भयंकर गर्मी उमस और लाइट-कटों से जूझते हुए एक हल्की-फुल्की रचना आप सब के लिये
सचमुच गुरूघंटाल गुरू जी.
चाट रहे तर माल गुरू जी.
नगर हुआ कोले का डीपो,
पर हीरे की टाल गुरू जी.
लौंडे हों, आशिक-आवारा,
एक-एक की ढाल गुरू जी.
कुछ दिन दिल्ली क्या हुइयाए,
बदली-बदली चाल गुरू जी.
डील-डौल से दारासिंग पर,
बुद्धि से कंगाल गुरू जी.
फुदक रहे हैं देकर चंदा,
ले मौमैंटो-शाल गुरू जी.
कविता तो करते सपने में,
जाग बजाते गाल गुरू जी.
अपनी ढफली-अपने चमचे,
अपना इस्तकबाल गुरू जी.
शनिदेव से गुत्थमगुत्था,
ले घोड़े की नाल गुरू जी.
बैटमैन, फैंटम, राबिनहुड,
सुपरमैन, शाकाल, गुरू जी.
स्वयंसिद्ध अपवाद 'मौदगिल',
नगरप्रिय, नक्काल गुरू जी.
--योगेन्द्र मौदगिल
29 comments:
हलकी फुलकी में भी मनुष्य की हलकी फुलकी प्रवृत्तियों पर अच्छा व्यंग्य किया है।
achha vyang है guru dev............. har sher kataaksh karta huva ..............
यो गुरुजी कोन्या यो तो कोई पक्का महा्ताऊ का ताऊ दिखै सै मन्नै तो.
रामराम.
मौदगिल साहिब इन गुरुजिओं के बारे में क्या कमाल की बात कही है आपने... और जितने खूबसूरती से कही है उतनी बेबाकी से भी ... उनके सारे ही सच आपने सामने लाकर खडा कर दिया... बहोत बहोत बधाई साहिब..
अर्श
vaah guruji- wah guruji- maan gaye guruji- ham sab ki hain shaan guruji
जल्दी बोले कब होवे वर्षा भरपूर गुरू जी
वाहे गुरु जी !
मान गए गुरूजी...लेखन में आपकी सी क्षमता वाला दूसरा कोई नहीं...मजा आ गया भाई जी...मजा...सच्ची...
नीरज
सचमुच गुरूघंटाल गुरू जी.
चाट रहे तर माल गुरू जी.
नगर हुआ कोले का डीपो,
पर हीरे की टाल गुरू जी.
लौंडे हों, आशिक-आवारा,
एक-एक की ढाल गुरू जी.
वाह वाह क्या पोल खोली आप ने इन गुरुओ की
धन्यवाद
गुरू जी जब हैं ही घंटाल तो अपने नाम की इज्ज़त खूब रख रहे हैं.
kya baat hai guruji ki
.........waah waah
___________badhaai !
lakh lakh badhaai !
वाह वाह गुरूजी !
wah maudgil ji, vyang ho to aap jaisa, ek dum super kataksh. maan gaye .
गुरु की महिमा अपरम पार। बेहतरीन।
यह भी खूब रही गुरू जी। मजेदार।
बहुत ही मजे..मजे..मजेदार रचना मौदगिल जी।
इस गर्मी में हंसाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
कविता तो करते सपने में,
जाग बजाते गाल गुरू जी....
वाह गुरू जी, वाह गुरू जी .
वाह जी वाह
गुरु हों तो ऐसे ..
पढते ही मुँह से बस एक ही शब्द बार-बार निकला कि...वाह...वाह-वाह.....वाह-वाह...वाह
बैटमैन, फैंटम, राबिनहुड,
सुपरमैन, शाकाल, गुरू जी.
स्वयंसिद्ध अपवाद 'मौदगिल',
नगरप्रिय, नक्काल गुरू जी.
Batman, phantom wala She'r to bahut badhiya hai! Good one, sir!
RC
haasya aur vyang ka behatareen sangam
badhiya lagi ye kavita
shubh kaamna
वाह !! क्या कहने गुरूजी के ..
वाह्! जी वाह्! कमाल कर दिया आपने......बेहतरीन!!!
गुरूघंटाल गुरू जी. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है...*
ये किस युग के गुरू जी ?
धन्य-धन्य वे जन जो
इनकी संगत पाएं
लौंडे ही नहीं अब तो
बच्चे भी आशिक आवारा से बौराएँ
सुन्दर छोटी बहर की व्यंगात्मक पुट लिए मज़ेदार ग़ज़ल प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
बहुत खूब!! वाह वाह!
गुरू जी........
आभार
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
वैसे आपने यह गजल किस गुरूजी को समर्पित की है, कोई हिंट तो देते।
ह ह हा। गजल शानदार है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अहा..
एकदम अनूठा अंदाज़ गुरूजी का
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