राहू का अवतार हुये हैं स्याणे जी.
यज़मानों पर भार हुये हैं स्याणे जी.
मुल्ला जी के ताब़ीज़ों के धंदे में,
पक्के हिस्सेदार हुये हैं स्याणे जी.
शनि बिचारा स्वयं इन्हीं को भुगत रहा,
देख शनीचरवार हुये हैं स्याणे जी.
सूतक हो, पातक चरते पकवान रहे,
अब खटिया के यार हुये हैं स्याणे जी.
सवा लाख संकल्प छुड़ा दें चुटकी में,
जादूगर सरकार हुये हैं स्याणे जी.
रंडी, गुंडे, एमपी, एमएलए सब के,
लंगोटी के यार हुये हैं स्याणे जी.
अपने चेले, फोटोग्राफर भी अपने,
अपनी जय-जयकार हुये हैं स्याणे जी.
चेला-चेली, दान-दक्षिणा, मंदिर भर,
किस्सा अपरम्पार हुये हैं स्याणे जी.
--योगेन्द्र मौदगिल
ग़ज़ल के सर्वाधिकार सुरक्षित
19 comments:
आजकल बहुत खराब मूड में लग रहे हैं साहब . थोडा मुस्कराइए भी :)
बेहतर रचना लिक्खी आपने स्याणे जी
अब तो आप का नाम जपें हम स्याणे जी
मोदगिल साहब..........निराले अंदाज़ से कही निराली कविता
अच्छा व्यंग है।
बहुत सुन्दर मौदगिल साहब!
---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
घणा ए तगडा व्यन्ग सै जी.. आणण्द आग्या जी.
रामराम.
स्याणे जी की महिमा अपरम्पार है और चमड़ी मोटी. चुटीली रचना के लिए साधुवाद.
ब्लॉग की तस्वीर बदल दी / श्याने जी की हकीकत उजागर करदी
सुंदर रचना है स्याणे जी. आभार.
ख्खूब धुनाई कर डाली है स्याने जी की !
moudgil ji aab to aap bhi sayaane se lagane lage ho
bahuut hi badhiya rachna
हा हा हा..बेजोड़ है सर
तीसरे शेर को पढ़-पढ़ कर बेदम हुये जा रहा हूं
बहुत ही अच्छा ओर तगडा व्यंग है।
धन्यवाद
ज़माना ही इनका है....
एक ही बार में कईयों की टाँग खींच डाली....
व्यंग्य से भरपूर कविता...
नाचे सुनकर तेरे ही बस गीतों को
पायल की झंकार हुए हैं स्याणे जी.
ऐसी उम्दा गज़ल ढाल कर लाये हैं
टिप्पणी के हकदार हुए हैं स्याणे जी...
-बहुत जबरदस्त बॉस.मजा आ गया.
आदरणीय समीर जी की टिप्पणी रिपीट.
ज़बरदस्त व्यंग !!!!
शुक्रिया.. भई, आप सबका. मैं बहुत अभिभूत हूं.
आपका दर्ज़ा है रब का.. मैं बहुत अभिभूत हूं..
गहरा व्यंग्य।
शब्द चमत्कृत करता है
भाव चेतना भरता है
रिश्ते-नाते दुनियादारी का
भेद उजागर करता है
हे कवि! तेरी यह रचना
हाथ लिए दर्पण, कविता है
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