कहेगा कि
मैं डेढ़ सौ इस्त्रियों के साथ सो चूका हूँ
दूसरा कहेगा
अबे चुप्प
मैं तीन सौ लौंडो को धो चुका हूँ
तीसरा ठहाके से मुस्कुराएगा
और चौड़ा हो कर सुनाएगा
कि हमारा तजुर्बा
सब से भारी है
अरे
तुम को सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं आता है
हमें देखो
हम सीधा स्वर्ग कि सैर कर के आता है
क्योंकि सुबह सेक्स करता है
शाम को सेक्स करवाता है..
** योगेन्द्र मौदगिल
नोट :- नीले रंग में कम्पोज भाग पूर्व प्रकाशित है इस से आगे कम्पोज काली पंक्तियाँ सानुरोध प्रकाशित हैं.
8 comments:
भाई जी आपके सेन्स आफ ह्यूमर का जवाब नहीं...लाजवाब है जी...गज़ब का लेखन.
नीरज
शेष भाग पूरा करने में बडे दिन लगा दिये,
इन मनचलो ने टांग पकड तो नहीं रखी थी?
हमारे समाज में ऐसे भी मिल जायेंगे जो आपकी बात सच साबित कर दे
स्टेटस सिंबल
कुछ भी हो सकता है मानव जाति में
पशुओं के लिये स्टेट्स सिंबल के कोई मायने नहीं हैं और मानव पशुता में स्टेट्स सिंबल ढूंढता है।
प्रणाम स्वीकार करें
कुछ लोगों को इन पंक्तियों पर आपत्ति हो सकती है। लेकिन अभिव्यक्ति के लिये ये जरुरी था।
शीर्षक में आपका भय दिखता है, लेकिन बेफिक्र रहें। यहां सब बालिग हैं और आपकी बात को समझेंगें।
इंतजार था और भरोसा भी कि आप इस रचना को हमें पूरा जरुर पढवायेंगें।
प्रणाम और धन्यवाद भी
शीर्षक देख कर तो घबरा गया था अंदर तो एक चेतावनी है लोगों को .....
मुझे लगा कि गोपाल प्रसाद साहब की कविता और उसके परिप्रेक्ष्य में कुछ होगा. बहुत तीखा व्यंग्य है.
हा हा।
स्टेटस-सिम्बल!
एड्स के साथ जुड़कर इस शब्द की मारक क्षमता कई गुना बढ़ गई है।
..करारा कटाक्ष है।
Post a Comment