रचते हैं रोज नये-नये षड्यंत्र.
नेताऒं को भाता नहीं शारदे का मंत्र.
लोकतंत्र हो गया रे मारपीट तंत्र.
ऐसे में मनाएं बोलो कैसे गणतंत्र ?
राजनीति देश की विषैली हुई रे.
राजनीति कड़वी-कसैली हुई रे.
राजनीति रूपयों की थैली हुई रे.
राजनीति देखो मैली-मैली हुई रे.
बौखलाये नेता-बौखलाया जनतंत्र.
राजधानी ने रचा ये कैसा राजतंत्र ?
लोकतंत्र हो गया रे मारपीट तंत्र.
ऐसे में मनाएं बोलो कैसे गणतंत्र ?
धन्य हैं जी आप, आप राजनेता हैं.
भारती के लिये शाप राजनेता हैं.
तस्करों की नयी खाप राजनेता हैं.
उग्रवादियों के बाप राजनेता हैं.
राजनीति भूल गई गरिमा के मंत्र.
भूल गये लोग सब एकता के मंत्र.
लोकतंत्र हो गया रे मारपीट तंत्र.
ऐसे में मनाएं बोलो कैसे गणतंत्र ?
कहीं तोड़-फोड़, कहीं हड़ताल रे,
नेता सारे चलते हैं टेढ़ी चाल रे,
जनता का हुआ देखो बुरा हाल रे,
छूट गये धंदे, छूटी रोटी-दाल रे,
बहुराष्ट्री कंपनियों का बिछ गया तंत्र.
मल्टीनेशनल ने छुड़ाया स्वदेशी का मंत्र.
लोकतंत्र हो गया रे मारपीट तंत्र.
ऐसे में मनाएं बोलो कैसे गणतंत्र ?
आप से अपील देश-मान कीजिये.
देश के उद्योगों की पहचान कीजिये.
सीमाऒं का देश की सम्मान कीजिये.
बच्चों संग घर-घर राष्ट्रगान कीजिये.
वरना टूट जायेगा ये मूल गणतंत्र.
पूछते फिरोगे सांप काटने का मंत्र.
लोकतंत्र हो गया रे मारपीट तंत्र.
ऐसे में मनाएं बोलो कैसे गणतंत्र ?
--योगेन्द्र मौदगिल
29 comments:
तगड़े कटाक्ष....बढिया कविता
गणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामना !!
bahut achhe kathksh hai
padh kar maja aa gaya
kuch aise hi jhinjhdte hue shabdon ke prhaar zaruri hai
आपका व्यंग सदैव ही बहुत सटीक और सोचने को बाध्य करता है. आज की रचना तो व्यंग का आवरण हटाकर सीधे सीधे ललकार बन गई है, एक भर्त्सना है. दोनों ही लक्षित हो रहे हैं --आपकी संवेदना और निर्भीक मुखरता.
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
बहुत बढिया व्यंग्य..........
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऎं......
Excellent! गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
शानदार कविता!
आप की दमदार लेखनी से निकली एक और दमदार रचना...जय हो..आप लाजवाब हैं...
नीरज
वाह जी वाह बेहतरीन
गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं
http://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करें
bahut hi achchee kavita--samyik aur sshkat rachna hai.
'dhnya hai ji aap rajneta hai..bharti ke liye shaap rajneta hai.....'
wah !bahut hi khuub!!!!
गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं
Yogendra ji,
Bhut hee sachchee,yatharth tasveer kheenchee hai apne desh kee.vakai aj hamare desh men logon men desh prem jagane kee jaroorat hai.gantantra divas kee shubhkamnayen.
Hemant Kumar
बेहतरीन है........गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
बहुत अच्छा लिखते हैं आप !
कभी हमारे भी ब्लॉग पर पधारें
स्वप्नलोक
रचते हैं रोज नये- नये षडयंत्र
ऐसे में मनाए बोलो कैसे गणतंत्र...
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं
कुछ बचे भी हैं की नहीं. सुंदर.
मोदगिल साहब
ताजा हालत को बयान करती रचना जोर का तमाचा है आज की राजनीति पर, मजबूर करती है सोचने को ये किसका गणतंत्र है, मन को उद्वेलित करती रचना
सधा हुआ सटीक कटाक्ष,
आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
सधा हुआ सटीक कटाक्ष,
आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
बहुत लाजवाब व्यंग्य..........
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऎं......
तीखे व्यंग .लिखे हैं आपने ..सुंदर
गणतन्त्र दिवस की बधाई
बहुत ही ज़बरदस्त तंज़ लिखा योगी बड्डे आपने, क्या कहना ! कैसे मनाएँ रे गणतंत्र ?
हमने भी आज आपसे इत्तिफ़ाक रखा है।
अच्छा लिखा है। गणतंत्र दिवस की बधाई
अच्छा लिखा है। गणतंत्र दिवस की बधाई
बिल्कुल सटीक और सामयिक. हमेशा की तरह निशाने पर.
मौदगिल जी, एक और बेहतरीन व्यंग्य (जिसके लिए आप जाने जाते है) के लिए आपको बधाई। आपको तथा आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
सच कहा कवि ने आख़िर कैसे मनाएँ गणतंत्र !
अद्भुत है सर...अद्भुत
और नयी तस्वीर भी
बहुत ख़ूब! बहुत सामयिक!
गणतंत्र के बहाने विचारपूर्ण गजल पढवाने का शुक्रिया।
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