प्यार की बातें.....

नज़रों के साथ कर गये तक़रार की बातें.
लफ्ज़ों के हेरफेर से तलवार की बातें.

बगुलों से सबक सीख कर वो आये थे शायद,
जो वार के संग कर गये सत्कार की बातें.

जंगल से लेके शहर तक सरगोशियां सी थी,
घर-घर में उठ रही थीं यों दीवार की बातें.

कितने अजीब लोग है फुटपाथ के वासी,
भूखा है पेट कर रहे झंकार की बातें.

डाक्टर ने बख्श दी कुछ पल की ज़िन्दगी,
पर हो गयी थी खत्म उस बीमार की बातें.

इस छोर से उस छोर तक वो ढूंढता रहा,
लेकिन कहीं भी मिल न सकी प्यार की बातें.

जो बात है कहनी उसे थोड़े में कहा कर,
अब छोड़ भी दे 'मौदगिल' विस्तार की बातें.
--योगेन्द्र मौदगिल

27 comments:

Arvind Mishra said...

वाह वाह -विस्तार से कुछ कहने को आपने मना किया है !

श्रीकांत पाराशर said...

Wah saheb yogendraji, Gazal ho to aisi.

योगेन्द्र मौदगिल said...

अरविंद जी
गुड मार्निंग
कभी-कभी थोड़ी बहुत अंग्रेज़ी इसलिये बोल लेता हूं कि मेरे पढ़े-लिखे होने का भ्रम बना रहे
शुक्रिया

श्रीकांत जी
एक तो आपकी प्रोफाइल गायब दूसरे आप आये भी बहुत दिनों बाद
आपने पोस्टल एड्रैस मंगाया था भेजा कुछ भी नहीं
अखबार ही भिजवादो बड़े भाई
हम कविता भेज देंगें

भाटिया जी की भी प्रोफाइल गायब है वे जहां भी सशरीर उपस्थित हों इस नोटिस का नोटिस लें

Anil Pusadkar said...

वाह योगेन्द्र जी,बहुत सुन्दर खासकर ये पंक्तियां मुझे बहुत पसंद आई।
जंगल से लेके शहर तक सरगोशियां सी थी,
घर-घर में उठ रही थीं यों दीवार की बातें.

कितने अजीब लोग है फुटपाथ के वासी,
भूखा है पेट कर रहे झंकार की बातें.

श्रीकांत पाराशर said...

Aisi galti kaise hui pata nahin.kshma karte hue ekbaar phirse poora postal address bhej den, main kal hi mailing list men shamil karwa dunga. dusari baat, kai dinon baad aapke blog par aaneki , so meri nazar padte hi to maine aapki rachna padh dali.aap jaise kavi ki rachna se bhala kaun vanchit hona chahega? meri profile gayab hai to mujhe iski jankari nahin hai, kyonki computer par mujhe isse jyada kuchh karna nahin aata jitna kar raha hun.Aaj apne bete ki madad loonga, problem solve karunga. aapki aatmiyata ke liye aabhar.

Unknown said...

योगेन्द्र जी क्या बात है । बहुत अच्छा लिखा जी आपने।

जितेन्द़ भगत said...

वाह जी वाह- क्‍या बात कह दी आपने-
जंगल से लेके शहर तक सरगोशियां सी थी,
घर-घर में उठ रही थीं यों दीवार की बातें.

ताऊ रामपुरिया said...

इस छोर से उस छोर तक वो ढूंढता रहा,
लेकिन कहीं भी मिल न सकी प्यार की बातें.
बहुत सही कहा आपने ! धन्यवाद !

ताऊजी said...
This comment has been removed by the author.
भूतनाथ said...

"भाटिया जी की भी प्रोफाइल गायब है वे जहां भी सशरीर उपस्थित हों इस नोटिस का नोटिस लें"

आप भाटिया जी को ढुन्ढ रहे हो ? और हम दो दिन से आपके कुरते की जेब में बैठे हैं ! हमको चाय-पानी का भी नही पूछ रहे हैं ! ये भी क्या बात हुई ? ठीक है आपको हम अच्छे नही लग रहे तो हम जा रहे हैं भाटिया जी के पास !

