बार-बालाओं के संग ठुमके लगते हैं

एक छंद

एक के तो पूत को नसीब नहीं टूक एक
दूसरे के कुत्ते पंचतारा में नहाते हैं

एक की तो बेटी बिन दहेज़ बूढी हो रही है
दूसरे के पूत लाखों जूए में उड़ाते हैं

विद्रूपता, विषमता, विसंगति, विडंबनाएँ,
भाग्य हीन बैठ दुर्भाग्य सहलाते हैं

और वो सौभाग्य शाली किस्मत के धनी-रत्न
बार-बालाओं के संग ठुमके लगते हैं
--योगेन्द्र मौदगिल

23 comments:

Apanatva said...

vidambana hee to hai........

soni garg goyal said...

आज के समय पर चोट करता हुआ एकदम सटीक छन्द !!

मनोज कुमार said...

विचारोत्तेजक, सुंदर पोस्ट। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार-परिवार

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

यही विसंगतियाँ हैं समाज में ..

अन्तर सोहिल said...

रोमांच हो रहा है
आपको साक्षात सुनने का सौभाग्य 21नवम्बर को मिलेगा

प्रणाम

समय चक्र said...

बहुत ही जोरदार छंद हैं ... आभार

अमिताभ मीत said...

क्या बात है भाई !!

रंजना said...

सचमुच क्या विसंगति है...

झकझोरती हुई रचना..

Unknown said...

बढ़िया है भाई जी !

नीरज गोस्वामी said...

कड़वी मगर सच्ची बात...

नीरज

Satish Saxena said...

वाह वाह !
आज का मूड देख आनंद आ गया योगेन्द्र भाई ! हार्दिक शुभकामनायें

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत अफसोसजनक हैं यह सामाजिक विसंगतियां..... आपने इन पंक्तियों में कड़वा सच समेटा है....

राजीव तनेजा said...

कटु परन्तु सत्य

प्रवीण पाण्डेय said...

समाज के विरोधाभासी तथ्य संग संग चलते।

Dr Xitija Singh said...

एक कड़वा सच है .... शुभकामनाएं

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

वर्तमान का यथार्थ चित्रण! कटु सत्य!
आभार्!

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

aapka vyangy chhand "om prakash aditya" ji ki yaad dila deta hai.

कडुवासच said...

... बहुत खूब ... बेहतरीन !!!

Akbar Khan Rana said...

bahut khoob!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

यही तो कमाल है...

Asha Joglekar said...

हंसी हंसी मे समाज की विषमताओं को किस खूबी से दिखाया है ।

विनोद कुमार पांडेय said...

बहुत खूब..धमाल करने वाले छन्द...बढ़िया व्यंग से ओतप्रोत...बधाई ताऊ जी..प्रणाम

निर्मला कपिला said...

aआपकी खूबी के तो पहले ही कायल थे लेकिन रोहतक मे बाकी खूबियाँ भी देख ली। बहुत अच्छा लगा आपसे आमने सामने आपकी रचनाओं को सुनना। पुस्तक के लिये धन्यवाद।