मन भरमाना जारी रख
कसमें खाना जारी रख
प्यार सिखादे दुनिया को
नग़में गाना जारी रख
बच्चे पल ही जाएंगें
बोझ उठाना जारी रख
जब तक सारे ना माने
बात सुनाना जारी रख
ज्यादा हां-हां ठीक नहीं
थोड़ी ना-ना जारी रख
दुनियादारी सीख ले तू
फूल चढ़ाना जारी रख
मंत्र सफलता का प्यारे
पूंछ हिलाना जारी रख
अला-बला सब दूर रहें
धूप दिखाना जारी रख
रिश्वत ले या कर चोरी
नोट कमाना जारी रख
गलती से रब मिल जाये
सिर खुजलाना जारी रख
दिखा चुटकुलों के तेवर
मंच उठाना जारी रख
--योगेन्द्र मौदगिल
24 comments:
अच्छी ग़ज़ल!
जादा हाँ हाँ ठीक नहीं.....खास तौर पर अच्छा लगा।
कुछ गजलें अवाक् कर देती हैं, ये उन्हीं में से एक है। लाजवाब।
वाह मौदगिल साहब बड़ी ही सरलता से आपने अपनी बात सबके सामने रख दी .. बहोत खूब ढेरो बधाई स्वीकारें बंधुवर ..
अर्श
ऐसी सुंदर ग़ज़लों को
यार सुनना जारी रख
अब क्या कहूँ....आप तो उस्ताद हो भाई जी...क्या शेर कहें हैं...ताभियत झकास हो गयी..वाह जी वा
नीरज
बेहतरीन गजल। बधाई।
बड़ी संवेदनशीलता के साथ आपने कविता में भावों और विचारों को अभिव्यक्त किया है । अच्छा लिखा है आपने । अभिव्यक्ति बडी प्रखर है । -
httP://www.ashokvichar.blogspot.com
ज्यादा हां-हां ठीक नहीं
थोड़ी ना-ना जारी रख
बहुत बहुत और बहुत ही शानदार लिखा योगी बड्डे।
क्या ख़ूब कहा- मंच उठाना जारी रख।
छोटी बहर में बड़ी बात।
'देखत में छोटे लगें…'
छोटी बहर में ग़ज़ल कह जाना आसान नहीं। और रदीफ़ भी मुश्किल। वाह!
बहुत बढ़िया साहब
---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
गजब कर दीद्दा जी!! मजा आ गया...बहुत बेहतरीन!!!
वाह्! भाई मौदगिल जी, आपके क्या कहने....
बहुत बढिया.......
bahut sundar, apratim
वाह वाह !
आपसे भी यही कहना है... 'जारी रख'.
आपके tevar के अनुसार है आपकी रचना...........बहुत सुंदर
सही विचार...
और सुंदर अभिव्यक्ति...
जब तक सारे न माने
बात सुनना जारी रख
यह बात सबसे बढ़िया लगी ..बहुत खूब
बहुत बढिया जी.
रामराम.
मजा आया पढ़ कर..
थोड़ी ना-ना जारी रख
...लाजवाब गज़ल सर जी !
'पूँछ हिलाना जारी रख'
वाह क्या अलंकार है !
आपको पढ़ते रहें..
मुस्कुराना जारी रख..:-)
ज्यादा हां-हां ठीक नहीं
थोड़ी ना-ना जारी रख
Bahut hi umda badhai..
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