हवा में सांस लेता है, हवा में छोड़ देता है.
हवा ग़र रास ना आए तो दम भी तोड़ देता है.
शहद सी बोलियां नुकसान करती ही नहीं बंधु,
ये नुस्खा ही मुसल्सल दूरियों को जोड़ देता है.
बहस के, गालियों के दौर में भी रखना गुंजाइश,
ना जाने कौन सा पहलू दिलों को मोड़ देता है.
पकड़ कर प्यार से ऊंगली जिसे चलना सिखाते हैं,
ज़रा सा चलना आ जाये तो ऊंगली छोड़ देता है.
वो बातों का है जादूग़र तुम उसकी दूर से सुनना,
वो बातों को बड़े ही खूबसूरत मोड़ देता है.
किसी की जान ले लेना फ़कत इक खेल है अब तो,
एक बारूद का टुकड़ा शहर झिंझोड़ देता है.
--योगेन्द्र मौदगिल
30 comments:
पकड़ कर प्यार से ऊंगली जिसे चलना सिखाते हैं,
ज़रा सा चलना आ जाये तो ऊंगली छोड़ देता है.
कविवर बड़ी सही बात लिखी है ! पर नेकी कर दरिया में डाल !
बहुत शुभकामनाएं !
बहस के, गालियों के दौर में भी रखना गुंजाइश,
ना जाने कौन सा पहलू दिलों को मोड़ देता है.
बहुत बेहतरीन ! भूतनाथ का प्रणाम स्वीकार कीजिये !
वाह।बहुत बढिया।
किसी की जान ले लेना फ़कत इक खेल है अब तो,
एक बारूद का टुकड़ा शहर झिंझोड़ देता है.
लाजवाब ! तिवारी साहब का सलाम !
किसी की जान ले लेना फ़कत इक खेल है अब तो,
एक बारूद का टुकड़ा शहर झिंझोड़ देता है.
" aaj ke halat pr dil ka dard semet hee aaya ant mey, bhut khub'
regards
poori kavita hi achhi aur sachchi hai
किसी की जान ले लेना फ़कत इक खेल है अब तो,
एक बारूद का टुकड़ा शहर झिंझोड़ देता है.
सलाम.....आपको
बहस के, गालियों के दौर में भी रखना गुंजाइश,
ना जाने कौन सा पहलू दिलों को मोड़ देता है.
बेहतरीन प्रस्तुती !!
किसी की जान ले लेना फ़कत इक खेल है अब तो,
एक बारूद का टुकड़ा शहर झिंझोड़ देता है.
sir charan sparsh
kitae kum shabdh
or kitna kuch kaha diya
regards
पकड़ कर प्यार से ऊंगली जिसे चलना सिखाते हैं,
ज़रा सा चलना आ जाये तो ऊंगली छोड़ देता है.
truth of life
उंगली पकड़कर सीख लेना फिर साथ छोड़ना, बहुत ख़ूब! मेरे साथ तो हमेशा यूँ ही होता है क्या दोस्त क्या दुनिया!
aapki khoobi hi yahi ki saral bhasha mein badi khoobsurti se apni baat kahne ki kabiliyat rakhte hain.
kalam ki ye dhar bani rahe
पकड़ कर प्यार से ऊंगली जिसे चलना सिखाते हैं,
ज़रा सा चलना आ जाये तो ऊंगली छोड़ देता है.
वो बातों का है जादूग़र तुम उसकी दूर से सुनना,
वो बातों को बड़े ही खूबसूरत मोड़ देता है.
किसी की जान ले लेना फ़कत इक खेल है अब तो,
एक बारूद का टुकड़ा शहर झिंझोड़ देता है.
बहुत बढ़िया.
शहद सी बोलियां नुकसान करती ही नहीं बंधु,
ये नुस्खा ही मुसल्सल दूरियों को जोड़ देता है.
..........
kya baat kahi hai aapne.bahut bahut sundar.lajawaab rachna hai.
aabhaar.
बहुत बढ़िया है योगेन्द्र भाई...
bahot sundar fir aapne tippani kari hai ,ye tarika muja aapka bahot pasand hai.bahot khub.yogendra ji .
regards
गजब महाराज!!! छा गये भाई..वाह!!
बहस के, गालियों के दौर में भी रखना गुंजाइश,
ना जाने कौन सा पहलू दिलों को मोड़ देता है.
क्या कहने!! जमाये रहो सिंहासन!!
