एक नवगीत प्रस्तुत कर रहा हूं इस यक़ीन के साथ कि आपको अच्छा लगेगा
बात बात में ही तार तार हो गये.
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये..
नंगई को जी रहे हैं,
आंख के उसूल.
प्यार के दो बोल प्यारे,
हो गये फिजूल.
जानते हैं फिर भी दाग़दार हो गये.
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये..
नित्य क्षोभ, बांटता है,
व्यर्थ का गुमान.
आन, पाग ढूंढती है,
मान को जुबान.
खंजरों से बोल आर पार हो गये.
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये..
बद्दुआएं गालियां हैं,
खूब होश में.
प्यार भी मिलता है,
लेकिन शब्दकोष में.
बोलियों के बोल ज्यों दोधार हो गये.
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये..
--योगेन्द्र मौदगिल
34 comments:
वाह वाह सुंदरतम अभिव्यक्ति.
रामराम.
kahan se laaon naye shabd, aapke geeton ki prasansha ke liye.
खंजरों से बोल आर पार हो गये.
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये..
-यथार्थ उजागर करता नव-गीत!! बधाई हो, बहुत पसंद आया.
मौदगिल साहब जी नमस्कार
आज के हालातों की सच्चाई बयां की है आपने अच्छी लगी यह सच्चाई बयां करने की अदा हमारे ब्लाग पर भी दर्शन दो श्रीमान
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये.......
क्या खूबसूरती से लिखा है आपनें ,बधाई .
बहुत बढिया !
अच्छी बात , सच्ची बात....
यथार्थ को अभिव्यक्त करते इस नवगीत के लिए बहुत बहुत बहुत बधाई!
नंगई को जी रहे हैं,
आंख के उसूल.
प्यार के दो बोल प्यारे,
हो गये फिजूल.
जानते हैं फिर भी दाग़दार हो गये.
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये..
सच्चाई को ब्याँ करता आपका ये नवगीत बहुत पसन्द आया
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये
सत्य-वचन। अच्छा नवगीत है।
नंगई को जी रहे हैं,
आंख के उसूल.
प्यार के दो बोल प्यारे,
हो गये फिजूल.
जानते हैं फिर भी दाग़दार हो गये.
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये..
सत्य कथन महाराज्!!!!! बहुत बढिया!!
wah, yogendra ji shabd kam pad gaye hain.
उत्तम है भाई. सरल और सत्य.
सुन्दर गीत है , बहुत पसंद आया , बधाई
आपने तो निराला की याद दिला दी -नेह निर्झर बह गया है रेत सा तन जो रह गया है
बहुत बढिया!!
बहुत सुन्दर कविता लिखी है।
घुघूती बासूती
नंगई को जी रहे हैं,
आंख के उसूल.
प्यार के दो बोल प्यारे,
हो गये फिजूल.
जानते हैं फिर भी दाग़दार हो गये.
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये..
योगेन्दर जी एक सच जिसे आज ज्यादा तर झुठलाना चाहते है.बहुत सुंदर
धन्यवाद
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये.
वाह !
खंजरों से बोल आर पार हो गये.
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये..
adbhut!!
bahut teekha magar sachcha likha hai.
खंजरों से बोल आर पार हो गये.
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये..
bahut khoob
बहुत ही सही कहा आपने सम्बन्ध रेत की दीवार हो गये....................अतिसुन्दर .........बहुत खुब
…सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये।
क्या बात कही है।
बहुत सुन्दर .
बहुत बढ़िया लगा यह नवगीत
प्यार भी मिलता है,
लेकिन शब्दकोष में.
bahut khoobsurat navgeet....badhai
सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये.......
लाजवाब नवगीत गुरुदेव ............. मन को छु गयी आपकी ये मधुर रचन
वाह ! वाह ! वाह !
क्या बात कही आपने....वाह.. !!!
आनंद आ गया...आपकी इस यथार्थपरक सुन्दर रचना ने तो मन ही मोह लिया...
navgeet zindaa hai ,log samjhe the parindaa hai .sahi sandarbh muhaiyaa karvaayaa hai vyangya ko ,yogendra mudgelji ,badhaai -virendra sharma (veerubhai1947.blogspot.com(virendra sharma )veerubhai1947@gmail.com
Har baar ki tarah bahut achche.
Aap jab jab aaj ke rishton par vayang karte hain .......kamaal karte hain
man jhoom utha ek ek shabd sach
aapko padhna bahut achha lagta hai
सुन्दर।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
इतना ज़ोरदार नवगीत सिर्फ़ हमारे योगी बड्डे ही रच सकते हैं, शर्त लगा लीजिए मौदगिल साहब। हा हा! बहुत बेहतर बहुत संजीदा बात कही साहब। आप आप ही हैं योगी बड्डे, सच।
सच, सम्बन्ध आज रेत की दीवार हो गये!
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