मरा सभी की आंख का पानी..........

बिग-बी, राखी, एकता रानी
घर-घर की बस यही कहानी

टेली-वीज़न देख-देख कर
बच्चों पर चढ़ रही जवानी

सास बनी है बास अगर तो
बहू स्वयंभू है पटरानी

नाती-पोते कम्प्यूटर के
देख फालतू दादी-नानी

विग्यापन भी कैसे-कैसे
मरा सभी की आंख का पानी

जिस को देखो वो ही नंगा
गये कुएं में राजा-रानी

सारे बंदर मस्त कलंदर
तेल तलक सारे जापानी

देख ज़माना कैसा आया
दूध हवाले बिल्ली रानी

खेल-खेल में शेर हो गये
कुछ बा-मानी कुछ बे-मानी

यार 'मौदगिल' सोच बदल ले
पके बाल है उम्र सयानी
--योगेन्द्र मौदगिल

43 comments:

Rashmi Swaroop said...

How true !
Amazing sir... :)

डॉ टी एस दराल said...

एकदम खरी खरी ।
पर सोच बदलने में ही भलाई है।

दिलीप said...

chot karti prabhavi vyang rachna

Shekhar Kumawat said...

ye technology ka asar he baba

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत बढ़िया....सटीक व्यंग

अमिताभ मीत said...

बहुत बढ़िया सरकार !

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

एकदम सही...आज टी.वी. का रोल इतना बढ़ गया है समाज में.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

हालात आज कुछ ऐसे ही है मौदगिल साहब !

श्यामल सुमन said...

बहुत पते की बात कह गए
सुमन भाव को मिली निशानी

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

एकदम सटीक्!

Jandunia said...

काबिल-ए-तारीफ

राज भाटिय़ा said...

आप ने इस कविता मै तो आज के घरो के पर्दे हटा दिये... मजा आ गया. लेकिन शर्म भी आई एक वो समय था जब हम रेडियो भी अपने बुजुर्गो के सामने नही सुन सकते थे, बहन के सर से पल्लू हटता नही देख सकते थे ओर आज पल्लू क्या शरीर पर भी कुछ नही होता

राजीव तनेजा said...

सटीक व्यंग्य

Ra said...

सुन्दर व्यंग और सच समेटे बेहतरीन रचना !

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति....

pawan dhiman said...

बहुत सटीक व्यंग्य.

pawan dhiman said...

बहुत सटीक व्यंग्य.

pawan dhiman said...

बहुत सटीक व्यंग्य.

amritwani.com said...

बहुत sahi व्यंग्य.

seema gupta said...

घर घर की यही कहानी
" बेहद सुन्दर और सटीक व्यंग्य"
regards

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बेहतरीन.. सभी चीजें उघाड़कर रख दीं...

राजकुमार सोनी said...

अच्छी रचना के लिए आपको बधाई।

Urmi said...

बहुत ही सुन्दर और सठिक रचना लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!

Anonymous said...

बहुत सही और सटीक रचना - बधाई मौदगिल साहब

नीरज मुसाफ़िर said...

बदल लो जी सोच।
नया जमाना है।

सम्वेदना के स्वर said...

हमारे आंदोलन को आपने एक anthem दे दिया!!

मिलकर रहिए said...

सच ! अभी पुरुष में इतनी ताकत नहीं, जो मेरा सामना करे, किसमें है औकात ? http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post_31.html मुझे याद किया सर।

मथुरा कलौनी said...

मौदगिल साहब,
बड़ी नजाकत से सिर पर हथौड़ा मारा है आपने

दिनेश शर्मा said...

एकदम सच कहा !

विनोद कुमार पांडेय said...

वाह ताऊ जी बेहतरीन हर एक लाइन आज के समाज की कलाई खोल दी..बढ़ती आधुनिकता की ओट में हम क्या कुछ खोते जा रहे है जिसका एहसास नही हमारी पीढ़ी को....बहुत शानदार ग़ज़ल....उम्दा प्रस्तुति के लिए बधाई भतीजे का प्रणाम स्वीकारें...प्रणाम

Pawan Kumar said...

बोझिल माहौल में ये कविता गुदगुदा गयी....... बहुत मस्त रचना....!

आचार्य उदय said...

आईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!
आचार्य जी

Ankit said...

नमस्कार यौगेन्द्र जी,
आपके तीर कभी निशाना नहीं चूकते.
अच्छे व्यंग कसे हैं.

सम्वेदना के स्वर said...

गुरुवर! हमने वहाँ टिप्पणी भी नहीं छोड़ी जहाम लोग बहस करके आए थे.. हमने कारण तलाश किया और बयान किया... फिर आप भी नहीं आए... आपकी प्रतिक्रिया हमारा प्रोत्साहन होती किंतु आपके मौन को भी हम आपका आशीष मानते हैं...

Smart Indian said...

यही सच है आज के टीवी चैनलों का

सुनील गज्जाणी said...

मौदगिल साब ,
प्रणाम !
आप के ग़ज़ल के दूसरी पंक्ति को अपनी ग़ज़ल से जोड़ आप कि नज़र करना चाहुगा ''. ना बालिग नहीं रहा बच्चा इस युग में . अब कही बाल कथाए सुनता आया है नज़र '' वाकई एक कटाक्ष किया है आप ने अगर एक मायने में देखे तो आज के भातर कि तस्वीर कहे तो गलत नहीं होगा , साधुवाद ,
आभार

अनामिका की सदायें ...... said...

ghani khari khari kah di ji katayi hariyaanvi ishtaiyl me

badhayi.

Smart Indian said...

कलजुग है भाई!

कविता रावत said...

Vartmaan haalaton ka sateek chintran...
Sachhayee kee bejod bangi...
Bahut shubhkamnayne

Narendra Vyas said...

बेहद ही यथार्थपरक और सटीक चित्रण के साथ नए प्रयोग लिए एक बेहद ही उम्दा रचना ! आदरणीय योगेन्द्र जी का आभार !

अरुणेश मिश्र said...

मजेदार ।

स्वप्निल तिवारी said...

kya ..chutputiya si ghazal hui hai maudgil ji ... bahut achhi lagi .. :)

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्दर और सठिक रचना लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!