काजल भाई
जब तक जीवन है
बोध है
कलम है
तब तक दोहों की भला क्या कमी......?
लीजिये आज के
सात दोहे
पेश हैं
हाँ एक प्रश्न सभी प्रिय पाठकों से
कि यदि दोहा विधा से बोरियत हो रही है तो ग़ज़ल प्रारंभ करूँ क्या ?
विज्ञापन युग है लगी, इत-उत शिक्षा सेल.
बिन पोथी बी. ए. करें, अब तो दसवीं फेल..
आँखों पर चर्बी चढ़ी भटक गया ईमान
आँख खोल कर बावले जग की रख पहचान
ऊपर-ऊपर तो चला, रामकथा का दौर.
कामकथा भीतर चली, ना चर्चा, ना शोर..
भरी उम्र करते रहे, या भोजन, या भोग.
आँख के अंधे, गाँठ के, पूरे देखे लोग..
टूटी-कुचली टहनियां, मसली-मसली घास.
लगता है वनराज ने, पुन: रचाया रास..
जिनके-जिनके पास था, चोरी का सामान.
वे लम्बे कुरते हुए, सम्मेलन की शान..
छंद ज्ञान भी हो गया, अपना तो बेकार.
हा-हा, ही-ही का मगर, खूब चला व्यापार..
--योगेन्द्र मौदगिल
40 comments:
सुंदर प्रस्तुति!
राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।
हर दोहे समाज की एक विडंबना व्यक्त कर रही है...ऐसी प्रस्तुति से भला कौन बोर होगा..वैसे आपकी रचनाएँ किसी भी विधा की हो, लाज़वाब होती है..सामाजिक व्यंग और व्यथाएँ बिल्कुल सीधे-सीधे दिख जाते है...प्रणाम स्वीकारें..
मौदगिल जी जब दोहे कहें, सुनते संत समीर
वाह वाह की जो रट सुनी, पानी भरत कबीर.
-बेहतरीन और सटीक दोहे...वाह, वाह!!
सुनी सुनाई पर 'मजाल', यकीं करे न कौन?
जंगल नाचा मोर नहीं, पता लगाए कौन!
फरक नहीं कोई 'मजाल', कविता या ग़ज़ल,
बात वजन हो, पा ही लेगी स्वयं वो अपना तल
दोहे बहुत अच्छे लगे.... पहला ही दोहा कमाल का है...
आज तो आपके दोहे समाज के कई पहलुओं पर कटाक्ष कर रहे हैं ....
समाज की विसंगतियों को कहते दोहे बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर रहे हैं ..
सभी एक से बढकर एक
"ऊपर-ऊपर तो चला, रामकथा का दौर,
कामकथा भीतर चली, ना चर्चा ना शोर।"
ये पंक्तियां तो मेरे लिये ही लिखी गई हैं, हार्दिक आभार
प्रणाम स्वीकार करें
वस्तु तथ्य पर सही कटाक्ष करते बहुत ही लाजवाब दोहे ....आभार !
Yahan gyaan...ka amrit bat rahan hai aur hame pata hi nahin. shukra hai ki aaj pata chal gayaa.
Bahut achhe dohe....padhkar badi khushi hui aur gyaan bhi badha.
सुन्दर रचना.
बेहतरीन मौदगिल साहब , अब नौ दोहों की प्रतीक्षा में !
वाह मोदगिल जी , मौज कर दी दोहों की ।
सुनो मोदगिलजी दोहा एक कहता ताऊ
ताई के लठ्ठ खाके, ताऊ बन गया म्याऊं
आगे आप पूरा करो.
रामराम.
बहुत ही सुन्दर और शानदार दोहे प्रस्तुत किए हैं आपने! सभी दोहे एक से बढ़कर एक हैं!
गुरुदेव .. आप जो भी लिखते हैं इतना सधा हुवा होता है की वाह वाह करे बिना रहा नही जाता ...
दोहे तो बहुत ही अच्छे है!..बोर होने का सवाल ही पैदा नहीं होता!.... दोहॉ के बिच कभी गजल आ जाती है तो उसका भी तहे दिल से स्वागत है!
दोहे तो बहुत ही अच्छे है!..बोर होने का सवाल ही पैदा नहीं होता!.... दोहॉ के बिच कभी गजल आ जाती है तो उसका भी तहे दिल से स्वागत है!
आपके तेरह दोहे तो पढ़ लिए मैंने
तारीफ़ किसकी करूँ ,किसकी न करूँ
मैं साहित्यिक तो नहीं हूँ , पर ऐसी गैरसाहित्यिक भी नहीं हूँ कि आपकी कलम से निकले शब्दों की शक्ति को महसूस न कर सकूँ
katu yatharth को chuteelee aur paini abhivyakti dee है aapne...
:) भाई आप दोहे कहें या ग़ज़ल, हमारी तो बल्ले ही बल्ले है... एक से बढ़कर एक विचार. कुछ दिन के लिए नेट से सन्यास के चलते आने में देर हो गई.
रक्षा बंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!!
सभी दोहे एक से बढ़कर एक हैं!!!
Samajik visangitiyon par sateek prahar karte laajawab dohe..
अंतिम दो दोहे विशेष पसंद आये. आप चाहे दोहे लिखें या गजल - हम दोनों ही पढेंगे क्योंकि यहाँ कुछ अच्छा पढ़ने को मिल जाता है.
सर सच बोलूंगी मुझे तो आपके ये दोहे बहुत पसंद है गजल भी अच्छी लगती है आपकी लेकिन दोहे ज्यादा अच्छे लगे इसलिए इन्हें बंद मत कीजियेगा !
जब तक आप दोहे लिख रहें हैं इनसे बोरियत नहीं हो सकती.
Aap dohe likhen ya gazal kamal hee kar dikhayenge.
Shiksha sale aur Ramkatha to top ke hain jee.
ek se badkar ek khatarnaak baan chala diye aapne sir.
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
mazedaar dohe...
saadar pranaam
Sarey dohe bahut khoob! Aur Sabse zyada pasand aaye yah ..
oopar-oopar to chalaa ramkatha ka daur
tooti-kuchli tehniyaan
chhand gyaan bhi ho gaya ..
yah doha to bahut bahut pasand aaya ..
दोहों की सत्ता जम कर राज कर रही है
आज के युग की सच्चाई बयां कर रही है
हार्दिक बधाई.
क्जन्द्र मोहन गुप्त
आदरणीय योगेन्द्र मौदगिल साहब
नमस्कार !
आप तो जब भी , जिस विधा में भी क़लम चलाएंगे , बढ़िया ही लिखा सामने आएगा …
कवित , सवैये, सोरठे , दोहे , ग़ज़लें , गीत !
क़लम चले जब आपकी ; मन लेती है जीत !!
बहुत शानदार दोहों के लिए बधाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
maudgil ji bahut achche dohe likhe hain maja aa gaya padhkar thanx
अति सुंदर।
................
खूबसरत वादियों का जीव है ये....?
कहां हैं मौदगिल साहब ?
योगेन्द्र जी, जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएँ।
आप साहित्य की दुनिया में 'निराला' सा मान पाएँ।
yogendra ji ko
janm-din ki bahut bahut badhai
evam shubh-kaamnayen
योगेन्द्र जी, जन्मदिन की शुभकामनाएँ।
Aapke dohe ek se bad kar ek hai .
bahut gahre arth bade saral shavdo me........
Aabhar
Post a Comment