चोर-चोर मोसेरे भाई..

२ अक्टूबर  को सोनीपत में कवि सम्मलेन कम मुशायरा था. रियासत अली ताबिश (कैराना), तरुण सागर व् मेघा कसक (सहारनपुर), विनोद पाण्डेय (नोएडा), मैं याने योगेन्द्र मौदगिल पानीपत से व आदिक भारती, विकास शर्मा राज व देस राज कैफ सहित ढेर सारे स्थानीय शायर. 

विनोद पाण्डेय सुबह ही पानीपत मेरे पास आ गए थे. बेटा दिवाकर उनसे कंप्यूटर से सम्बंधित कुछ न कुछ पूछता ही रहता है सो उसी का प्रमाण रहा ये बरसों पुराना विडिओ . लेकिन अब चूंकि  बेटे को विडिओ डालना आ गया है तो डलते ही रहेंगे. बहरहाल बरेली यात्रा विवरण अभी बाकि है.....

मगर मन है की आप एक रचना पढ़ लें. 

तो लीजिये 


तू उनका वो तेरे भाई.
चोर-चोर मोसेरे भाई..

आग से रिश्तेदारी हो तो,
क्या मंदिर, क्या डेरे भाई..

प्यादे अफलातून हैं अब तो,
रहते आँख तरेरे भाई..

पलकें गायब, पुतली टेढ़ी,
सपने कौन  उकेरे  भाई..

देख उजाले लूट रहे हैं,
सहलाते अँधेरे भाई..

मेरा नंबर ज़ेहन में रखना
आफत जब भी घेरे भाई..

न दाना ना रहे कबूतर,
शेष गरम मुंडेरे भाई..

कज़न के माने सजन "मौदगिल",
बिन फेरे हम तेरे भाई..
--योगेन्द्र मौदगिल

21 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:) :) बढ़िया व्यंग ...

Manish aka Manu Majaal said...

काफी दिनों के बाद सुने है,
कविताई मुह से, तेरे भाई !
पुराना, मजेदार कलेवर,
कविताई आपकी , उकेरे भाई !

लिखते रहिये ...

Dr Xitija Singh said...

bahut khoob yogender ji ... bahut achha laga aapki ye rachna padh ke ... aage bhi padhna chahungi isliye follow kiye ja rahi hoon ...

aapne mere blog par darshan diye uske liye dhanyawaad ...

विनोद कुमार पांडेय said...

ताऊ जी, बहुत संक्षिप्त विवरण दिया आपने ...चलिए कोई बात नही हम ही बता देते है की सोनीपत के कवि-सम्मेलन में आपके चाइनीज आइटम ने क्या कहर ढाए थे.सभी श्रोता झूम उठे थे...उसके बाद रात को पानीपत यात्रा, ताई जी के हाथ का सुबह बढ़िया नाश्ता और फिर करनाल की कवि-गोष्ठी सब कुछ शानदार रहा...आपके साथ दो दिन की काव्य-यात्रा यादगार बन गई....और सबसे बड़ी बात आपका आशीर्वाद....प्रणाम

विनोद कुमार पांडेय said...

ग़ज़ल के बारे मे कुछ कहना ही भूल गया...समाज की बातों को सटीक सामने रखना आपकी खास बात है..आज की प्रस्तुति भी बेहतरीन बढ़िया ग़ज़ल..

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

इस बारत तो टिका टिका के दिया है आपने.. वाह

राजीव तनेजा said...

आपकी बरेली यात्रा के बारे में जानने की उत्सुकता रहेगी...
बढ़िया रचना

रानीविशाल said...

बहुत सुन्दर ...आभार

Asha Joglekar said...

बडे दिनों बाद आप ने लिखा और मै तो और भी देर से आई पर बढिया है यह भाई ।

विवेक सिंह said...

गजल बहुत ही अच्छी है ये
एक टिप्पणी ले रे भाई

(क्षमा चाहता हूं आपको रे कहने के लिए, पर तुक मिलाना जरूरी था)

वीरेंद्र सिंह said...

छ गए सर जी आप तो ....क्या बढिया लिखा है .
हर पंक्ति शानदार है . गज़ब की ग़ज़ल है .
आभार ...................................

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति। धन्यवाद

मुन्नी बदनाम said...

very good yogi darling

कडुवासच said...

...behatreen !

Udan Tashtari said...

बहुत सटीक...साभार विनोद जी...अब खूब विडियो देखने मिलेंगे. :)

Shabad shabad said...

सुन्दर प्रस्तुति......

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
आपको और आपके परिवार को नवरात्र की हार्दिक शुभ कामनाएं

के सी said...

वाह वाह
क्या बात है, कजन के माने से आपने लाजवाब कर दिया है. बात वही पुरानी मगर शैली इतनी खूब कि हाय क्या कहूँ ?

Smart Indian said...

बहुत खूब!

Chirag Jain said...

योगेन्द्र जी!
अभी तक www.kavyanchal.com पर आपकी रचनाएँ प्रकाशित नहीं हुई हैं। कृपया kavyanchal@gmail.com पर अपनी 10 कविताएँ (यूनिकोड में) तथा परिचय भेजें।
परिचय का फ़ॉरमेट देखने के लिए क्लिक करें-
http://kavyanchal.com/parichay/

अपना चित्र भी प्रेषित करें

-चिराग़ जैन

Apanatva said...

bahut khoob.