"एक बारूद का टुकड़ा शहर झिंझोड़ देता है."
बहुत खूब योगेन्द्र जी. शहर भले ही झिंझोड़ देता हो मगर उन हैवानों के दिल में एक मरोड़ भी नहीं उठती है जो इसी धंधे की बोटी खाते हैं.
behatareen ghazal kahi hai aapne, bahut hi umda tareeke se radeef aur kafiye ka samgam karaya hai aapne.
ankit safar
पकड़ कर प्यार से ऊंगली जिसे चलना सिखाते हैं,
ज़रा सा चलना आ जाये तो ऊंगली छोड़ देता है.
योगेन्द्र जी मैं आपकी कविताओं का नियमित पाठक हूं क्योंकि मुझे आपकी कविताओं से काफी कुछ सीखने को मिलता है आपकी कविताओं की तारीफ करना मेरे बस की बात नहीं है क्योंकि तारीफ के लिए समझ और शब्द चाहिएं जिनसे मैं बिल्कुल पैदल हूं बस इतना ही कह सकता हूं और कहना आता है कि आपकी हर रचना बेहतरीन होती है लाजवाव
शहद सी बोलियां नुकसान करती ही नहीं बंधु,
ये नुस्खा ही मुसल्सल दूरियों को जोड़ देता है.
बहस के, गालियों के दौर में भी रखना गुंजाइश,
ना जाने कौन सा पहलू दिलों को मोड़ देता है.
योगेन्द्र जी मैं आपकी कविताओं का नियमित पाठक हूं क्योंकि मुझे आपकी कविताओं से काफी कुछ सीखने को मिलता है आपकी कविताओं की तारीफ करना मेरे बस की बात नहीं है क्योंकि तारीफ के लिए समझ और शब्द चाहिएं जिनसे मैं बिल्कुल पैदल हूं बस इतना ही कह सकता हूं और कहना आता है कि आपकी हर रचना बेहतरीन होती है लाजवाव
शहद सी बोलियां नुकसान करती ही नहीं बंधु,
ये नुस्खा ही मुसल्सल दूरियों को जोड़ देता है.
बहस के, गालियों के दौर में भी रखना गुंजाइश,
ना जाने कौन सा पहलू दिलों को मोड़ देता है.
योगेन्द्र जी मैं आपकी कविताओं का नियमित पाठक हूं क्योंकि मुझे आपकी कविताओं से काफी कुछ सीखने को मिलता है आपकी कविताओं की तारीफ करना मेरे बस की बात नहीं है क्योंकि तारीफ के लिए समझ और शब्द चाहिएं जिनसे मैं बिल्कुल पैदल हूं बस इतना ही कह सकता हूं और कहना आता है कि आपकी हर रचना बेहतरीन होती है लाजवाव
वाह क्या बात है आप की शायरी मै...
बहस के, गालियों के दौर में भी रखना गुंजाइश,
ना जाने कौन सा पहलू दिलों को मोड़ देता है.
हर शेर एक से बढ कर एक, बार बार पढने ओर समझने को दिल करता है.
धन्यवाद
इस का लिंक क्यो नही खूलता मेरे पेज पर पता नही
pehali bar aapke blog par aaee. aur bahut hi pasnd aaya ek ek sher moti sa hai.
लाज्वाव हवा में साँस लेता है ... बहुत सुंदर शुक्रियायोगेन्द्र जी
नैनो की विदाई नामक मेरी नई रचना पढने हेतु आपको सादर आमंत्रण है .आपके आगमन हेतु धन्यबाद नियमित आगमन बनाए रखें
क्या बात है ! योगी बड्डे !! ये शहर झिंझोड़ने वाली पंक्ति ने गज़ब ढा दिया सरजी, बहुत खूब ! आपकी ग़ज़लों के, कविताओं के लिए इर्शादे-लाजवाल पेश है, हम क़ाइल हुए आपके.
har ek sher khoobsurat..kis ki taarif karu.n thode shabda gahari baat ...aaap ka ansaz nirala hai.
आप सभी की सम्मति पा कर धन्य हुआ...
शुक्रिया.......
बार-बार पढ़ने को जी चाहता है।
आपके मेरे ब्लॉग पर पधार कर उत्साह वर्धन के लिए धन्यबाद. गुणी जन का आशीर्वाद मेरा सौभाग्य है पुन: नई रचना ब्लॉग पर हाज़िर आपके मार्ग दर्शन के लिए कृपया पधारे और मार्गदर्शन दें
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