मित्रों आप सब के लिये एक ग़ज़ल लेकर फिर उपस्थित हूं........ देखियेगा...
सुन लो वही कहानी एक.
इक था राजा-रानी एक.
दिल भी यकसां हो जाये,
ग़र हो दाना-पानी एक.
पुनः जरूरत है प्यारे,
झांसी की मरदानी एक.
पूत कपूत भी निभ जाये,
बिटिया भली सयानी एक.
मुद्दत से मैं ढूंढ रहा,
लैला सी दीवानी एक.
क्या जेहलम, क्या गंगा जी,
मुझको लगता पानी एक.
हमें 'मौदगिल' क्या चिन्ता,
हम हैं राजा-जानी एक.
--योगेन्द्र मौदगिल
32 comments:
पुनः जरूरत है प्यारे,
झांसी की मरदानी एक.
पूत कपूत भी निभ जाये,
बिटिया भली सयानी एक.
बहुत अच्छा लिखा है,सही लिखा है ।
साधुवाद !
kya jhelam kya gangaji
mujhko lagta pani ek
___________________waah waah kya baat hai !
BADHAAI !
बहुत सुन्दर. हम तो चिंतित हैं मिली की नहीं? "मुद्दत से मैं ढूंढ रहा,
लैला सी दीवानी एक"
बहुत बढ़िया है भाई. क्या बात है !!
पूत कपूत भी निभ जाये,
बिटिया भली सयानी एक.
बहुत बढिया
क्या जेहलम, क्या गंगा जी,
मुझको लगता पानी एक.
अहा! आनंदम! अतिआनंदम! तीर बिल्कुल सही निशाने पर लगा है।
bahut sundr gazal hai bhai jee .
दिल भी यकसां हो जाये,
ग़र हो दाना-पानी एक.
is she'r ke baare me jitani taarif karun wo kam padta jayega....... aur maaloom bhi hai ke aap hi bas aisaa likh sakte hai.... dhero badhaayee sahib...
arsh
लाजवाब भाई.
रामराम.
छोटे बहर की उम्दा ग़ज़ल,
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
पूत कपूत भी निभ जाये,
बिटिया भली सयानी एक.
bahut khoob.......
जरा ऑडियो फाइल लगा दीजिये एक बार... सुनाने की इच्छा हो चली है. और पिछली पोस्ट के जीवन सूत्र तो कमाल के थे. वाह !
वाह क्या बात है बहुत सुंदर जी,धन्यवाद
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
बहुत बढिया योगेन्द्र भाई मै भी मुद्द से ढूंढ रहा हूं लैला एक्।
बहुत सुंदर लिखा है .. बधाई।
दिल भी यकसां हो जाये,
ग़र हो दाना-पानी एक.
सच्ची बात ।
wah maudgil ji , hamesha ki tarah aapke blog ka ek aur ratn. lajawaab rachna. badhai.
गज़ब भाई..बहुत बेहतरीन!!
भली लगी यह कहानी एक.
दिल भी यकसां हो जाये,
ग़र हो दाना-पानी एक.
लाजवाब.......बेहतरीन!!!!
क्या जेहलम, क्या गंगा जी,
मुझको लगता पानी एक.
Wah !! sambhav darshati sundar ghazal !
पुनः जरूरत है प्यारे,
झांसी की मरदानी एक.
पूत कपूत भी निभ जाये,
बिटिया भली सयानी एक.
" बहुत ही जानदार बात कह डाली इन पंक्तियों ने"
regards
aap ka jawab nahin, gaagar me saagar.
क्या जेहलम, क्या गंगा जी,
मुझको लगता पानी एक.
भाई जी जो बात लोग पोथी पे पोथियाँ लिख कर समझाते हैं और समझा नहीं पाते वो आपने इस शेर में कह दी...आपकी जितनी प्रशंशा करूं कम ही लगती है...वाह प्रभु वाह...
नीरज
वाह ! वाह ! वाह !!! क्या बात कही है....लाजवाब ग़ज़ल....सभी शेर अनमोल रत्न से....एक से बढ़कर एक....
मुद्दत से मैं ढूंढ रहा,
लैला सी दीवानी एक.
ye na hui baat.
नमस्कार यौगेन्द्र जी,
उम्दा ग़ज़ल है. छोटे बहर की ग़ज़ल में आपने आसान लफ्जों को बेहद खूबसूरत अंदाज़ में पिरोया है.
ये शेर बहुत पसंद आये.
पूत कपूत भी निभ जाये,
बिटिया भली सयानी एक.
क्या जेहलम, क्या गंगा जी,
मुझको लगता पानी एक.
पूत कपूत भी निभ जाये,
बिटिया भली सयानी एक.
मुद्दत से मैं ढूंढ रहा,
लैला सी दीवानी एक.
क्या जेहलम, क्या गंगा जी,
मुझको लगता पानी एक.
padhte padhte साड़ी ग़ज़ल ही utaar देता टिपण्णी में............... kyuni सारे के सारे शेर lajawab हैं........ anmol moti की तरह
सार्थक रचना, पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।
आप तो ग़ज़ल के उस्ताद ठहरे जी! क्या शब्दों को नगीने की तरह जड़ दिया है आपने। भाव भी बड़े उम्दा हैं। दो शेर मैं भी जोड़ता हूँ:
मजे लिए जा बढ़-चढ़कर
मिलती सिर्फ़ जवानी एक
ग़ज़ल करे मस्ती लेकिन
निभती रहे रवानी एक
:)
पुनः जरूरत है प्यारे,
झांसी की मरदानी एक.
बहुत खूबसूरत आभार्
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
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