रूपम जी और राजीव रंजन के साथ-साथ
उन तमाम कलमवीरों को यह कविता समर्पित करता हूं
जिंन्होंने बेटियों पर अपनी कलम चलाई है
देखियेगा
मां सरीखे प्यार की हैं डाली बेटियां.
पावन जैसे पूजा की हों थाली बेटियां.
बेटे हैं निराले तो निराली बेटियां.
दुर्गा कहीं लक्ष्मी तो काली बेटियां.
वाहेगुरू, गाड और घनश्याम के.
चाहे अल्लाह रटो चाहे जाप राम के.
लेकिन रहे ध्यान हर खासोआम के.
बेटियों के बिन बेटे किस काम के.
बेटों के लिये ही तो संभाली बेटियां.
जगमगाती जैसे हों दीवाली बेटियां.
बेटे हैं निराले तो निराली बेटियां.
दुर्गा कहीं लक्ष्मी तो काली बेटियां.
एक दिन खुद को डुबायेगी दुनिया.
पीट-पीट माथा पछतायेगी दुनिया.
और फिर रो भी नहीं पायेगी दुनिया.
बेटियों के बिन मिट जायेगी दुनिया.
देश व समाज खुशहाली बेटियां.
धरती का गहना भाग वाली बेटियां.
बेटे हैं निराले तो निराली बेटियां.
दुर्गा कहीं लक्ष्मी तो काली बेटियां.
लाख हीरे-मोतियों का रहे सिलसिला.
बेटी का दुलार ना मिला तो क्या मिला.
उस से बड़ा और दुरभाग क्या भला.?
कन्यादान करने को जिसे ना मिला.
बाप के लिये तो भाग वाली बेटियां.
लाडो, गुड्डो, मिट्ठू और लाली बेटियां.
बेटे हैं निराले तो निराली बेटियां.
दुर्गा कहीं लक्ष्मी तो काली बेटियां.
ऊदा, मैना, जूही, भीमाबाई बेटियां.
हजरतमहल, लक्ष्मीबाई बेटियां.
पीटीउषा, लता, तीजनबाई बेटियां.
राष्ट्रपति पाटिल प्रतिभा ताई बेटियां.
कल्पना-सुनीता चांद वाली बेटियां
हमने तो सीने से लगाली बेटियां
बेटे हैं निराले तो निराली बेटियां
दुर्गा कहीं लक्ष्मी तो काली बेटियां
--योगेन्द्र मौदगिल
38 comments:
" हमने तो सीने से लगा ली बेटियाँ ....भावनाओ का तूफ़ान उमड़ आया है इस रचना मे .....और क्या कहूं"
Regards
योगेन्द्र भाई, दिल को छू गयी आपकी यह रचना. बहुत सुंदर!
हृदयस्पर्शी रचना . आभार !
बहुत ख़ूब रहा मौदगिल साहब!
दिल में तो उतर ही गयी, दिमाग़ में भी चढ़ गयी. आभार.
बेटियों पर इससे सुन्दर मैने कभी नही पढा ! बहुत भावुक कर गई आपकी ये रचना !
राम राम !
बेटियों पर बहुत बढि़या कविता। बधाई
bahut khoob
aapko naman karati hoon ,betiyan kya,kyon,kaisihoti hain aapne kavita ke madhyam se bata diya
ek beti ki shubh kamanaayen
सुंदर और गहन भाव. सुंदर भावाभिव्यक्ति के लिए आभार.
www.merakamra.blogspot.com
कल-परसों ही तो आपसे इस कविता के बारे में बात हुई और आज इतनी सुंदर रचना पढने को मिली !! विश्वास नहीं हो रहा! आपके कवित्व की तारीफ करून या रचना की, या भावनाओं की ? किसी की भी नहीं करूंगी :)
सिर्फ़ एहसास है, महसूस करो ... कोई नाम न दो !
- रूपम (RC)
बेटे हैं निराले तो निराली बेटियां
दुर्गा कहीं लक्ष्मी तो काली बेटियां
वाह वाह योगी बड्डे, बाकमाल, बेमिसाल लिखा आपने. ग़ज़ब की बात कह दी आज. अहा ! वाक़ई समाज को सोचना चाहिए इस बारे.
बेटे हैं निराले तो निराली बेटियां
दुर्गा कहीं लक्ष्मी तो काली बेटियां
bahut khub
बेटियों के प्रति आपकी सुंदर भावनाएं आपकी कविता में स्पष्ट परिलक्षित हो रही हैं। पूरे समाज का भी यही दृष्टिकोण होना चाहिए।
जिनके कई लड़के थे वह नाम न चला सके जिनकी एक बेटी थी उसने अपनी आने वाली पीढियों को भी हमेशा चर्चा मे रहे ऐसा काम कर दिया .मैं गांधीजी के बेटो और नेहरू की एक बेटी की बात कर रहा हूँ
हृदयस्पर्शी रचना
wah ji wah, betion ke liye itni sundar kavita, lekin dukh tab hota hai jab log kanya jimane wale din to bahut samman karte hain, lekin apne ghar me aa jaaye to bura sa muh banate hain.
