१७ मार्च २०११
१६ मार्च कि रात तो कट गई थी. डाक्टर के पास गया नहीं.
कंधे में मूवमेंट था पसलियाँ दुःख रही थी.
मांस फटने या कुछ क्रेक होने जैसे लक्षण नहीं थे.
१७ को सुबह १० बजे दर्द के मारे आँख खुली. रजनी ने मूव लगा दी.
पेन किलर खाया और आलू के परांठे भी. फिर सो गया.
दिन के १२ बजे होंगे कि
दिल्ली से डा. सारस्वत मोहन मनीषी जी का फोन आ गया.
उन्हें शायद कहीं से पता लग गया था...
बोले क्या स्तिथि है...
मैंने कहा जी बस ठीक हूँ.
तो शाम को आ सकोगे न
जी बिलकुल.. आप चिंता न करें
मैं पहुँच जाउंगा..
दरअसल उस समय दर्द बहुत हल्का था....
रजनी मेरी फोन वार्ता सुन रही थी....
चिंतातुर हो बोली... इन कवि सम्मेलनों को मारो गोली
और अपनी हालत देखो..चुपचाप आराम करो. सो जाओ.
और मैं आज्ञाकारी बच्चे कि तरह सो गया.
ठीक ३ बजे आँख खुली.
मैंने देखा. सभी सोए पड़े हैं.
कमबख्त दर्द भी हल्का-हल्का.
अपन ने सोचा, अब कहे कि चिंता... चलो दिल्ली चलें...
पीरा गढ़ी के पास उद्योग नगर में कविसम्मेलन था.
मैंने हाथ-मूंह धोया, कपडे पहने और हो गया तैयार...
पीछे देखा तो तो तीनो उठे हुए थे और मुझे ही देख रहे थे.
मैंने सभी को सांत्वना दी, कहा कि अब मुझे कोई दर्द नहीं है..
और फिर ये होली के कविसम्मेलन अगली होली पर ही आएँगे...
मैं ठीक हूँ जाने दो.
सभी ने मेरे जिद्दी स्वभाव का सम्मान करते हुए
अनमने ढंग से मौन स्वीकृति दे दी.
दिवाकर ने बाइक उठाई मुझे संजय चौक स्टैंड पर छोड़ा.
मैंने बस ली और दिल्ली कूच कर दिया.
गलती ये रही कि बाई-पास पर उतर लिया.
वहां से मेट्रो पकड़ वाया कश्मीरी गेट, इन्द्र लोक होते हुए
उद्योग नगर...
अब हुआ क्या मुझे दर्द होने लगा..दवा घर पर ही छोड़ दी थी.
मजबूरी कहिये या कविसम्मेल्नीय आदत
अपन ने सारा फैसला वोदका पर छोड़ दिया.
निश्चित समय से १ घंटे बाद कविसम्मेलन प्रारंभ हुआ.
डा. सारस्वत मोहन मनीषी, बागी चाचा, अशोक शर्मा,
राजेंद्र राजा (सभी दिल्ली) महेंद्र सिंह ( झज्जर ),
हलचल हरयाणवी (रेवाड़ी) और मैं पानीपत से उपस्थित रहे.
कविसम्मेलन बढ़िया रहा.
दिल्ली में कविसम्मेलन बस २ या २.५ घंटे भर के रहते हैं.
९ बजे तक कार्यक्रम निबटा और दस बजे तक भोजन आदि
कर हम सब वापसी निकल पड़े.
इस बीच दिल्ली में कई मित्रों को इस दुर्घटना का पता लग चूका था. बलजीत कौर, अशोक बत्रा, हरमिंदर पल व्
अन्य कई मित्रों के फोन आ रहे थे.
मनीषी जी ने मेरे दर्द को भांपते हुए कहा
अब पानीपत मत जाओ मेरे साथ मेरे घर चलो.
वोदका का प्रभाव समाप्त हो दर्द अपना प्रभाव दिखने पर आमादा था.
