संवाद-छंद-1

घनाक्षरी कवित्त या छंद या जो भी हो में मुझे लगता है कि तुकांत बदले नहीं जाते
किंतु विषय व कहन के अनुसार निम्न रचना में तुकांत बदल गये

रचना प्रस्तुत है
मैंने इसे संवाद-छंद शीर्षक दिया है
आप सब सुधिजन इस पर भी ध्यान दें


संवाद-छंद

मल्लिका शेरावत आधा मीटर कपड़ा लेकर दरज़ी के पास गयी
ऒर पूछने लगी कि इसमें मेरी तीन ड्रैस बन जायेंगी ना
दरज़ी ने मल्लिका को देखा फिर कपड़े को नापा और कहा
तीन तो बन जाएंगी पर बहन जी
जो कपड़ा बचेगा उसका क्या बनेगा..?

मित्रों इसी मंचीय टिप्पणी से प्रेरित यह संवाद छंद देखें
कि


मल्लिका शेरावत को जूसर घुमाते देख
नौकर बोला मैडम आप ये क्या घुमा रही हो

जूस की जरूरत हो तो मुझको आदेश करो
आप भला खुद ही क्यों जूस बना रही हो


मल्लिका तुनक के बोली हट मुए बेवकूफ
तेरे जैसा नौकर पाके भाग्य खो रही हूं मैं

दिखता नहीं क्या तुझे हो गया है सूरदास
जूसर में चोली-लहंगे को धो रही हूं मैं

--योगेन्द्र मौदगिल

14 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

राम राम भाई साब

हा हा हा हा हा
आज तो कई मीटर लाम्बा पाड़ दिया।
काबु म्है ई कोनी आ रहया।

अमिताभ मीत said...

उत्तम है भाई साहब ....

नीरज मुसाफ़िर said...

अजी योगेन्द्र जी,
आज क्या मल्लिका का जन्मदिन है?
जो लपेटे ही जा रहे हो, लपेटे ही जा रहे हो?

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

मल्लिका मैया की जय हो. फिल्म तो आज तक कोई नहीं चली पर आप-हम जैसों के भरोसे ही खबरों में बनी बैठी है

राज भाटिय़ा said...

अरे जो कपडा बचा है उस से दो तीन रुमाल बन सकते है जी..... बेचारी मल्लिका जी.... मुझे तो बडी दया आ रही है... इस भरी गर्मी मै भी आप उन्हे भारी भारी कपडे पहनने को कह रहे है......:)

डॉ. मनोज मिश्र said...

हा हा हा -हा हा हा

दिगम्बर नासवा said...

वाह गुरुदेव ... मज़ा आ गया आज तो ... ग़ज़ब का हास्य ...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

नया रंग मालको. मजा आ गया...

Udan Tashtari said...

बहुत सही महाराज!! :)

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ये भी सही है....:):) अब इतनी बड़ी वाशिंग मशीन की क्या ज़रूरत मल्लिका को ?

sunil gajjani said...

योगेन्द्र जी , बहुत खूब , मलिका को अभी फिल्मो में काम कम मिल रहा है तो आप ने उसे अपनी रचनाओं में इस्तमाल कर लिया . वो भी बड़ी खूबसूरती से, क्या बात है . हा हा हा ....

जितेन्द़ भगत said...

मजेदार प्रयोग:)

Pawan Kumar said...

जूसर में कपडे धुलवाने का यह नया अंदाज़.........बहुत मज़ा आया. योगेन्द्र जी हास्य का ये तड़का बहुत जबरदस्त रहा....

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

वाह क्या बात है ... आपने जूसर का सही इस्तमाल बताया है ... अब वो दिन दूर नहीं जब लड़कियां इसका यही इस्तमाल करेगी ...

मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी केलिए शुक्रिया ... आप से उत्साह पाकर मन प्रसन्न हो गया !