एक छंद और
लोकतंत्र हो गया है अब तो मारपीट तंत्र,
देश को घिनौने इस रूप से बचाओ रे.
आज़ादी की छाहँ में ये देश खेलता ही रहे,
इसे मल्टीनेशनल धूप से बचाओ रे.
वर्ना ये गुलामी हमें फिर से जकड लेगी,
आँख वालों हमें अंधकूप से बचाओ रे.
रात-दिन लूटने का व्रत रखने लगे हैं,
लालच के ऐसे हीन रूप से बचाओ रे..
--योगेन्द्र मौदगिल
27 comments:
कौन बचायेगा साहब...
लोकतंत्र का लोप हो गया,
लोकतंत्र बना लूटतंत्र,
लूटने में लगे हैं नेता,
लोकतंत्र का हो कोई अंत
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जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
लोकतंत्र का लोप हो गया,
लोकतंत्र बना लूटतंत्र,
लूटने में लगे हैं नेता,
लोकतंत्र का हो कोई अंत
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जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
बेहद प्रभावी .... बड़ी सटीक पंक्तियाँ रची हैं आपने
... bahut badhiyaa .... shaandaar !!!
एक दम सटीक अभिव्यक्ति ..ऐसी दशा है आज देश की क्या कहें ....शुक्रिया
बचाने वाला भी तो कमीशन लिए बिना कहाँ तैयार होता है साहब ;)
लिखते रहिये ...
गंभीर चिंतन लिए हुए लिखा आपने योगेन्द्र जी... बेहतरीन!!!
बहुत ही सुन्दर ... मज़ा आ गया पढकर ... सुडौल सुन्दर रचना !
पर बचाने वाला कोई नहीं है साहब ...
अब तो इतनी जगहों पर लुट रहा है कि बचाओ रे की गुहार लगाने से कुछ न कुछ तो बच ही जायेगा।
इस पोस्ट पर टिप्पणी नहीं कर रहा,
बस आपसे अमूल्य भेंट पाकर गदगद हूँ।
प्रणाम
लोकतंत्र अब भोगतंत्र हो गया है
जिसको मौका मिलता है भोगने लगता है
dabirnews.blogspot.com
बहुत सुन्दर !
नोट: यह टिपण्णी बदले में टिपण्णी पाने की गरज / उम्मीद से नहीं की गई है
कौन बचायेगा....... ऐसे हालातों से.....?
बहुत सटीक और लाजवाब. प्रणाम.
रामराम.
chhandbaddh vyang..
waah kya kahna !
कौन बचायेगा ? बहुत सटीक और लाजवाब
सटीक !!!!
Har sher chetna laata hua.. aaj ke samay ko dikhata hua
:(
hai to sateek..
but very unfiortunate na ?
hum hi bachayenge ji... desh humara hi hai!
:)
typing mistake.. *unfortunate*
अपकी फरियाद मैडम जी को भेज दी है वो एक संसदिय कमेटी का गठन करेंगी और वो कमेटी आपको चुप कराने के लिये कुछ मामला तय कर के लौट जायेगी-- सब सही है -कह कर और हम मुफ्त मे कमेन्ट मारते रहेंगे। हा हा हा ।
bachaaneka kaam kaun karega?..billi ke gale mein ghanti kaun bandhega?...badhhiya rachana!
सौ बातों की एक ही बात...
ढंग के लोगों को चुन के लाओ रे.
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने ! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब लगा! उम्दा प्रस्तुती!
कविता बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है। बधाई।
जान कर सच में ख़ुशी हुई कि आप हिंदी भाषा के उद्धार के लिए तत्पर हैं | आप को मेरी ढेरों शुभकामनाएं | मैं ख़ुद भी थोड़ी बहुत कविताएँ लिख लेता हूँ | हाल ही में अपनी किताब भी प्रकाशित की | आप मेरी कविताएँ यहाँ पर पढ़ सकते हैं- http://souravroy.com/poems/
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