14 मार्च है आज.
एकदम फुर्सत में हूँ.
न कोई कवि सम्मेलन न गोष्ठी.
जरूरी भी था क्योंकि जाट आरक्षण समर्थकों के
धरने के कारण रेल मार्ग अवरुद्ध थे
कहीं बस तो कहीं रेल..अपन पानीपत कल रात
ही पहुँच गए थे.....
खैर
१० मार्च को बरेली में
कुमार विश्वास (गाज़ियाबाद) सुरेन्द्र शर्मा (दिल्ली),
योगेन्द्र मोदगिल (पानीपत), कमलेश मृदु (सीतापुर) ,
अर्जुन सिसोदिया (गुलावठी), नेहा भारद्वाज (बदायू),
व्यंजना शुक्ल (लखनऊ), राजेश गौड़ व्
कमल सक्सेना बरेली उपस्थित रहे.....
ब्लागर दयानिधि वत्स जी
से होटल में ही मुलाकात हो गई थी पर
हम देरी से पहुंचे थे सो कोई सार्थक बातचीत नहीं हो सकी..
वो कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे या नहीं
ये मुझे अभी तक नहीं पता क्योंकि
तब से अब तक उनसे कोई बात नहीं हो सकी...
११ मार्च को भारत इंजीनियरिंग कालेज मोहना में
डाक्टर शम्भू सिंह मनहर (खरगोन), डाक्टर अशोक बत्रा (सोनीपत), डाक्टर गजराज कोशिक (गोहाना), कमल सक्सेना (बरेली),
योगेन्द्र मोदगिल (पानीपत), अशोक शर्मा (दिल्ली),
कीर्ति माथुर (अलीगढ) व् शशिप्रभा जी उपस्थित रही..
१२ मार्च के कार्यक्रम हरदोई में
रमेश शर्मा (चित्तोडगढ), शशिकांत यादव (देवास),
योगेन्द्र मोदगिल (पानीपत), संजय शुक्ल (कोटा),
उमेश उत्साही (जयपुर), सबरस मुरसानी (भरतपुर),
कमल सक्सेना (बरेली), राधेशाम भारती (इलाहबाद),
देवेश तिवारी (दिल्ली), अनु सपन (भोपाल) और
दादा वेदव्रत बाजपेई (लखनऊ) उपस्थित रहे...
सभी कार्यक्रम ठीक-ठाक निबटा कर
अपन पानीपत पहुँच गए और अब आपके समक्ष हैं....
तो हो जाए दो-चार पंक्तियाँ
लीजिये एक दोहा प्रस्तुत करता हूँ कि
क्या मेरी क्या आपकी सब की बात समान..
रोता जब-जब आदमी हँसता सकल जहान...
--योगेन्द्र मौदगिल
17 comments:
कायर्क्रम का व्यौरा देने के लिए धन्यवाद | और आदमी के रोने का कारण बताने के भी बहुत बहुत धन्यवाद
वाह वा ....वाह वा ....
शुभकामनायें साथ में !:-)
रीति यही है जीवन की,
न समझे वो भी मन की।
सही है ..सबकी एक सी बात ...रिपोर्ट बढ़िया रही
रोओगे तुम तो न रोएगी दुनिया...
जीवन दर्शन से परिपूर्ण इस दोहे के लिए बधाई।
क्या मेरी क्या आपकी सब की बात समान
रोता जब-जब आदमी हँसता सकल जहान...
संवेदना से भरे मार्मिक दोहे के लिए आपको हार्दिक बधाई।
क्या मेरी क्या आपकी सब की बात समान..
रोता जब-जब आदमी हँसता सकल जहान..
सकल ज्ञान दे दिया एक ही दोहे में ... होली की बहुत बहुत मुबारक ...
वाह वाह ....
आपसे ना मिलपाया इसका मुझे खेद है .
मोदगिल जी , कवितायेँ तो देश भर में सुना आए , यहाँ एक दोहे में ही निपटा दिया ।
खैर , एक है पर विशेष है ।
आदरणीय बड़े भाई, कार्यक्रम स्थल तक तो गया था, किन्तु मात्र आधा घण्टे के अन्दर ही वापस आना पड़ा क्योंकि एक मित्र के चोट लग गयी थी, उन्हें डाक्टर के पास ले जाना पड़ा अत: जो आनन्द आना चाहिये था, वह न आ पाया.फिर भी आपसे साक्षात्कार हुआ, यह क्या कम था. फिर मिलेंगे जल्दी ही..
चलिये यूं ही व्यस्तता चलती रहे.. आपसे मिलने हरयांने आना पड़ेगा.
वाह- वाह ...
क्या बात हे जी वाह वाह
भाई जी सच्ची बात तो ये है के आपकी लिस्ट में कोई नाम आपकी टक्कर का नहीं मिला...फिर भी आप इनके साथ ,इसी तरह दे दनादन कवि सम्मलेन मुशायरे निपटाते रहो और बीच बीच में हम लोगों से बतियाते रहो.....माँ सरस्वती का वरद हस्त आपके सर सदा इसी तरह रहे ये ही दुआ करते हैं...
नीरज
होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना
Sahee kaha hai. rota jab hai aadami hansata sakal jahan
par jara blog Duniya par bhee meherban ho jayen
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