चर्चा जारी रहने दो.....



विजयघोष के सन्नारों की चर्चा जारी रहने दो
अपने-अपने अधिकारों की चर्चा जारी रहने दो


वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
बात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो


जिन कूचों में खेल खेलते, बचपन छूट गया हमसे
उन कूचों की, गलियारों की चर्चा जारी रहने दो


चैनल युग की आपाधापी, घर का हिस्सा बन बैठी
विज्ञापित साहूकारों की चर्चा जारी रहने दो


समता व सद्भाव-एकता और समन्वय की खातिर
कंगूरों से मीनारों की चर्चा जारी रहने दो


सुबह लान में बैठ चाय की प्याली में तूफान लिये
पुन: ’मौदगिल’ अखबारों की चर्चा जारी रहने दो
-योगेन्द्र मौदगिल


27 comments:

Arvind Mishra said...

मौदगिल भाई वह चर्चा जब तक है तभी तक कविता भी जीवित है -शानदार रचना

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

जिन कूचों में खेल खेलते, बचपन छूट गया हमसे
उन कूचों की, गलियारों की चर्चा जारी रहने दो.
वाह योगेन्द्र जी. बहुत सुंदर. आभार.

मनोज कुमार said...

बहुत ख़ूब .. बहुत-बहुत धन्यवाद
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

बेनामी said...

Dr. Arvind की बात मेरी बात।
बदलाव के सुझाव (पोयट्री जैसी)
~ये दहशत के~ की जगह ~दहशत के ये~
~समता सद्भाव एकता समन्वय~ वाले में क्रम बदलिए। अटक रहा है कुछ - अनुभव कर रहा लेकिन बता नहीं पा रहा।

शानदार !

रविकांत पाण्डेय said...

वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
बात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो

तीखे तेवर वाली लाजवाब कृति!सुबह-सुबह आनंद आ गया इस अच्छी शुरूआत से।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

राम-राम योगेन्द्र जी-चर्चा जारी रहे, आभार

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत सुंदर रचना ...सीधे दिल में उतर गई......


आपको नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं....

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

आपकी सोच काबिले तारीफ है.

नीरज गोस्वामी said...

वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
बात बात में अंगारों की चर्चा जरी रहने दो

इस शेर को पढने के बाद रह ही क्या जाता है सिवा खड़े हो कर लिखने वाले की शान में तालियाँ बजाने से...कमाल की ग़ज़ल भाई जी...जिंदाबाद...
नीरज

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
बात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो !

बहुत सुन्दर, लाजबाब !

समय चक्र said...

रोचक अंदाज बढ़िया रचना बधाई ....नववर्ष की शुभकामनाये.

sandhyagupta said...

Nav varsh ki dher sari shubkamnayen.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

लाजवाब रचना!!
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!!

दिगम्बर नासवा said...

एक और जानदार ग़ज़ल ....... कमाल करते हैं आप ..... यथार्थ की ज़मीन से जुड़े कमाल के शेर हैं सब ............ पूरी ग़ज़ल बेतहरीन है .........

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी

Himanshu Pandey said...

"समता व सदभाव-एकता और समन्वय की खातिर
कंगूरों से मीनारों की चर्चा जारी रहने दो "

जवाब नहीं इन पंक्तियों का । पूरी गजल शानदार है । आभार ।

डॉ टी एस दराल said...

बहुत सुन्दर और असरदार रचना, योगेन्द्र जी।
नव वर्ष की शुभकामनायें ।

गौतम राजऋषि said...

ये ग़ज़ल पहले भी पढ़ी है मैंने आपकी। शायद संकलन में। फिर से मजा आया।

विनोद कुमार पांडेय said...

चर्चा पर ही तो आज संसद चल रहा है..
चर्चा पर ही तो देश का क़ानून मचल रहा है,
चर्चा पर ही तो न्याय मिलने की आस है,
और चर्चा का स्थान हमारे देश में बहुत खास है..

इसे जारी ही रहने दिया जाय..बहुत बढ़िया रचना...बधाई....
साथ ही साथ नववर्ष की शुभकामनाएँ एक दिन पहले ही...बधाई..

Asha Joglekar said...

बात बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो ।
बहुत बढिया ।
नये वर्ष की आपको परिवार समेत अनेकानेक शुब कामनाएं ।

मथुरा कलौनी said...

बहुत ही भावपूर्ण कविता। बधाई स्‍वीकारें

नये साल के लिये मंगलकामनाऍं

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

नव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
आपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।
आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,
रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।
--------
2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।

महेन्द्र मिश्र said...

नववर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामना - महेन्द्र मिश्र

Smart Indian said...

नववर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!

श्रद्धा जैन said...

तीखे तेवर वाली रचना पढ़ कर अच्छा लगा

नव वर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएँ

Satish Saxena said...

!! शुभकामनायें !

Kuldeep Saini said...

kavita k liye bahut bahut aabhaar bahut sundar rachna bahut sundar