मैं हूं औरतज़ात, है मेरा........

लीजिये संडे है आज
समझ में नहीं आ रहा है कि क्या लिखूं
दिमाग भी लगता है छुट्टी पर है



फिर भी आदतन कुछ पुरानी पंक्तियां
प्रस्तुत करता हूं





काग़ज़, कलम, दवात का रिश्ता
समझो तो जज्ब़ात का रिश्ता



मैं हूं औरतज़ात, है मेरा
भरे उजाले, रात का रिश्ता



मजदूरी, क्या मांग ली बंधु
हो गया घूंसे-लात का रिश्ता



वक्त-वक्त का खेल है प्यारे
कूप से झंझावात का रिश्ता



घर भी मायानगरी जैसे
हर रिश्ता है घात का रिश्ता



जब तक है अनुराग चलेगा
'मुदगिल' दिल की बात का रिश्ता
--योगेन्द्र मौदगिल

31 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

Bahut Badhiya.

कडुवासच said...

...बहुत सुन्दर !!!

Udan Tashtari said...

बहुत खूब!

विनोद कुमार पांडेय said...

बेहतरीन ग़ज़ल..रिश्ता तो अब ऐसे ही है आज की दुनिया में.....बढ़िया रचना..धन्यवाद ताऊ जी प्रणाम स्वीकारें

भारतीय नागरिक said...

जब तक इन्टरनेट रहेगा
तब तक ब्लागर और विवाद का रिश्ता...

डॉ टी एस दराल said...

कागज़ कलम दवात का रिश्ता
समझो तो ज़ज्बात का रिश्ता ।
वह क्या खूब कहा है मोदगिल जी ।
बढ़िया ।

आपका अख्तर खान अकेला said...

khubsurt alfaazon ki jivnt prstuti. akhtar khan akela kota rajsthan

दिनेश शर्मा said...

बहुत खूब।

Arvind Mishra said...

हमेशा की तरह ही जोरदार

Shekhar Kumawat said...

bahut khub

फिर से प्रशंसनीय
http://guftgun.blogspot.com/

स्वप्न मञ्जूषा said...

इतनी सुन्दर ग़ज़ल पढने के बाद थान्कू कहके हम चल जाएँ ...ऐसा हो नहीं सकता...
तो ई रही हमरी चार लाइन......
हा हा हा ...

ग़ज़ल पढ़े हम मनभावन सी
टीप बनी सौगात का रिश्ता
टीप के बदले टीप दिए हैं
ई है ब्लोग्गर जात का रिश्ता

Unknown said...

आलसी हो गये महाराज !

पर पोस्ट उम्दा है ........

योगेन्द्र मौदगिल said...

@ Ada ji
kya baat hai
Blogger-jaat ke rishte ka jawab nahi
aapko naman karta hoon


@ Albela g
Aalsi to Itarsi me hain...rahi baat Maharaj ki to kuch mamlon me aalasya bhi theek rahta hai...

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बस जब से आप मिले
बंधा स्नेह का रिश्ता

10तारीख के प्रोग्राम का के होया?

Anonymous said...

घर भी मायानगरी जैसे
हर रिश्ता है घात का रिश्ता
बहुत सही और बहुत खूब

कविता रावत said...

घर भी मायानगरी जैसे
हर रिश्ता है घात का रिश्ता
...Vartman paridrashya par sateek prahaar...

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

पुराना होगा आपके लिए हमारे लिए तो नया ही है व सुंदर भी.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सारे रिश्तों को बहुत अच्छे से बयां किया है....सुन्दर

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत सुंदर व भावपूर्ण रचना.... दिल को छू गई....

सम्वेदना के स्वर said...

सुख और दुःख के बीच है जैसे
युग युग से दिन रात का रिश्ता.
देश,सियासत, जनता, नेता
आज़ादी, शह मात का रिश्ता.
बहुत बारीकी से बयान किए हैं आपने हर रिश्तों के सच!!

योगेन्द्र मौदगिल said...

@ Samvevedna ke swar g
aapki samvedansheelata gazab ki hai. mujhse behter aap ne kah diya. naman karta hoon...

सम्वेदना के स्वर said...

आप वरिष्ठ हैं… पाप का भागी न बनाएं...

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी जबाब नही आप की कलम का

हर्षिता said...

रिश्तों का अच्छा विश्लेषण किया है आपने।

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर योगेन्द्र जी!

नीरज गोस्वामी said...

भाई जी आपकी जय हो...एक और धाँसू ग़ज़ल हर शेर कमाल...
नीरज

स्वप्निल तिवारी said...

behad achhi achhi ghazal hai .. :) ispe to khud bhi kuch kahne ka dil ho raha hai ....

दिगम्बर नासवा said...

गुरुदेव .. हर शेर कुछ कहानी कहता है .. आप कुछ शब्दों में सदियों की बात कहते हैं ...

रवि कुमार, रावतभाटा said...

काग़ज़, कलम, दवात का रिश्ता
समझो तो जज़्बात का रिश्ता

मजदूरी, क्या मांग ली बंधु
हो गया घूंसे लात का रिश्ता

एक अच्छी ग़ज़ल...आभार आपका...

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

वाह वाह महाराज!

संजय भास्‍कर said...

हर रिश्ता है घात का रिश्ता
बहुत सही और बहुत खूब