मई दिवस

इस लघु-व्यंग्य को अवसरानुकूल प्रस्तुत करता तो इसकी धार को ज्यादा महसूसा जा सकता था, पर भूल गया...... अब प्रस्तुत कर रहा हूं........

उम्मीद ही नहीं यक़ीन है आप सब को अच्छा लगेगा...

और हां इन दिनों अपनी फैक्ट्री में एक नयी मशीन के इंस्टालेशन की प्रकिया में अस्त-व्यस्त हूं इसलिये बहुत सारे प्रिय ब्लाग्स पर भी जाना नहीं हो पा रहा है. मौक़ा मिलते ही जरूर पहुंचूंगा. तब तलक आप इसे पढ़ें............






चौकी इंचार्ज ने
मुंशी को दहाड़ कर बुलवाया
मुंशी हाजिर होकर मिमियाया
सर फरमाइये-आदेश बतलाइये
थानेदार बोला रे मुंशी
मेरे आदेश का तुरंत पालन करवाइये
पड़ौस के ईंटभट्टे से मजदूरनों को बुलवाइये
सुनते ही मुंशी चौंक कर बोला
सर कमाल करते हैं आप
कुछ तो स्टेटस भी देखिये
भला कहां मजदूरनें और कहां आप
यह सुनते ही दहाड़ा थानेदार
अबे कुछ तो समझा कर मुंशी यार
आज..
आज हम
मजदूरनों से ही दिल बहलाएंगें
पहली मई है ना
थाने में
श्रमिक दिवस मनाएंगें
--योगेन्द्र मौदगिल

26 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

सुंदर लिखा है आपनें, वाह और आह का अच्छा सम्मिश्रण .

gaganjaingarg said...

wah bahut badhiya shrimaan
der aayad durust aaye

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत गजब बंधु. आनंद आया.

रामराम.

विवेक सिंह said...

धो दिया , धो दिया !

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत विभत्स व्यंग्य है।

Udan Tashtari said...

उनकी नजरों से मजदूर दिवस का मजबूर नजारा देखा.

राज भाटिय़ा said...

राम राम , लेकिन नारी शक्ति मंडल की प्रधान ने यह पढ लिया तो आप के संग संग हमरी भी वाट लग जयेगी.

राजीव तनेजा said...

कटु किंतु सत्य

"अर्श" said...

KATU SATYA....

जितेन्द़ भगत said...

हर तरफ भेडि‍ये ही भेडि‍यें हैं:(

Ashok Pandey said...

जबर्दस्‍त लिखा है भाई। ब्‍लॉग का लुक भी काफी सुंदर दिख रहा है।

दिगम्बर नासवा said...

आपकी vyang की dhaar bahoot ही tez और dhaar daar है........... yathaarh है

Vinay said...

ज़बरदस्त

---
तख़लीक़-ए-नज़र

निर्मला कपिला said...

ेक दम धमाकेदार और सटीक शुभकामनायें

मोहन वशिष्‍ठ said...

मौदगिल जी हर तरह की तरह धमाकेदार परफारमेंस है आपकी बेहतरीन

Dileepraaj Nagpal said...

patakaa food daala aapne to

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत बढि़या! ऐसे ही मनाना चाहिये मई दिवस.

admin said...

बहुत सुंदर।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

कंचन सिंह चौहान said...

:) :)

hem pandey said...

पढ़ कर सिर शर्म से झुक गया.

Asha Joglekar said...

यही है क्या मेरा भारत महान ।

गौतम राजऋषि said...

ha! ha!!

nice one sir!

Smart Indian said...

सही लिखा है. चाहे चाकू खरबूजे पर गिरे या...

विनोद कुमार पांडेय said...

वाह,
क्या ग़ज़ब तरीका था मजदूर दिवस मानने का,
मजेदार कविता..
बधाई हो!!!

रविकांत पाण्डेय said...

गजब! आपकी शैली ने तो हरिशंकर परसाई जी के भेंड़ और भेंड़िये की याद दिला दी।

sandeep sharma said...

bahut achchhe tarike se majdoor divas manaya thanedaar ne... vaise ameer log garibo ka ese hi khoon chuste hain.... karara vyangya kiya kavita mein...