मैंने तय किया कि मनीषी जी के घर रोहिणी जाने कि बजाय
नवादा जहां मेरी साली रहती है वहां जाया जाए
क्योंकि १८ कि सुबह १० बजे बहादुरगढ़ के एक इंजीयरिंग कालेज में कविसम्मेलन है वहां पहुचने में आसानी रहेगी.
सो मैंने मनीषी जी से विनम्रता पूर्वक आगया ली
और नवादा का निश्चय कर निकल लिया.
मास्टर महेंद्र मेरे साथ था क्योंकि उन्हें झज्जर जाना था
उनका आग्रह था कि उनके साथ चालू ताकि
सुबह बहादुरगढ़ पहुचने में आसानी रहे.
पर मैं २ घंटे की गलत रूट से यात्रा कर नवादा पंहुचा.
साढू भाई सुशील शर्मा मेट्रो स्टशन पर ही मोजूद थे.
घर पहुंचा. मैंने कोशिश की कि इन्हें
मेरे इस दर्द या दुर्घटना का पता न चले पर मेरी
२७ साल पुरानी साली अनीता ने मेरी शक्ल देख कर ही ताड़ लिया
कि कुछ गड़बड़ है.
चूंकि मैं दवा भूल आया था सो बताने में ही फायदा था.
वो हतप्रभ हो सुनते रहे.
मुझे कॉफ़ी क साथ पेनकिलर दे साली जी ने मूव लेपन भी कर दिया.
और अपन ठाट से सो गए.
सुबह साली साहिबा मेरे पसंदीदा मूल के परांठे
बनाने कि तैयारी में थी पर मेरा मन खाने का बिलकुल नहीं था.
मैंने सिर्फ चाय ली और बहादुरगढ़ कि तरफ कूच किया.
९ बजे मैं बहादुरगढ़ pahunch gayaa.
aage ka haal kal ki post me filhaal 2 naye dohe swikaaren.........
जंतर-मंतर पर खड़े, अन्ना लिए उजास.
बाबा इक्यावन भये, राजनीत उनचास..
भ्रष्ट देश में भ्रष्ट हैं, सारे खासमखास.
ढोंगी, कामी, मूढ़, खर, नंगे चैनल-दास..
**** योगेन्द्र मौदगिल
23 comments:
ab aapka swasthy kaisa hai?
dhyaan rakhiyega.........
vodka par bharosa theek nahee........
अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखिये प्रभु जी
वाकी वोदका तो आती जाती रहेंगी ....!
योगेंदर भाई ,
बड़े प्यार से शरीर की चोटे बताई जा रही हैं, ........जय हो प्रभु !
अब जल्द स्वस्थ हों दीवाने आपका इंतज़ार कर रहे हैं ! शुभकामनायें !
इतना आनन्द लेकर चोट का दर्द झेल रहे हैं...
आशा है, अब तक स्थिति कहीं बेहतर होगी. शीघ्र पूर्ण स्वास्थ्य लाभ की कामना सहित.
चोटिल कहाँ और क्यूँ हुए ये पता न चला।
बाकी तो सब ठीक है। स्टील बॉडी का कुछ नहीं बिगड़ता।
अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिए .. शुभकामनाएं !!
भाई जी मुझे तो आज ही आपकी दुर्घटना का बेरा पड़ा...आपको तो बचना ही था...ना जाने कितने रोनी सूरत वालों को हंसाने का काम आपको अभी निपटाना है...कितने ही भ्रष्टाचारियों के चेहरे से नकाब हटाना है...अभी आपकी ऊपर जगह ना बनी...आप चिंता मत करो...जब टाइम आएगा हम पहले से ही बता देंगे...अभी तो धरती पे जो बोझ बने धरे हैं उन्हें ऊपर भेजना है...आपतो जी चिंता फिकर छोडो और हाँ दर्द का ईलाज दवा से करो दारु से नहीं...वैसे भी वोदका जैसे ड्रिंक में दर्द कम करने क्षमता कहाँ ?
दूसरी बात अपनी उम्र की कद्र करो भाई जी सींग कटा के बछड़े भले बन जाओ लेकिन बछड़ों की तरह कुलांचे मारने की कोशिश छोड़ दो...रात के टाइम पे गाडी घोडा मत चलाया करो...ज़िन्दगी में अब भाग दौड़ करने की ज़रुरत नहीं है जी टाबर बड़े हो गए अब तो जी आप मज़ा किया करो...बस.
