खरगोन के कवि सम्मेलन के लिए
आज रात हजरत निजाम्मुद्दीन से ट्रेन पकडूँगा.
अंतर सोहिल भी साथ रहेंगे.
खरगोन से लौटते हुए वापसी में इंदोर......
भाटिया जी के जर्मन लट्ठ ताई तक भिजवाने की जिम्मेवारी
हमारी है...और हम पहुंचा कर आएँगे....
भाटिया जी निश्चिन्त रहें..
फिलहाल आज की पोस्ट के नाम पर एक गीत संभालिये
मौसम कितने रंग बदलता है...
पल-पल रंग बदलता मौसम
ऋतुओं को भी छलता मौसम
सावन की रिश्तेदारी में भीग-भीग कर जलता है
मौसम कितने रंग बदलता है...
कहीं-कहीं दिलवाला मौसम
और कहीं पर काला मौसम
आह्ट का बहकावा देकर धरती माँ को छलता है
मौसम कितने रंग बदलता है...
कहीं छावं सा प्यारा मौसम
कहीं धुप का मारा मौसम
प्रीत की गर्मी में तो तपता मगर विरह में गलता है
मौसम कितने रंग बदलता है...
किसी को अश्रुजल सा मौसम
किसी को गंगाजल सा मौसम
अपनी मनमानी के चर्चे करता और उछलता है
मौसम कितने रंग बदलता है...
--योगेन्द्र मौदगिल
22 comments:
वाह, मौसम कितने रंग बदलता है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
योगेन्द्र मौदगिल जी आंखो देखा हाल भी जरुर व्यान करे जब लठ्ट अपना काम करे तो...
यात्रा के लिये हमारी शुभकामनाऎ
जीवन के रंग यूँ ही बदलते रहते हैं ...सुन्दर अभिव्यक्ति
@ राज भाटिया जी
एक वीडियो कैमरा भी भेज दो जी :)
प्रणाम
मौसम कितने रंग बदलता है।
लेकिन आदमी से ज्यादा रंग कहां बदल पाता है?
प्रणाम स्वीकार करें
वाह आज तो अंग्रेज़ीमय हो गए आप. ये भी सुंदर है.
प्रिय योगेन्द्र मौदगिल जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
पल-पल रंग बदलता मौसम
ऋतुओं को भी छलता मौसम
वाह जी वाह ! ऋतुओं को भी छलता मौसम … यानी ख़ुद की ख़ुद से घात ! बहुत ख़ूब ! :)
प्यारा गीत है … । होना भी चाहिए , निरंतर छंदबद्ध सृजन करने वाले और छंद समझने-परखने वाले रचनाकार हैं आप !
आपकी आवाज़ में सुनने के लिए जो अंतर सोहिल जी के यहां के वीडियो थे, पिछली बार सुनने की कोशिश की थी … रिकॉर्डिंग साफ नहीं सुनाई दे रही थी … इसलिए हसरत बाकी रह गई आपको सुनने की ।
ख़ैर , फिर कभी …
♥ बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
मौसम के बदलते रंग तो सह लेंगे आदत हो गयी है पर आप के रंग वो ही रहने चाहिए | हम भी निश्चिन्त है ताऊ तक हमारा प्रणाम भी पहुच जाएगा |
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
बहुत खूब भाई जी ! शुभकामनायें
बहुत सुंदर ...मौसम के रंगों की यह रचना ....
रंग बदलता मौसम...
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
बधाई !
पल-पल रंग बदलता मौसम
ऋतुओं को भी छलता मौसम
सावन की रिश्तेदारी में भीग-भीग कर जलता है
मौसम कितने रंग बदलता है...
शायद आदमी को देख कर ये भी रंग बदलना सीखा होगा। सुन्दर गीत। बधाई।
भाई योगेन्द्र मौदगिल जी आपको और अंतर सोहिल जी को नमस्कार! आप लोगों की यात्रा शुभ हो।
मौसम के बदलते मिजाज पर सुमधुर भाव-भाषा एवं संतुलित-शिल्प से पुष्ट गीत के पढ़वाने के लिए बधाई स्वीकारिए!
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
सचलभाष- 09336089753अ
प्रणाम स्वीकार करें।
हमें भी दर्शन दें प्रभु द्वय
तथा कृतार्थ करें।
बदलते मौसम से परिचित कराने के लिये धन्यवाद.
अच्छा तो अब भाटिया जी ने आपके द्वारा भी लठ्ठ और भिजवा ही दिये? हे भगवान भाटिया जी मैने आपका क्या बिगाडा था? आप ये क्यों भूल जाते हैं कि बचपन में पांचवीं फ़ेल होने तक हम दोनों एक ही सकूल में पढे हैं...कुछ तो दोस्ती का लिहाज किजिये.
रामराम.
मिल आये भाई ताऊ से??? :)
ऋतुओं को भी छलता मौसम ! बहुत सुंदर गीत है। धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ !!
सुन्दर भाव भरा गीत
परन्तु यह भी सच है कि यदि मौसम रंग न बदले तो आदमी का रंग जरूर बदल जायेगा...
मेरा मतलब है वह लाल पीला हो जायेगा
अपनी मनमानी के चर्चे करता और उछलता है
मौसम कितने रंग बदलता है...
गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति....
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