हवा में सांस लेता है, हवा में छोड़ देता है.
हवा ग़र रास ना आए तो दम भी तोड़ देता है.
शहद सी बोलियां नुकसान करती ही नहीं बंधु,
ये नुस्खा ही मुसल्सल दूरियों को जोड़ देता है.
बहस के, गालियों के दौर में भी रखना गुंजाइश,
ना जाने कौन सा पहलू दिलों को मोड़ देता है.
पकड़ कर प्यार से ऊंगली जिसे चलना सिखाते हैं,
ज़रा सा चलना आ जाये तो ऊंगली छोड़ देता है.
वो बातों का है जादूग़र तुम उसकी दूर से सुनना,
वो बातों को बड़े ही खूबसूरत मोड़ देता है.
किसी की जान ले लेना फ़कत इक खेल है अब तो,
एक बारूद का टुकड़ा शहर झिंझोड़ देता है.
--योगेन्द्र मौदगिल