दिल मैं उतर गई आपकी रचना, ह्रदयस्पर्शी रचना
मेरा भी एइसा मानना है
बेटी के बिना न ईद न दिवाली
बेटी के बिना घर लगे खाली
कविता वर्णनात्मकता के बोझ से दबी सी महसूस हुई, पर जिस भाव से यह लिखी गयी है, उसे सलाम करने को जी चाहता है।
बेहद खूबसूरत भाव से सजी यह रचना दिल को छु गई ...बहुत दिल से लिखा है आपने .बेटियाँ तो घर की मुस्कान है
जना जी ने ठीक कहा है बेटिया घर की मुस्कान है......ओर आपने बिल्कुल भावः विभोर किया है
बहुत भावपूर्ण रचना है... मैं जानती हूँ बेटियों से कितना प्यार होता है और वो कितनी प्यारी होती हैं...प्यार देने वाली भी,हमारी भी दो बेटियाँ हैं जो मेरी और मेरे पति की जान हैं...
बेटियों पर लिखी यह कविता भाव पूर्ण है.
मन को छू गयी.
बेटियाँ घर का उजाला हैं ,खुशी हैं अगर समाज में हर कोई समझ सके तो
यकीनन एक नया युग शुरू होगा.
बेटे हो या बेटियाँ सब बराबर हैं हमारे स्नेह के बराबर के हकदार..
सुभनल्लाह योगेन्द्र जी...सुभानल्लाह
सच आपकी रचना ने भावः विभोर कर दिया।
एक दिन खुद को डुबायेगी दुनिया.
पीट-पीट माथा पछतायेगी दुनिया.
और फिर रो भी नहीं पायेगी दुनिया.
बेटियों के बिन मिट जायेगी दुनिया !
निर्विवाद/शाश्वत सत्य....
आपकी रचनाएँ मुग्ध कर लेती हैं.बहुत ही सुंदर इस रचना के लिए साधुवाद..
बेटी न होने की पीडा तेजाब की लकीर की तरह दिल तक उतर गई - आपकी कविता पढकर ।
लाख हीरे-मोतियों का रहे सिलसिला.
बेटी का दुलार ना मिला तो क्या मिला.
उस से बड़ा और दुरभाग क्या भला.?
कन्यादान करने को जिसे ना मिला.
बाप के लिये तो भाग वाली बेटियां.
लाडो, गुड्डो, मिट्ठू और लाली बेटियां.
बेटे हैं निराले तो निराली बेटियां.
दुर्गा कहीं लक्ष्मी तो काली बेटियां.
आपको और आपकी कलम को एक बेटी के बाप का सलाम स्वीकार किया जाए
बहुत अच्छी कविता... शुभकामनाएं।
बहुत अच्छी अद्भुत रचना ...
चिंता भले से करती हो दुनिया अंतर्मन
पर आपने खुशबू में बसा दी हैं बेटियाँ
अद्भुत....बेमिसाल...बेहतरीन...नमन आप की कलम को...
नीरज
बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने .बेटी सी प्यारी कविता
धन्यवाद
योगेन्द्र भाई साहब,
सुजाता जी की बढिया चिठ्ठा चर्चा से आपकी कविता तक पहुँच कर एक गँगाजल सी शीतल धारा सा सुखद एहसास प्राप्त हुआ उसके लिये आपकी कलम को हमारी शुभकामना व बधाई ! कितना सुँदर लिखा है, यूँ ही लिखियेगा सदा
- लावण्या
आदरणीय मौदगिल जी,
बेटी होने का गर्व और बढ गया आपकी यह रचना पढ कर। इस रचना का प्रिंट ले लिया है और अपने संग्रहालय मे हमेशा संभाल कर रखूंगा।
***राजीव रंजन प्रसाद
aapne betiyon par itni achi kavita likh kar apni beti ko sabse bada gift diya hai
badhai..
pls visit my blog for some new poems.
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
बेटे हैं निराले तो निराली बेटियां.
दुर्गा कहीं लक्ष्मी तो काली बेटियां.
yahi drishtikon pure smaaj ka hona chahiye........bahut aachi kavita ....badhai
भावुक कर गई आपकी ये रचना !!!!
हजरतमहल,लक्ष्मीबाई बेटिया.
पीटीउषा,लता,तीजनबाई बेटिया
रा्ष्ट्रपति पाटिल प्रतिभा ताई बेटिया...बहुत सुंदर..बधाई
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