नाचते हैं भक्त पीकर.......

आस्थाऒं का क्षरण है.
भावनाऒं का मरण है.

पाठशाला में पुलिस की,
गालियों का व्याकरण है.

लम्पटों की देह पर भी,
सादगी का आवरण है.

हथकड़ी पहने खड़ा सच,
झूठ का वातावरण है.

नाचते हैं भक्त पीकर,
भगवती का जागरण है.

पाप की बैसाखियों पर,
पुण्य का बढ़ता चरण है.

ठूंठ पौधे, खेत बंजर,
विषभरा पर्यावरण है.

'मौदगिल' खलनायकों सा,
बालकों का आचरण है.
--योगेन्द्र मौदगिल

23 comments:

makrand said...

लम्पटों की देह पर भी,
सादगी का आवरण है.

bahut sahi kaha

मोहन वशिष्‍ठ said...

बस इतना ही कहना काफी होगा कि

हे साधो देखो जग बौराना
सांची कही तो मारन आवै
झूठे जग पतियाना

Suneel R. Karmele said...

वाह मौदगि‍ल साहब मजा आ गया, बहुत खूब लि‍खा है। बधाई........

नाचते हैं भक्त पीकर,
भगवती का जागरण है.

वर्षा said...

रावण को क्यों छोड़ दिया,कविता बड़ी सुखण है

P.N. Subramanian said...

बिल्कुल सही कहा मौदगिल जी. आभार.

अजय कुमार झा said...

achha jee to ye thee bhakti kee hakeekat, he bhagwaan kahin isee tarah se prabhu ke darshan bhee na karaanaa aap , sach likhaa , achha laga.

दिगम्बर नासवा said...

नाचते हैं भक्त पीकर,
भगवती का जागरण है.

Samaj ka sahi chitran
bahoot hi sunder rachna hai
badhai

"अर्श" said...

पाप की बैसाखियों पर,
पुण्य का बढ़ता चरण है.

ek bargi fir se yathath ka parichaya karati aapki sundar rachana... aapko dhero badhai...


regards
Arsh

ताऊ रामपुरिया said...

पाप की बैसाखियों पर,
पुण्य का बढ़ता चरण है.

बहुत सटीक कहा ! धन्यवाद !

दीपक "तिवारी साहब" said...

नाचते हैं भक्त पीकर,
भगवती का जागरण है.
लाजवाब रचना !

श्रीकांत पाराशर said...

Nachte hain bhakt peekar, bhagwati ka jagran hai, halaat to aajkal aise hi hain. aapki rachna men dam hai, har line men vyangya ka bam hai.

राज भाटिय़ा said...

नाचते हैं भक्त पीकर,
भगवती का जागरण है.
योगेन्द्र जी बिलकुल सही लिखा आप ने
धन्यवाद

गौतम राजऋषि said...

क्या काफ़िये ढूढ लाते हैं जनाब.मजा आ गया फ़िर-फ़िर-फ़िर..

seema gupta said...

नाचते हैं भक्त पीकर,
भगवती का जागरण है.
" kmal kr diya bhut shee paisksh, pr last line pr shayad kise ka dhyan hee nahee gya ha ha ha ha , vo khalnayak or balko jaisa aachrn,ye bhee sach hai kya???"

Regards

admin said...

नाचते हैं भक्त पीकर,
भगवती का जागरण है.

पाप की बैसाखियों पर,
पुण्य का बढ़ता चरण है.

आपकी गजल तो वैसे भी कमाल होती है, लेकिन उपरोक्त शेर तो लाजवब कर गये। बधाई।

कंचन सिंह चौहान said...

पाठशाला में पुलिस की,
गालियो का व्याकरण है।


अभी कल ही शाम हुई घटना फिर याद आ गई.... अटैचमेंट वाली कायनेटिक से आती हुई मुझको ट्रैफिक पुलिस ने आवाज लगा कर कहा " ए मैम अबै तो जे हाल है, कि तीन पहिया बाली गाड़ी से चलना पड़ रहा है, चाहती क्या हो, स्ट्रैचर लै के चलन पड़ै" और साथ के सारे साथी इस बेहतरीन चुटकले पर ठहाका मार के हँस पड़े।

Satbir Gurjar said...

वाह वाह
क्या खूब गजल कही है
बधाई

कुश said...

kya baat hai... bahut hi badhiya

Abhishek Ojha said...

झूठ और आडम्बर... पर सही कविता है. जवाब नहीं आपका.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

dharmkik kshetron men bhi adharm ne apna jaal faila diya hai.

Vinay said...

मौदगिल खलनायकों सा बच्चों का आचरण है, क्या बात कही साहब, वाह!

Unknown said...

बहुत सुंदर बात कही है आपने, यही आज का सच है.

रंजना said...

बहुत बहुत ,बहुत ही सुंदर.......लाजवाब .......और क्या कहूँ.......