जिन्दगी की ज़ंग का अभ्यास तो जाता रहा....

उन्मुक्तता बढ़ती गयी, उल्लास तो जाता रहा.

बेचारगी के दौर में विश्वास तो जाता रहा.




खोखलापन हो गया हावी बदन पर दोस्तों,

जिन्दगी की ज़ंग का अभ्यास तो जाता रहा.




दोस्ती के बोल, रिश्तेदारियों के फलसफे,

समझा हूं तब से नेह का आभास तो जाता रहा.




आज की तक़दीर अपने हाथ से लिक्खी मगर,

इसके अनुगत वंश का इतिहास तो जाता रहा.




क़द ही नहीं क़िरदार से भी लोग बौने हो गये,

झड़ गये पत्ते सभी मधुमास तो जाता रहा.




चार ईंटे, चार पैसे जब से अपने हो गये,

शर्म का फिर 'मौदगिल' एहसास तो जाता रहा.

--योगेन्द्र मौदगिल

36 comments:

vandana gupta said...

वाह्……………बेहतरीन्।

सम्वेदना के स्वर said...

कविवर! अपका आशीष मिला और नई ग़ज़ल का उपहार भी... कन को हाथ लगाते हुए छोटा मुँह बड़ी बात कहने की हिम्मत कर रहा हूँः
“ज़िंदगी की जंग” (struggle of life) के स्थान पर ग़लती से “ज़िंदगी की ज़ंग” (rust of life) टाईप हो गया है...
तीसरा शेर बहर से बाहर लगता है... दोस्ती के बोल रिश्तेदारियों के फलसफे, जब मैं समझा, नेह का अभास तो जाता रहा... कैसा लगा आपको?
हर बार की तरह, इस ग़ज़ल का भी मज़ा जितना पढता हूँ, उतना बढता है.

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप की रचनाएँ सदैव ही कुछ नया कहती हैं।

आचार्य उदय said...

सुन्दर गजल।

दिगम्बर नासवा said...

AApka apna hi andaaz hai guru dev ... lajawaab likhte hain aap ...

SANSKRITJAGAT said...

कह न कुछ पाया आनन्‍द पढने के बाद ये कविता

भाव तो उभरे मगर अंदाज ही जाता रहा ।।


सत्‍यमेव मनोहारिणी गज्‍जलिका ।।


साधुवादार्ह: ।।


http://sanskrit-jeevan.blogspot.com/

Unknown said...

bahut khoob !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

पुरी ग़ज़ल ही लाजवाब है...और अंतिम शेर में आज की ज़िंदगी की झलक दिख रही है

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

हिन्दी में भी अच्छी गज़ल कही जा सकती है. बहुत बढ़िया लगी यह गज़ल..

डॉ टी एस दराल said...

सुन्दर ग़ज़ल । ऐसा ही होता है आजकल ।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

कद ही नहीं किरदार से भी लोग बौने हो गये....
..वाह ! खूबसूरत गजल.

अमिताभ मीत said...

फिर से एक बार एक बेहतरीन रचना ....

अरुणेश मिश्र said...

लाजबाव ।

राज भाटिय़ा said...

वाह जी बहुत सुंदर हमेशा की तरह से

नीरज गोस्वामी said...

भाई जी नमन है आपको...कायल कर दिया आपने अपनी ग़ज़ल से...कसम से दिल लूट लिया आपने...काफियों का क्या खूबसूरत प्रयोग किया है...भाई वाह...
नीरज

Smart Indian said...

वाह वाह! अति सुन्दर!

स्वप्निल तिवारी said...

behtareen ... :) ek dum chaukas ghazal hui .. bas...gardan ghuma kar charo or dekhne ki zartoorat haui..is ghazal ka har sher sachha lagega..

रंजना said...

किस शेर को सिरमौर कहूँ समझ नहीं पड़ रहा....
सभी के सभी शेर लाजवाब ...बेहतरीन...शब्दों में जीवन और जगत का निचोड़ रख छोड़ा है आपने...

sandhyagupta said...

Bahut khub.pehla sher to sone par suhaga hai.

Hari Shanker Rarhi said...

It' s not possible to say 'Irsaad' on blog. But this ghazel forces me to to read many times.

Satish Saxena said...

बिलकुल सच कहा है भाई जी !शुभकामनायें

Asha Joglekar said...

आज के इन्सान के जीने का है अंदाज ये ,
उत्तेजना तो बढ गई, पर शौर्य तो जाता रहा ।

hem pandey said...

एक एक पद प्रशंसनीय है. अपनी आदत के अनुसार कोई उत्कृष्ट पद उद्धृत करना चाहता था. लेकिन किसी एक पद को भी उद्धृत न करने लायक नहीं पाया.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

वाह कविराज !
प्रणाम !

शे'र कहने लग गए हैं आप यूं कुछ इन दिनों
कुछ भी कहने का हमारे चांस तो जाता रहा


किस किस का उल्लेख किया जाए … ?
ग़ज़्ज़ब ! ग़ज़्ज़ब ! ग़ज़्ज़ब !

- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं

Dr.Ajmal Khan said...

sir ji बेहतरीन रचना ....

हर्षिता said...

बेहतरीन,लाजवाब,उत्तम,बहुतखूब।

Pawan Kumar said...

मौदगिल साहब
पूरी की पूरी ग़ज़ल शानदार है.....!
खोखलापन हो गया हावी बदन पर दोस्तों
ज़िन्दगी की जंग का अभ्यास तो जाता रहा .
क्या जबरदस्त शेर है......बधाई.

Dr.Uma Shankar Chaturvedi said...

( jindgi ki jang ka abhyas to jata rha ) puri ki puri gjal kabile tariph hai

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

क़द ही नहीं क़िरदार से भी लोग बौने हो गये,
झड़ गये पत्ते सभी मधुमास तो जाता रहा.

ख़ूब कहा!!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

जिंदगी के रंग लेकिन देखने को मिल गये।
--------
पॉल बाबा की जादुई शक्ति के राज़।
सावधान, आपकी प्रोफाइल आपके कमेंट्स खा रही है।

अनामिका की सदायें ...... said...

बहुत दिन हुए...अब आगे तो लिखिए जनाब.

Urmi said...

बहुत सुन्दर और उम्दा रचना लिखा है आपने ! बधाई!

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) said...

bahut khoob !!!!!!

Parul kanani said...

sir pahli baar blog pe aayi hoon..aur maja aa gaya...kya tana-bana bunte hai lafzon ka aap..kamaal hai!

अनुपमा पाठक said...

wonderful expression!

अनुपमा पाठक said...

wonderful expression!