छलिया तू तो छलिया है.....

जिन आंखों में सुंदर सपन सलोना हो.
वो क्या जाने, दुनिया में दुख-रोना हो.

एक नज़र का प्यार तुम्हें लगता होगा,
मुझको तो लगता है जादू-टोना हो.

प्यार-ब्याह, बीवी-बच्चे, लालन-पालन,
जैसे मनचाहा सा बोझा ढोना हो.

ले-ले कर वो नाम खुदा का पूछ रहे,
इस मिट्टी में बोना तो क्या बोना हो.

छलिया तू तो छलिया है, क्या समझेगा ?
तेरे लिये तो ये जग निरा खिलौना हो.
--योगेन्द्र मौदगिल

32 comments:

Yogesh Verma Swapn said...

WAH MAUDGIL JI WAH, KYA KHOOB KAHA HAI
छलिया तू तो छलिया है, क्या समझेगा ?
तेरे लिये तो ये जग निरा खिलौना हो.

BAHUT SUNDER , HAMESHA KI TARAH . ISI KE SAATH ST COMMENT KA SAUBHAGYA.

seema gupta said...

" jin ankhon me sunder spn salona ho,
vo kya jane, duniya mey dukh rona ho"
" bhut sundr bhavo se sje ye panktiyan khaas acchi lgi.."

Regards

"अर्श" said...

WAAH JI WAAH ... FIR SE LAGAYA AAPNE KAS KE .... BAHOT HI UMDA...KHEL KHEL ME ... DHERO BADHAAEE AUR SADHUWAAD ...

ARSH

सुशील छौक्कर said...

बेहतरीन।

Nitish Raj said...

sunder bahut sunder rachna...

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

जितनी तारीफ की जाए,उतनी कम है.....बधाई

ताऊ रामपुरिया said...

आज तो अंदाज ही निराले हैं. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

sandeep sharma said...

बहुत ही सुन्दर रचना....

दिगम्बर नासवा said...

छलिया तू तो छलिया है, क्या समझेगा ?
तेरे लिये तो ये जग निरा खिलौना हो.
तारीफ़ क्या करुँ शब्द नहीं हैं मोदगिल साहब.
बेहद खूबसूरत, सार्थक ग़ज़ल .........
आपके निराले अंदाज़ में

Udan Tashtari said...

जबरदस्त!!! वाह भाई!!

Yogendramani said...

ले ले के नाम खुदा का पूछ रहे
एस मिट्टी में बोना तो क्या बोना हो
क्या खूब कहा है आपने
कुछ कहने के लिऐ शब्द ही नहीं हैं

दिनेशराय द्विवेदी said...

क्या बोया था किसी को मालूम न था,
फूटे अंकुर तो खबर सब को हो गई।

राजीव तनेजा said...

हर बार की तरह इस बार भी बढिया रचना...


आपसे एक बात पूछनी थी कि आप नित नई रचनाएँ कैसे रच लेते हैँ?

P.N. Subramanian said...

बहुत खूब, अब बहुत बोलें या खूब, मतलब तो एक ही है.

राज भाटिय़ा said...

जिन आंखों में सुंदर सपन सलोना हो.
वो क्या जाने, दुनिया में दुख-रोना हो.
एक नज़र का प्यार तुम्हें लगता होगा,
मुझको तो लगता है जादू-टोना हो.
योगेन्दर जी बहुत ही सुंदर लिखा आप के .
धन्यवाद

Anonymous said...

एक नज़र का प्यार तुम्हें लगता होगा,
मुझको तो लगता है जादू-टोना हो.

प्यार-ब्याह, बीवी-बच्चे, लालन-पालन,
जैसे मनचाहा सा बोझा ढोना हो.

waah behtarin,bahut badhai

Dr. Amar Jyoti said...

बहुत सुन्दर! बधाई।

अनिल कान्त said...

बहुत ही उम्दा लेखन है .....बहुत अच्छा लगा पढ़कर

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

दूसरा शेर या दोहा जो भी कहें इसमें मजा आ गया.

मोहन वशिष्‍ठ said...

मौदगिल साहब जी बहुत बहुत खूबसूरती से और पूरा ढूबकर लिखा है आपने बहुत ही अच्‍छा लगा

धन्‍यवाद इसको पढवाने के लिए

admin said...

एक नज़र का प्यार तुम्हें लगता होगा,
मुझको तो लगता है जादू-टोना हो.

प्यार-ब्याह, बीवी-बच्चे, लालन-पालन,
जैसे मनचाहा सा बोझा ढोना हो.


बहुत ही प्यारे शेर हैं, बधाई।

pallavi trivedi said...

waah...bahut badhiya.

Abhishek Ojha said...

जबरदस्त. !

Asha Joglekar said...

जिन आंखों में सुंदर सपन सलोना हो.
वो क्या जाने, दुनिया में दुख-रोना हो.

बहोत बढिया ।

डॉ. मनोज मिश्र said...

छलिया तू तो छलिया है, क्या समझेगा ?
तेरे लिये तो ये जग निरा खिलौना हो.....
बहुत सुन्दर .

गौतम राजऋषि said...

आहहाहा सर...इस "हो" वाली अदा ने मन मोह लिया हो....
इब्ने इंशा साब की झलक दिख गयी....

Anonymous said...

'छलिया तू तो छलिया है, क्या समझेगा ?
तेरे लिये तो ये जग निरा खिलौना हो'
-सुंदर..

कंचन सिंह चौहान said...

doosara aur teesara sher...bemisaal

Mumukshh Ki Rachanain said...

छलिया तू तो छलिया है, क्या समझेगा ?
तेरे लिये तो ये जग निरा खिलौना हो.

अहसास तो पहले से ही था, पर आपने ये बात कह कर संदेह को पक्का कर दिया.

बेहतरीन ग़ज़ल प्रस्तुति पर बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त

रविकांत पाण्डेय said...

वाह!! वाह!! आनंद आ गया। बहुत प्यारी रचना!

रंजना said...

प्यार-ब्याह, बीवी-बच्चे, लालन-पालन,
जैसे मनचाहा सा बोझा ढोना हो.

वाह ! वाह ! वाह ! क्या बात कही आपने.....कितना सटीक...वाह.

आप लोग तो कलम के जादूगर हैं...लेखन के करतब देख देखा हम ठगे से खड़े रह जाते हैं...

Alpana Verma said...

ले ले के नाम खुदा का पूछ रहे
एस मिट्टी में बोना तो क्या बोना हो

वाह! वाह! जबरदस्त!क्या बात है !