एक और संवाद छंद
मौल्लड़ हरियाणा में मस्तमौला युवाऒं व चिरयुवाऒं, रंडवों व विधुरों के लिये प्रयोग कर लिया जाता हैं
ताऊ भी ऊपरी वर्ग का चौपाली हास्य संबोधन है
मौल्लड़ से संबंधित एक चौपाली किस्सा पढें उसके बाद छंद का आनंद लें
लै सुण ले ताऊ, नवा किस्सा...
गाम म्हं एक मौल्लड़ था. ब्याह उसका होया कोनी. उसनै एक पलूरा (कुत्ते का पिल्ला) पाल राख्या था. सुसरे नै एक कसूत आदत थी ताऊ, अक् तड़के-सांझ कूए पै जा खड़्या होवै था ऒड़ै साब्बत गाम की बहू-बेटियां पाणी भर्या करती अर् मौल्लड़ सुसरा उनपै कमैंट कर्या करता..
उसका कमैंट करण का स्टाइल बी गजब था, पलूरे के बहाने करता...
जैसे सामणै तै कोए बहू पाणी की टोकणी ल्यारी होत्ती तो मौल्लड़ कहता, है रै पलूरे.. देक्खे के.. आज तो टोकणी मटकती चाल्लै..
और कोए बहू पाणी की टोकणी ल्यारी होत्ती तो मौल्लड़ कहता, है रै पलूरे.. देक्खे के.. आज तो ऊप्पर लग पाणी भर राखया
कोए बहू पाणी की टोकणी ल्यारी होत्ती तो मौल्लड़ कहता, है रै पलूरे.. देक्खे के.. आज तो लाल सूट म्हं पाणी जा सै
बहूऐं थी तो परेसान पर लाचार बी.
गाम म्हं एक पहलवान का ब्याह होग्या. उसकी नवी नवी लुगाई बी पाणी लेण कूए पै ऐण लाग्गी. मौल्लड़ पै के रह्या जावै था, बोल्या, है रै पलूरे.. देक्खे के.. आज तो जमां नवा नवा पाणी जा सै.
बहू नै अणसुनी कर दी अगले दिन फेर वही. मौल्लड़ फेर बोल पड्या, है रै पलूरे.. इस तात्ते पाणी मैं तो घणा मजा आत्ता होगा..
दुखी हो के बहू नै घरां जा कै अपने पहलवान खसम तै सारी बात बता दी. बस फेर के था पहलवान नै छो (गुस्सा) आग्या. सर पकड़ कै मौल्लड़ धुन्न दिया. तसल्ली का तोड़्या.
चार-पांच दिन तो मौल्लड़ बिस्तरे पै पडया रह्या. छटे दिन आ खड्या होया कूए पै. पलूरा ले कै.
पहलवान की बहू आई टोकणी भर कै.
देखते ई, मौल्लड़ कराहता होया बोल्या..
हाय रै पलूरे... इसी इसी बात के घरां बताण की होए करैं....
और अब छंद का आनंद लें
और अब छंद का आनंद लें
मौल्लड़ रंगीन गया घूमने को चीन देश
चीनी एक सुंदरी से शादी वहीं कर ली
एक साल मौज मारी राम नै सुहायी कोनी
चीनी बहू एकददन्न अचानक ही मर ली
छोरे नै दहाड़ें मारी देख बोल्या ताऊ छोरे
रोना-धोना छोड़ या तो जगत की लीक सै
चाइनीज़ माल की गारंटी नहीं होती बेटे
जितना बी चल जावै उतना ए ठीक सै
--योगेन्द्र मौदगिल
20 comments:
चाइनीज आदमी और मशीन सब एक जैसे होते है...वैसे भी फैशन का दौर है तो गारंटी भूल जाना होता है...बढ़िया संवाद छ्न्द बधाई..
हा हा! बहुत सही!
मौल्लड, पलूरे अर चाइनीज माल की घणी चोक्खी तार दी।
भाई यो घणा जोरदार काम करया, मौलड तैं सबनै मिलवा दिया. और चाईनीज बीरबानी के बारे बता दिया ये अच्छा किया कि वहां माल और मिनख एक बरगे ही होया करै.:)
रामराम
हा हा हा ...चीनी माल का कोई भरोसा नहीं...बहुत खूब
पल्लड हो या मौल्लड एक ही जैसे होते हैं.
:)) बढ़िया..
Sundar kisha goyee .....padhne aur uska arth samjhkar bahut anand aaya.....
Bahut shubhkamnayne
अच्छे मस्ती भरे संवाद थे।
हा हा हा ! सही बात है -चाइनीज माल की कोई गारंटी नहीं होती।
Chopali kissa bahut acha lga !!
चीन के समान की कोई गारंटी नहीं भूल कर भी न खरीदना एसा समान
किस्सा और छंद दोनों ने ही मज़ा बाँध दिया.
यह बिलकुल सही कही है आपने:
चाइनीज़ माल की गारंटी नहीं होती बेटे
जितना बी चल जावै उतना ए ठीक सै.
यागेन्द्र जी, हरियाणवी भाषा ने तो सोने पर सुहाग का काम कर दिया. भाषा ने तो १९५७-५८ की याद दिला दी जब मैं एक साल रोहतक में रहा था.
भई, बधाई स्वीकारें.
महावीर शर्मा
हरियाणवी बोली थोड़ा ठहर-ठहर के समझनी पड़ती है लेकिन समझ में आ जाती है. लोक भाषा का अपना आनंद और मिठास है. मौल्लड...पलूरा..जैसे शब्द ही मजा ला देते हैं तो सम्पूर्ण भाव का क्या कहना.
चाईनीज माल पर करारा कटाक्ष किया है आपने.
ठीक बात सै!
किस्सा और छंद दोनो ही सोहणे ।
योगेन्द्र जी
हंसा हंसा के पेट में बल दाल दिए आपने.......ताऊ को लेकर क्या खूब हास्य परोसा है आपने
Baat to pate ki hai.ha ha
dono rachnaayen prabhavshali aur muskaan bikherne me saksham hain..
भाई हम भी चीन का माल कभी नही लेते, पता नही कब टै बोल जाये
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