ताऊजी said...

इस छोर से उस छोर तक वो ढूंढता रहा,
लेकिन कहीं भी मिल न सकी प्यार की बातें.

क्या बात है ? बधाई !

दीपक "तिवारी साहब" said...

बगुलों से सबक सीख कर वो आये थे शायद,
जो वार के संग कर गये सत्कार की बातें.

बहुत सुंदर ! तिवारीसाहब का सलाम !

विवेक सिंह said...

अति सुन्दर !

राज भाटिय़ा said...

बगुलों से सबक सीख कर वो आये थे शायद,
जो वार के संग कर गये सत्कार की बातें.
वेसे तो सारी कविता ही बहुत ही सटीक लिखी है आप ने लेकिन यह दो लाईने .....
धन्यवाद.

अजी आईये हम ने तो अपने चारो दर्वाजे खोल रखे है, ओर हर घर से दुसरे घर मे जानेका रास्ता भी बना रखा है, चलिये यहां घुसे फ़िर आगे आगे चलते रहएगे...
http://chotichotibaate.blogspot.com/

समीर यादव said...

योगेन्द्र जी नमस्कार, परम्परा से संदेह दूर कब हो.?? हर विधा में वह व्यक्ति शरीक हो सकता है. जो रचनात्मकता से सरोकार रखता हो और रचनात्मकता किसी भी क्षेत्र की हो सकती है. आप जैसे लोगो के स्नेह और प्रेरणा के लिए सदैव आभार. आप अच्छा लिखकर सबको प्रेरणा दे रहें हैं...
बगुलों से सबक सीख कर वो आये थे शायद,
जो वार के संग कर गये सत्कार की बातें.

जंगल से लेके शहर तक सरगोशियां सी थी,
घर-घर में उठ रही थीं यों दीवार की बातें.

Vinay said...

जंगल से लेके शहर तक सरगोशियां सी थी,
घर-घर में उठ रही थीं यों दीवार की बातें

dil jo chho gayi yah baat... wah!

Nitish Raj said...

बड़े ही दिन बाद आपको पढ़ा बहुत अच्छा लगा। आज चार दिन बाद छुट्टी से लौटा हूं तो रविवार की अधिकतर पोस्ट पढ़ रहा हूं और आपकी पढ़ कर मजा आ ही गया।

L.Goswami said...

sundar kavita hai ..kafi achchhi.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

इस छोर से उस छोर तक वो ढूंढता रहा,
लेकिन कहीं भी मिल न सकी प्यार की बातें

sundar baaten, pyar ki baaten

दिगम्बर नासवा said...

इस छोर से उस छोर तक वो ढूंढता रहा,
लेकिन कहीं भी मिल न सकी प्यार की बातें.

बहुत अच्छी बात और कहने का निराला अंदाज

मेरी शुभकामनायें

makrand said...

ati sunder rachana
aap to genius he sir
regards

गौतम राजऋषि said...

बहुत खूब योगेन्द्र जी.हमेशा की तरह

योगेन्द्र मौदगिल said...

आप सभी मित्रों का अभिनंदन..
अब कल प्रगटेंगें...

admin said...

बगुलों से सबक सीख कर वो आये थे शायद,
जो वार के संग कर गये सत्कार की बातें.

कितने अजीब लोग है फुटपाथ के वासी,
भूखा है पेट कर रहे झंकार की बातें.

डाक्टर ने बख्श दी कुछ पल की ज़िन्दगी,
पर हो गयी थी खत्म उस बीमार की बातें.

दिल को छू लेने वाले शेर हैं, बधाई।

दीपक said...

बगुलों से सबक सीख कर वो आये थे शायद,
जो वार के संग कर गये सत्कार की बातें.

बहुत सुंदर पोस्टीयाया है !!आभार

डॉ .अनुराग said...

कितने अजीब लोग है फुटपाथ के वासी,
भूखा है पेट कर रहे झंकार की बातें.

ye sher khas taur se pasand aaya....yogendr ji....der se aane ke liye muaafi.

"अर्श" said...

मेरी चाहत देख कर मुझको सयानों ने कहा,
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जायेगा.

bahot sundar,umda ....

regards