दारू ने अंगड़ाई ली.
घर की पाई-पाई ली
समझा-समझा टूट गया,
अब्बू ने चारपाई ली.
अपना घर बर्बाद किया,
फोकट जगत-हंसाई ली.
प्यार मुफ्त में बांट दिया,
उसने मोल लड़ाई ली.
लूटा क्या इक बार मज़ा,
सारी उमर दवाई ली.
कूंआ देकर हिस्से में,
अपने हिस्से खाई ली.
उसने सबको जीत लिया,
उसने पीर परायी ली.
चर कर माल जंवाईं ने,
जम कर दांत घिसाई ली.
--योगेन्द्र मौदगिल
26 comments:
अजी वाह्! क्या खूब लिखा है.हर शेर में सच्चाई छुपी है.
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"चर कर माल जंवाई ने
जम कर दांत घिसाई ली"
मौदगिल जी, या गजल कदी ससुराड मैं बैठ के ही तो नी लिखी.
बहुत खुब, लेकिन अब तो नारीयां भी पब मे जा कर खुब पीने लगी है, जो कल तक हमे रोकती थी, यानि अब तो बरवादी से कोई नही रोक सकता.
बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना , हमेशा की तरह से
धन्यवाद
क्या आलतू-फ़ालतू बात करते हैं योगेन्द्र भाई! लगता है आज वेलेंटाइन डे पर भौजाई ने मेरा शास्त्र आपको उपहार स्वरूप भेंट कर दिया क्या जो दारू के ख़िलाफ़ आप इतनी लम्बी ग़ज़ल कह गए?
बहुत बढिया!! बहुत सामयिक रचना है। सच्चाई ब्यान करती है आपकी यह रचना।बहुत अच्छी लगी।धन्यवाद।
ला पिला दे साकिया पैमाना
पैमाने के बाद...
होश की बातें करूँगा होश में आने के बाद
सच्चाई ब्याँ करती उम्दा रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई
bahut badhiya rachana .abhaar
वाह .मान गये उस्ताद !
जबरदस्त मौदगिल साहेब!! छा गये.
भैया, तीन दिन के लिए ससुराल की शादी में जा रहा हूँ। याद रखूंगा, दांत और पेट बचा कर रखूँगा।
बड़ी अच्छी गज़ल। और वैलेंटाइन डे पर cursor भी intersting.
बहुत अच्छे, अब तो चकाचक टिप्पणियाँ छप रही हैं!
छा गये गुरू,सिद्धू स्टाईल मे बधाई।
छोटे छोटे वाक्यों में आपकी रचनायें कुछ सतसइया के दोहरों की तरह हैं.
jabardast , hamesha ki tarah khoobsurat rachna.
आपकी रचना सुन्दर है।
आभार!
बात तो खरी कही है.
घणी सुंदर रचना, बधाई.
रामराम.
योगेन्द्र जी,
आप ब्लाग पर पधारे
बड़ी प्रसन्नता हुई....आज
आपकी रचनाएँ पढ़ रहा हूँ.
बहुत सीधे-सादे अंदाज़ में नसीहत
की बड़ी बातें कह देना प्रभावित कर रहा है.
शेष फ़िर....
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चन्द्रकुमार
बढ़िया दारुबाज चित्रण !
मैं कितनी दाद दूं, समझ में नहीं आ रहा, क्योंकि पूरी गजल ही लाजवाब है।
पहली पंक्ति पढ़ कर
मयखार को इतना होश कहाँ,
रिश्ते की हकीकत को समझे,
बेटी का सौदा कर डाला,
दारू की बोतल की खातिर
शेर याद आ गया...!
छुड़ा कर ही मानोगे जी।
बहुत ख़ूब!
क्या कहें सर...क्या कहें
बस वाह कह कर चुप हो जाना जँचता नहीं
बहुत खूब
उसने सबको जीत लिया
उसने पीर पराई ली।
बहुत संजीदा बात कह गए योगी बड्डे। अहा!
क्या कहें ............
अपनी ठेठ बिहारी जुबान में कहें तो "गर्दा" लिखे हैं.
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