जल्दी से फ़ौरन ठीक हो जाओ और वापस अपने सदा बहार रंग में लौट आओ ये ही प्रभु से कामना करता हूँ.
कटखड़ जी कैसे हैं ये बताएं.
नीरज
यह कविता मूव का असर थी तो हम भी लगवाते हैं मूव साली से।
कवियों की जिद के आगे सबको झुकना ही पड़ता है । वर्ना घर में ही सुनानी शुरू कर दी तो ? हा हा हा !
तलियार वाली वीडियो सुनकर मज़ा आ गया भाई ।
आदरणीय योगेन्द्र मौदगिल जी नमस्कार जय हो -अभिनन्दन है आप का यहाँ -अच्छा होता की आप कुछ अपने विचार रख कर जाते आइये अपना सुझाव व् समर्थन भी दें कृपया
आप की जीवन यात्रा भी एक कविता है बहुत सुंदर बनती है और साथ में
छोटे से दोहे -घाव करें गंभीर -
भ्रष्ट देश में भ्रष्ट है सारे खासमखास -बहुत सुन्दर -बधाई हो
ab to aap ki kavitayen ghar baithe sun enjoy karte hain bahut maja aata hai -dhanyvad
अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिये ...
हार्दिक शुभकामनायें !
जल्दी स्वस्थ हों .... शुभकामनायें !
अजी दर्द आप के हे ओर तडपा हमे रहे हे, ओर २५ साल पुरानी साली से लेप भी आप ने करवा लिया, ओर हमे बता ही नही भाई लखते जिगर यह कम्बखत दर्द किस जगह हे, आलू ओर मुली के परोंथे भी खा रहे हे वोदका भी पी रहे हे, लेकिन हमे बता नही रहे यह दर्द कहां हे? ओर हर बार दो शेर भी सुना रहे हो.... अजी आप के दर्द नही होग तो भी आप के शेर तो सुन ही लेगे, भाई अब जल्दी से बता दो यह कमबखत दर्द हे कहां, पुरा हिन्दुस्तान घुम कर यह साली के घर पर ही ठीक होता हे:) ओर हमे भी तडपा रहा हे, अगली पोस्ट मे बता दो, वर्ना भारत आ कर ओर छाती पर चढ कर पुछेगे कवि महाराज, बाबा यह दर्द हे या किसी हसीना का चेहरा जो थोडा थोडा दिखा रहे हो, ओर हमारी बेचेनी बढा रहे हो..
आपने बहुत सही शेर लिखा है....सच्चाई कह डाली आपने. सच तो बहरहाल यही है.....
भ्रष्ट देश में भ्रष्ट हैं, सारे खासमखास.
ढोंगी, कामी, मूढ़, खर, नंगे चैनल-दास..
कविता के आगे दर्द की भला क्या बिसात और फिर वोदका और साली सहिबा दोनों की सेवा थी कमाल तो होना ही था ।
दोहे जोरदार ।
जहाँ चाह, वहां राह...
आपके स्वास्थ्य की मंगल कामना करती हूँ!!!
श्रीमान जी,मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे.ऐसा मेरा विश्वास है.
श्रीमान जी, क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी कल ही लगाये है. इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.
आशा है कि अब तक आपकी तबियत ठीक हो गयी होगी। शुभकामनायें!
ूआप और बीमार? सुन कर हैरानी हुयी एक कविता सुना देते साली साहिबा को तुरंत ठीक हो जाते। कवि का हर दर्द ऐसे ही सही होता है।
दोहे सटीक हैं
भ्रष्ट देश में भ्रष्ट हैं, सारे खासमखास.
ढोंगी, कामी, मूढ़, खर, नंगे चैनल-दास..
स्वास्थ्य के लिये मंगल कामनायें
साली के घर इलाज, राज भाटिया जी ने तो सब कुछ कह दिया है।
आप अब तो पूर्ण रुप से ठीक होंगे।
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