कंकरीट के चौबारे में, अद्भुत है नक्कासी.
रौशनदान में अटकी चिड़िया, मर गई भूखी प्यासी..
इतनी सुविधा के हित खरचा-चर्चा चौबीस घंटे.
दिन में गाहक, रात फैक्टरी, भैय्या के सब टंटे..
बाबा भेज दिये भैय्या ने उल्टे पैरौं गांव,
मैली छत की हंसी उड़ाती, बरसाती की छांव..
चौबारे पर बैठी भाभी चौराहे को ताके,
मूस-बिलौटे घर में खेलें कुत्ते भीतर झांके..
घर का पाहुन दरवाज़े की घंटी नहीं बजावै.
देख के महरी दांत भीच कै मंद मंद मुस्कावै..
बच्चे गये बोर्डिंग घर में सहज सखि-सम्मेलन.
ताश-तंबोला धुर सारा दिन, जुल्मी किट्टी फैशन..
देवर दुश्मन लगे रे भैय्या, ननदी लगे चुड़ैल.
मन के भीतर-घर के भीतर, भरा उफनता मैल..
ऐसा भी क्या घर होता है होश संभाली सोचा ?
घर को घर कहने से पहले मन सारा दिन लोचा..
--योगेन्द्र मौदगिल
15 comments:
वाकई, बड़ी दयनीय स्थिति में पहुँच गए बहुतेरे, जनसंख्या विस्फोट अपना रंग दिखाती नजर आ रही है ! सुन्दर कविता !
योगेन्द्र जी
बहुत कुछ कह रही है यह रचना ... सुन्दर प्रस्तुति आभार
संसारनामा हैं आपके दोहे ........ सच की अभिव्यक्ति ...........
एक पोस्ट में कह गए आप कैसे कुछ मैं बोलूं
क्या सारी दुनिया झूटे टंटे? मन को अपने तोलूं
ऐसा भी क्या...
बहुत सुंदर रचनाएँ । जीवन उतर आया है इन में।
कलयुगी दुनिया की सच्चाई।
जमाने सच का आईना दिखाती बहुत ही सुन्दर रचनाएँ!!!!!!
आभार्!
सच कि अभिव्यक्ति के साथ,...... बहुत अच्छी लगी यह रचना.......
भूतन के डेरे भी रश्क करने लगे हैं ऐसे घरों से...
जय हिंद...
WAAH WAAH WAAH...LAJAWAAB !!!
कैसे हैं मौदगिल जी .....?
बहुत दिनों बाद इधर आये .....आपका तो ब्लॉग ही हास्य बिखेर रहा है ....बहुत खूब ....!!
और रचना तो घर का सारा कच्चा चिटठा खोल रही है ....!!
... लगभग हर घर में यही बाजा बज रहा है !!!!
भाई जी अब किस दोहे की बात करूँ और किस को छोडूं...आप तो जी दुविधा में डाल देते हो...एक से बाद कर एक दोहे और सारे के सारे गहरे अर्थ समेटे हुए...रोशन दान पे अटकी चिड़िया...में तो आप ने जो कमाल किया है उसकी तारीफ़ शब्दों में कीही नहीं जा सकती...वाह भाई जी वाह...जयपुर से आज लौटा हूँ और आपकी पोस्ट पढ़ कर गद गद हो गया हूँ...जय हो...
नीरज
yah rachna bhi aaj ki kadawi sachchayee hai!
घर का रूप बदल गया है,
आज की बदलती दुनिया में,
रिश्तों के आयाम बदल गये है,
इस रंग बदलती दुनिया में..
बहुत बढ़िया बढ़िया बातें आपकी रचना में दृष्टिगोचर होते हुए..बधाई जी
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